(Wide Angle with Expert) मर्कोसुर एवं युनासुर क्षेत्रीय संगठन - द्वारा विवेक ओझा (MERCOSUR and UNASUR Regional Organisation by Vivek Ojha)
विषय का नाम (Topic Name): मर्कोसुर एवं युनासुर क्षेत्रीय संगठन (Mercosur and UNASUR Regional Organisation)
विशेषज्ञ का नाम (Expert Name): विवेक ओझा (Vivek Ojha)
मर्कोसुर क्षेत्रीय संगठन चर्चा में
15 अगस्त , 2019 को दक्षिण अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक, क्षेत्रीय संगठन मर्कोसुर के प्रमुख सदस्य ब्राजील ने इस संगठन को छोड़ने की चेतावनी दी है । ब्राजील का कहना है कि यदि अर्जेंटीना में विपक्षी दल सत्ता में आता है और संकीर्ण आर्थिक नीतियां और संरक्षणवादी एजेंडे पर चलता है तो वह मर्कोसुर में नहीं रहेगा ।
एक अन्य कारण से भी मर्कोसुर सुर्खियों में रहा । जून , 2019 में ओसाका में हुए जी 20 समिट के दौरान ही यूरोपीय संघ और मर्कोसुर के बीच 20 वर्षों से लंबित पड़े हुए मुक्त व्यापार समझौते को संपन्न करने का निर्णय लिया गया।
अगस्त , 2019 में भी मर्कोसुर अमेज़न के वर्षा वनों में लगी आग के संदर्भ में फ्रांस और आयरलैंड के द्वारा दिए गए बयान से सुर्खियों में रहा । 23 अगस्त को फ्रांस और आयरलैंड ने ब्राजील को मर्कोसुर सदस्यों को चेतावनी दी कि जब तक अमेज़न के जंगलों में लगी आग की प्रभावी तरीके से नियंत्रित नहीं किया जाता तब तक ये दोनों देशों यूरोपीय संघ और मर्कोसुर के मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे ।
मर्कोसुर के बारे में
यह दक्षिण अमेरिका और साथ ही लैटिन अमेरिका के सबसे बड़े ट्रेड ब्लॉक के रूप में जाना जाता है । इसका गठन 1991 में असंसियान संधि के जरिए हुआ था । ब्राजील , अर्जेंटीना , परागुए और उरुग्वे इसके संस्थापक सदस्य थे । 2012 में वेनेजुएला को इसका सदस्य बनाया गया लेकिन उसकी संकीर्ण आर्थिक राजनीतिक नीतियों के चलते 2016 में उसे इस संगठन से निकाल दिया गया । हाल के समय में बोलिविया को मर्कोसुर का नया सदस्य बनाने की योजना थी । इसके एसोसिएट सदस्यों में शामिल हैं - चिली , कोलंबिया, गुयाना, पेरू, सूरीनाम, इक्वाडोर और बोलिविया।
इसका मुख्य उद्देश्य वस्तु , सेवा , श्रम , पूंजी का मुक्त
प्रवाह सुनिश्चित करना है । दक्षिण अमेरिका का आर्थिक एकीकरण , टैरिफ और नॉन टैरिफ
अवरोधों को व्यापार में दूर करना इसका मकसद है ।
इसके सदस्य देशों की संयुक्त जीडीपी 3.5 ट्रिलियन डॉलर है , और इस क्षेत्र में 295
मिलियन जनसंख्या निवास करती है ।
भारत और मर्कोसुर -
वर्तमान में भारत और मर्कोसुर के बीच वरीयतामूलक व्यापार समझौते को संपन्न करने पर वार्ता चल रही है । जुलाई , 2019 में भारत के विदेश मंत्री ने भी अपने बयान में स्पष्ट किया है कि इस समझौते को जल्द से जल्द संपन्न कराने का प्रयास किया जाएगा । दोनों पक्षों ने 2020 तक 30 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य भी निर्धारित कर रखा है । दोनों पक्षों के बीच व्यापार हेतु टैरिफ लाइन में कटौती को लेकर बात हुई है । वर्तमान में यह 450 वस्तुओं तक सीमित है , जिसे 3000 वस्तुओं तक करने पर विचार किया जा रहा है । 