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Blog / 28 Sep 2020

(इनफोकस - InFocus) तुर्की ने UN में उठाया कश्मीर का मुद्दा (Turkey Raised Kashmir Issue in UN)

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(इनफोकस - InFocus) तुर्की ने UN में उठाया कश्मीर का मुद्दा (Turkey Raised Kashmir Issue in UN)



सुर्ख़ियों में क्यों?

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया है।

  • जहां भारत ने इस पर आपत्ति की है, तो वहीं पाकिस्तान ने इसकी सराहना की है। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए अर्दोआन ने कहा, "कश्मीर संघर्ष दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिहाज से काफ़ी अहम है. यह अब भी एक ज्वलंत मुद्दा है. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से स्थिति और जटिल हो गई है."
  • बता दें कि भारत ने पिछले साल पाँच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर दिया था और पूरे राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश में बाँट दिया था.

भारत की क्या प्रतिक्रया रही?

अर्दोआन के इस रुख़ पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा है, "भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पर हमने राष्ट्रपति अर्दोआन की टिप्पणी देखी है. यह भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप है और यह भारत के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है. तुर्की को दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए."

  • इसके अलावा, कुछ भारतीयों का कहना है कि अर्दोआन फ़लस्तीन, कश्मीर और नरगोरनो कैरबैक में नाइंसाफ़ी पर भाषणबाज़ी कर रहे हैं लेकिन शिन्जियांग में वीगर मुसलमानों को लेकर उनके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला.

तुर्की पहले भी इस तरह की टिप्पणी कर चुका है

इसी साल फ़रवरी महीने में तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन पाकिस्तान के दौरे पर आए थे. तब उन्होंने पाकिस्तानी संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर का मुद्दा जितना अहम पाकिस्तानियों के लिए है उतना ही तुर्की के लोगों के लिए है. अर्दोआन ने कहा था कि दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता और संपन्नता को कश्मीर मुद्दे से अलग नहीं किया जा सकता.

क्यों बढ़ रही है भारत और तुर्की के बीच दूरी?

पिछले कुछ सालों से भारत और तुर्की के रिश्ते लगातार ख़राब हुए हैं. मोदी पीएम बनने के बाद तुर्की नहीं गए. दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट के लिए तुर्की का कश्मीर और एफ़एटीएफ़ में पाकिस्तान का समर्थन मुख्य वजह है.

  • जब तुर्की ने उत्तरी सीरिया में कुर्दों पर हमले शुरू किए तो भारत ने भी इसके लिए तुर्की की आलोचना की थी और कहा था कि संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए.
  • भारत ने तुर्की के अनादोलु शिपयार्ड से भारत में नेवी सपोर्ट शिप बनाने की डील को भी रद्द कर दिया था.
  • भारत ने ये क़दम कश्मीर और एफ़एटीएफ़ पर तुर्की के पाकिस्तान के साथ खड़े होने के जवाब में उठाए थे.

पाकिस्तान की तुर्की से बढ़ती नज़दीकी

पाकिस्तान और तुर्की के बीच संबंध भारत के तुलना में काफ़ी अच्छे रहे हैं. दोनों मुल्क इस्लामिक दुनिया के सुन्नी प्रभुत्व वाले हैं.

  • दरअसल जब जुलाई 2016 में तुर्की में सेना का अर्दोआन के ख़िलाफ़ तख्तापलट नाकाम रहा तो पाकिस्तान खुलकर अर्दोआन के पक्ष में आया था.
  • तब से अर्दोआन और पाकिस्तान के संबंध और अच्छे हुए हैं.
  • साल 2017 से तुर्की ने पाकिस्तान में एक अरब डॉलर का निवेश किया है.
  • तुर्की पाकिस्तान में कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है. वो पाकिस्तान को मेट्रोबस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम भी मुहैया कराता रहा है.
  • दोनों देशों के बीच प्रस्तावित फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर अब भी काम चल रहा है. अगर दोनों देशों के बीच यह समझौता हो जाता है कि तो द्विपक्षीय व्यापार 90.0 करोड़ डॉलर से बढ़कर 10 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है.