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Blog / 01 Dec 2020

(इनफोकस - InFocus) विवाद से विश्वास अधिनियम 2020 (Vivad Se Vishwas Act 2020)

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(इनफोकस - InFocus) विवाद से विश्वास अधिनियम 2020 (Vivad Se Vishwas Act 2020)


सुर्खियों में क्यों?

हाल ही में, सरकार ने ऐलान किया कि ‘विवाद से विश्वास योजना’ के तहत उसे 72,480 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं।

पृष्ठभूमि

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, मौजूदा वक्त में प्रत्यक्ष कर से जुड़े 4.83 लाख मामले न्यायालय में लंबित पड़े हैं। रुपए के पदों में देखे तो यह पूरा मामला तकरीबन 9 लाख करोड़ का है। ‘विवाद से विश्वास योजना’ के तहत सरकार इस राशि को आसान तरीके से समझौते के रास्ते रिकवर करना चाह रही है।

यानी यह योजना प्रत्यक्ष कर से जुड़े इन 4.83 लाख मामलों को आसानी से सुलझाने का काम करेगी। दरअसल सरकार राजस्व की कमी से जूझ रही है, खासकर कर राजस्व की कमी सरकार के सामने एक बड़ी समस्या है। ऐसे में, राजस्व में बढ़ोतरी सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक बनी हुई है।

‘विवाद से विश्वास’ योजना क्या है?

केंद्रीय वित्त मंत्री ने साल 2020 के अपने बजट भाषण के दौरान ‘विवाद से विश्वास योजना’ की घोषणा की थी। यह योजना प्रत्यक्ष कर के जमा और विवाद निस्तारण से संबंधित है।

  • योजना का मक़सद तमाम न्यायाधिकरणों में प्रत्यक्ष कर से जुड़े लंबित मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करना है। यानी इसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और इनकम टैक्स अपीलीय न्यायाधिकरण आदि में प्रत्यक्ष कर से जुड़े लंबित मामलों में कमी आएगी।
  • योजना के ऐलान के बाद सरकार ने इससे जुड़ा एक बिल संसद में पेश किया, जिसे संसद के दोनों सदनों समेत राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई और अब यह एक्ट बन चुका है।
  • गौरतलब है कि सरकार ‘विवाद से विश्वास’ कानून के जैसे ही एक और कानून पहले ही ला चुकी है जिसका नाम है 'सबका विश्वास योजना'। ‘सबका विश्वास योजना’ साल 2019 में लाई गई थी और इसका मकसद अप्रत्यक्ष कर से जुड़े लंबित मामलों का जल्दी से जल्दी निस्तारण करना था। ‘सबका विश्वास योजना’ अस्तित्व में आ जाने की वजह से अप्रत्यक्ष कर से जुड़े लगभग 1,89,000 मामले सुलझाए गए।

‘विवाद से विश्वास अधिनियम’ से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

केंद्र सरकार को इस योजना के माध्यम से 90% आयकर विवादों को हल करने की उम्मीद है। इस योजना के तहत एक करदाता को केवल विवादित करों की राशि का भुगतान करना होगा तथा उसे ब्याज एवं जुर्माने पर पूरी छूट मिलेगी।

  • चूँकि इसके पहले विवाद निपटारे में अत्यधिक समय के नुकसान के साथ दोनों पक्षों को अत्यधिक खर्च उठाना पड़ता था किंतु अब इस योजना के कारण करदाता एवं सरकार दोनों को फायदा होगा।
  • इस अधिनियम में आयकर और निगम कर से संबंधित लंबित कर विवादों के समाधान के लिए एक तंत्र प्रदान किया गया है।
  • यदि कोई अपीलकर्ता गलत सूचनाएं प्रस्तुत करता है तो यह इनकम टैक्स अधिनियम 1961 का उल्लंघन माना जाएगा और उस अपीलकर्ता के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्यवाही की जा सकती है।
  • हाल ही में, भारत सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेन्ट ने विवाद से विश्वास (Vivad Se Vishwas) योजना के लिए समयसीमा को 31 मार्च , 2021 तक के लिए बढ़ा दिया है।

इस कानून की आलोचना

जब इस योजना से जुड़े विधेयक को संसद में लाया जा रहा था, तब इसके आलोचकों का कहना था कि यह विधेयक ईमानदार और बेईमान लोगों के साथ समान व्यवहार करता है। इसके अलावा, इस अधिनियम का नाम हिंदी में है। जिसकी वजह से कुछ सांसद यह कहकर इस अधिनियम की आलोचना कर रहे थे कि यह गैर हिंदी भाषी लोगों पर हिंदी को थोपने जैसा है।