Home > InFocus

Blog / 01 Dec 2020

(इनफोकस - InFocus) ब्रू जनजाति से जुड़ा चतुष्पक्षीय समझौता (Quadripartite Agreement Pertaining To Bru Tribes)

image


(इनफोकस - InFocus) ब्रू जनजाति से जुड़ा चतुष्पक्षीय समझौता (Quadripartite Agreement Pertaining To Bru Tribes)


सुर्ख़ियों में क्यों?

उत्तर त्रिपुरा जिले के राहत शिविरों में 1997 से रह रहे ब्रू समुदाय ने त्रिपुरा में उनके पुनर्वास की प्रक्रिया के दौरान स्थायी आवासीय और अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्रों की मांग की है। साथ ही, इस समुदाय के लोगों ने सरकार से मांग की है कि जनवरी 2020 में किए गए समझौते को जल्द से जल्द लागू किया जाए.

ब्रू कौन हैं?

‘‘ब्रू’’ पूर्वोत्तर में बसने वाला एक जनजाति समूह है। मिजोरम के अधिकांश ‘ब्रू’ जनजाति के लोग मामित और कोलासिब जिलों में रहते है। कुछ स्थानीय कलह के चलते ‘‘ब्रू’’ जनजाति का विस्थापन त्रिपुरा में हो गया था।

  • सामान्यतः इस जनजाति को रियांग भी कहा जाता है।
  • ये जनजाति ‘‘ब्रू’’ भाषा बोलती है और इस भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है।
  • ‘‘ब्रू’’ जनजाति के अन्तर्गत अनेक उपजातियां आती हैं।
  • ये पहले झूम कृषि करते थे, जिसमें ये जंगल के एक हिस्से को साफ करके वहाँ खेती करते थे.
  • कुछ सालों बाद ये उस भूमि को छोड़कर जंगल के दूसरे भाग में कृषि करने चले जाते थे।
  • अतः इसे एक बंजारा जनजाति भी माना जाता है।

क्या समस्या है इस जनजाति के साथ?

ब्रू जनजाति के मिजोरम से त्रिपुरा विस्थापन का कारण मिजो जनजाति द्वारा ब्रू को 'बाहरी' समझना और उनके साथ हिंसा करना, माना जाता है।

  • सामान्यतः पूर्वोत्तर में लोग अपनी जातीय पहचान जैसे - खान-पान, पहनावा और भाषा को लेकर बहुत भावुक होते हैं।
  • जातीय पहचान को मुद्दा बनाकर वहाँ लोग अलग राष्ट्र की मांग करते आये हैं।
  • मिजों उग्रवादी समूहों द्वारा भी इस प्रकार की मांग की गई.
  • परन्तु जब ऐसा होने की संभावना दूर नजर आने लगी तो मिजो उग्रवादी समूहों ने उन जनजातियों को अपना निशाना बनाया, जिन्हें वो 'बाहरी' समझते थे।
  • साल 1995 में ‘‘ब्रू’’ और ‘‘मिजो’’ जनजातियों के मध्य टकराव बढ़ने के बाद यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ‘‘ब्रू’’ जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया।
  • इसके पश्चात् ‘‘ब्रू’’ जनजाति मिजो जनजाति के निशाने पर आ गई।
  • साल 1997 में ब्रू उग्रवादियों के द्वारा एक मिजो अधिकारी की हत्या कर दी गई।
  • इसके बाद से ही क्षेत्र में ‘‘ब्रू’’ लोगों के खिलाफ अत्याधिक हिंसा हुई, जिसके पश्चात् ‘‘ब्रू’’ जनजाति को मिजोरम छोड़कर त्रिपुरा प्रस्थान करना पड़ा।

सरकार द्वारा इन्हें वापस बसाने के लिए क्या प्रयास किए गए?

जून 2018 में, ब्रू जनजाति के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के साथ एक समझौता किया. इस समझौते के तहत इस जनजाति के लोगों को वापस मिजोरम में बसाए जाने की बात कही गई. लेकिन शरणार्थी कैंप में रह रहे ज्यादातर लोगों ने वापस मिजोरम जाने से मना कर दिया. उन्हें लगता है कि मिजोरम में जाने से उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

  • इसके बाद इसी साल जनवरी 2020 में केंद्र सरकार, मिजोरम सरकार, त्रिपुरा सरकार और ब्रू जनजाति के प्रतिनिधियों के बीच एक और समझौता हुआ.
  • इस नए समझौते के तहत ब्रू जनजाति के 35000 लोगों को त्रिपुरा में बसाया जाना है.
  • त्रिपुरा सरकार ने इनके बसने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का वादा किया है.
  • इसके अलावा, केंद्र सरकार ने इस जनजाति के कल्याण और चौमुखी विकास के लिए मदद करने का भरोसा दिया है.

विवाद अभी भी खत्म नहीं हो रहा है

त्रिपुरा के कुछ स्थानीय लोगों ने इस जनजाति के वहां बसने का विरोध किया है. इसलिए आशंका है कि कहीं दोबारा फिर से जनजातीय संघर्ष शुरू हो जाए. बहरहाल कोरोना महामारी के चलते इस समझौते को जमीनी स्तर पर अभी लागू नहीं किया जा सका है.