2016 में भारत ने मर्कोसुर को 4836 वस्तुओं पर टैरिफ लाइन में कटौती कर अधिक बाजार पहुंच की मंशा जाहिर की थी जबकि मर्कोसुर ने भारत को 3358 वस्तुओं की सूची दी थी । भारत ने 2015-16 में मर्कोसुर के बाजार में 3.4 बिलियन डॉलर मूल्य के वस्तुओं सेवाओं का निर्यात किया था और इसी समयावधि में 6.6 बिलियन डॉलर मूल्य के वस्तुओं का वहां से आयात किया था । भारत मर्कोसुर देशों को प्रसंस्कृत खाद्य, इंजीनियरिंग वस्तुओं और फार्मास्युटकल्स का अधिक निर्यात करना चाहता है । भारत का मर्कोसुर के बाजार में ऑर्गेनिक रसायन, प्लास्टिक और रबर को लेकर पहुंच है । भारत मर्कोसुर के बीच व्यापार की यह मात्रा कम है। इसी वर्ष यानि 2015-16 में अमेरिका और मर्कोसुर का व्यापार 68.6 बिलियन डॉलर, और यूरोपीय संघ और मर्कोसुर का 115 बिलियन डॉलर का था । यूरोपीय संघ मर्कोसुर का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है । इन आंकड़ों के हिसाब से भारत को दक्षिण अमेरिका और लैटिन अमेरिका के बाजारों में पहुंच बढ़ाने की रणनीति बनानी होगी।
दक्षिण अमेरिकी क्षेत्रीय संगठन युनासुर चर्चा में
यूनियन ऑफ साउथ अमेरिकन नेशंस यानि युनासुर वर्ष 2018 में तब चर्चा का विषय बन गया था जब इसके 12 सदस्य देशों में से 6 देशों ब्राजील , चिली, अर्जेंटीना , पेरू , पराग्वे और कोलंबिया ने युनासुर के महासचिव की नियुक्ति के प्रश्न पर इस संगठन की सदस्यता त्याग दिया । इन देशों में इस बात को लेकर मतभेद था कि महासचिव किस देश से चुना जाए।
वर्ष 2019 में फिर से यह संगठन सुर्खियों में रहा क्योंकि इन्हीं 6 देशों ने यूनासुर को समाप्त कर एक नए दक्षिण अमेरिकी क्षेत्रीय संगठन प्रोसुर के गठन की घोषणा की । इसके लिए चिली में हुई बैठक में सैंटियागो उद्घोषणा अपनाई गई और दक्षिण अमेरिका के 8 देशों ने नए संगठन की सदस्यता ली है।
22 मार्च , 2019 को अर्जेंटीना , ब्राजील , कोलंबिया, चिली, इक्वाडोर, गुयाना, पैराग्वे और पेरू की सरकारों ने सैंटियागो डेक्लरेशन पर हस्ताक्षर किया और प्रोसुर के मूल सदस्य बने। यह दक्षिण अमेरिका के साथ ही विश्व का भी सबसे नया क्षेत्रीय संगठन है । बोलिविया और उरुग्वे प्रोसुर में शामिल नहीं हुए , वैसे भी ये वेनेजुएला के सहयोगी देश हैं । प्रोसुर का पूरा नाम फोरम फॉर द प्रोग्रेस ऑफ साउथ अमेरिका है । इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण अमेरिका में क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना और वेनेजुएला की नीतियों के मद्देनजर दक्षिण अमेरिका में क्षेत्रीय स्थिरता भी सुनिश्चित करना है । अगले एक वर्ष के लिए चिली को इस संगठन की अध्यक्षता सौंपी गई है । प्रोसुर से संबंधित उद्घोषणा में कहा गया है कि यह एक विचाराधारा और ब्यूरोक्रेसी मुक्त फोरम है जो दक्षिण अमेरिका में स्वतंत्रता, लोकतंत्र, और मानवाधिकारों को बढ़ावा देगा । चिली के बाद पराग्वे को इसकी अध्यक्षता सौंपी जाएगी।
युनासुर के बारे में -
यह वेनेजुएला के नेतृत्व वाला 12 सदस्यीय संगठन था जिसे 2008 में वेनेजुएला द्वारा गठित किया गया था । इसका मूल उद्देश्य दक्षिण अमेरिका में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव को रोकना था। अमेरिका से दूरी बनाना , डॉलर और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं जैसे आईएमएफ , वर्ल्ड बैंक , डब्लयू.टी.ओ को भेदभावपूर्ण मानना , अपनी खुद की करेंसी सुक्रे का प्रस्ताव करना इसके एजेंडे में था । वेनेजुएला के अमेरिका के साथ शत्रुवत संबंध रहे हैं । वेनेजुएला ने डेथ तो अमेरिका एंड अमेरिकन्स जैसे स्लोगन को भी गढ़ा । वेनेजुएला की इन्हीं संकीर्ण और आर्थिक संरक्षणवादी नीतियों से दक्षिण अमेरिकी देशों का दम घुटने लगा और फिर इन देशों ने युनासुर को समाप्त कर प्रोसुर बनाने का निर्णय लिया।