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Blog / 05 Oct 2020

(इनफोकस - InFocus) क्यों बढ़ रही समुद्री लू? (Why is Oceanic Heat Wave Increasing?)

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(इनफोकस - InFocus) क्यों बढ़ रही समुद्री लू? (Why is Oceanic Heat Wave Increasing?)


सुर्खियों में क्यों?

हाल ही में, नेचर कम्युनिकेशन्स जर्नल में प्रकाशित एक शोध में बताया गया कि आने वाले दशकों में महासागरों में समुद्री हीटवेव की तीव्रता बढ़ सकती है। इसके अलावा, एक अन्य नए शोध में कहा गया कि इंसानों के कारण विश्व के महासागरों में हीटवेव यानी लू की तीव्रता 20 गुना ज्यादा हो गई है। विश्लेषण से पता चला है कि पिछले 40 सालों में दुनिया के सभी महासागरों में समुद्री हीटवेव काफी लंबी अवधि तक बढ़ी है।

क्या होता है समुद्री हीटवेव?

समुद्री हीटवेव एक ऐसी स्थिति है, जब किसी विशेष महासागर क्षेत्र में पानी का तापमान असामान्य रूप से अधिक होता है। हाल के वर्षों में इस तरह की हीटवेव के कारण समुद्रों और उनके तट की पारिस्थितिकी प्रणालियों में काफी बदलाव हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बदलाव को पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लग सकता है। सबसे बड़े प्रभाव के साथ सात समुद्री हीटवेव का अध्ययन करने के लिए एट्रिब्यूशन अध्ययन का इस्तेमाल किया गया था। बता दें कि एट्रिब्यूशन अध्ययन के जरिए यह पता लगाया जाता है कि मानव प्रभाव के माध्यम से जलवायु के चरम सीमाओं की आवृत्ति कैसे बदल जाती है। एट्रिब्यूशन अध्ययनों के निष्कर्षों के अनुसार, प्रमुख समुद्री हीटवेव मानव प्रभाव के कारण 20 गुना अधिक हो गए हैं।

क्या असर होता है समुद्री हीटवेव का?

समुद्री हीटवेव की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचता है, जिससे समुद्र की मछलियां मर सकती हैं। इसके अलावा, समुद्री हीटवेव से पक्षियों और समुद्री स्तनधारियों की मृत्यु दर भी बढ़ सकती है। समुद्र में हानिकारक शैवाल पैदा हो सकते हैं, जिसकी वजह से समुद्र में पोषक तत्वों की आपूर्ति को कम हो सकती है। हीटवेव मूंगा विरंजन यानी कोरल ब्लीचिंग के लिए भी जिम्मेदार होता है और इसकी वजह से मछलियों ठंडे पानी की ओर जाने के लिए मजबूर होती हैं।

1980 के बाद से हीटवेव में भारी बढ़ोत्तरी

शोधकर्ताओं ने अपनी जांच में 1981 से 2017 के बीच समुद्र की सतह के तापमान को जानने के लिए सेटेलाइट मैपिंग तकनीक का इस्तेमाल किया। निष्कर्ष के मुताबिक अध्ययन की अवधि के पहले दशक में 27 प्रमुख हीटवेव हुए, जो औसतन 32 दिन तक चले। इन हीटवेव्स का तापमान दीर्घकालिक औसत तापमान से 4.8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। हाल के दशक में विश्लेषण किया जाए तो हीटवेव्स की 172 प्रमुख घटनाएं हुईं, जो औसतन 48 दिनों तक चलीं. इनका तापमान दीर्घकालिक औसत तापमान से 5.5 डिग्री ज्यादा था।

आगे क्या किया जाना चाहिए?

महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों के बिना, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र गायब हो सकते हैं. यदि हम ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने में सक्षम हैं, तो हीटवेव हर दशक या शताब्दी में एक बार आएगी। यदि तापमान में 3 डिग्री की वृद्धि होती है, तो दुनिया के महासागरों में हर साल या दशक में एक बार चरम स्थिति होने की आशंका जताई जा सकती है। समुद्री हीटवेव के जोखिम को कम करने के लिए महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों की जरूरत है। इन लक्ष्यों को सिर्फ तय करने से काम नहीं चलने वाला बल्कि इन पर संपूर्ण वैश्विक समुदाय को ज़मीनी स्तर पर काम भी करना होगा.