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Blog / 11 Sep 2020

(इनफोकस - InFocus) ऑपरेशन जिब्राल्टर (Operation Gibraltar)

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(इनफोकस - InFocus) ऑपरेशन जिब्राल्टर (Operation Gibraltar)



सुर्खियों में क्यों?

बीते 6 सितंबर को पाकिस्तान में ‘डिफेंस ऑफ पाकिस्तान डे’ मनाया गया। यह पाकिस्तान का भारत पर उसकी ‘जीत का जश्न’ था, और यह जश्न पाकिस्तान हर साल 6 सितम्बर को मनाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर पाकिस्तान कौन सा जंग भारत से जीता था। और ये लोग किस जीत का जश्न मना रहे हैं ……. दरअसल पाकिस्तान में जीत का नहीं बल्कि ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ की नाकामी का जश्न मनाया गया है।

क्या है ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’?

जम्मू कश्मीर को लेकर, अपनी आदतों से मजबूर, पाकिस्तान हमेशा से ही यहां पर घुसपैठ की कोशिश में लगा रहता है। ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ इसी घुसपैठ की एक और नाकाम कोशिश का कोडनाम था।

  • आपको बता दें कि जिब्राल्टर जलसन्धि पूरब में भूमध्य सागर को पश्चिम में अटलांटिक महासागर से जोड़ती है। इसके उत्तर में यूरोप के स्पेन और जिब्राल्टर क्षेत्र हैं जबकि दक्षिण में उत्तरी अफ़्रीका के मोरक्को और सेउटा क्षेत्र हैं।
  • इसी क्षेत्र में, तारिक इब्न जियाद नाम के एक मशहूर अरब लड़ाके ने स्पेन पर हमला किया था। पाकिस्तान के इस ऑपरेशन का कोडनेम भी वहीं से प्रेरित है।

पृष्ठभूमि

यह बात 1965 के शुरुआती दिनों की है जब गुजरात के कच्छ के रण में हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच झड़प की कुछ घटनाएँ हुईं थी। ये झड़प ऐसे ही नहीं हुई थी बल्कि ये पाकिस्तान की एक सोची-समझी चाल थी जिसका नाम था - ‘ऑपरेशन डेजर्ट हॉक’। इसका मकसद महज भारत का ध्यान भटकाना था, असली नज़र तो कश्मीर पर थी।

  • इसके अलावा, यहीं वह दौर था जब भारत चीन के हाथों 1962 में मिली हार से उबरने की कोशिश कर रहा था।
  • उसी वक्त साल 1964 में नेहरू जी का देहांत हो गया और देश की कमान शास्त्री जी ने संभाली। यानी देश एक ही साथ कई मुश्किलों से जूझ रहा था।
  • शास्त्री जी के बारे में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान का मानना था कि वे बहुत कमजोर और बुजदिल प्रधानमंत्री होंगे।
  • भारत के इन तमाम मुश्किलों को देखते हुए पाकिस्तान को ऐसा लगने लगा कि अब कश्मीर को फ़तह करना बहुत मुश्किल नहीं।
  • अगर उस दौर के सैन्य साजो-सामान के आधार पर भी देखें तो पाकिस्तान हमसे काफी बेहतर हालत में था। क्योंकि उस वक़्त अमेरिका पाकिस्तान पर काफ़ी मेहरबान था।

पाकिस्तान की क्या रणनीति थी?

तत्कालीन हालत को भांपते हुए पाकिस्तान का प्रोग्राम बना कि 28 जुलाई को हिंदुस्तान में घुसेंगे और 9 अगस्त तक कश्मीर हमारा होगा।

  • पूरे ऑपरेशन को दो पार्ट में डिजाइन किया गया - पहला ऑपरेशन जिब्राल्टर और दूसरा ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम। ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के तहत करीब 40,000 पाकिस्तानी सेना के जवान कबायलियों और रज़ाकारों के भेष में जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने वाले थे।
  • उनका प्लान था कि वे कश्मीरियों को भारतीय शासन के खिलाफ भड़काएंगे।
  • जब जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह अव्यवस्था फैल जाएगी तो उसके बाद मदद के नाम पर ‘ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम’ के तहत पाकिस्तानी सेना भारत पर हमला कर देगी।

भारत की क्या प्रतिक्रिया थी?

गुजरात के कच्छ के रण में जो कुछ हुआ उसने भारत सरकार को एक चेतावनी सी दे दी। लिहाजा भारत भी अपनी तैयारियों में जुट गया।

  • इसके अलावा जिन पाकिस्तानी सैनिकों ने हिंदुस्तान में घुसपैठ की थी, उनकी खुद की बेवकूफियों के चलते शुरुआत में ही उनकी रणनीति का भंडाफोड़ हो गया। और घुसपैठियों को जल्द ही खोज लिया गया।
  • अपने प्लान को नाकाम होता देख पाकिस्तान ने 1 सितंबर को ऑपरेशन का दूसरा चरण - ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम लांच कर दिया। यानी पाकिस्तान ने अपने हमले को और ज़ोरदार बना दिया था।
  • कश्मीर के रास्ते होने वाली पाकिस्तानी घुसपैठ का जवाब देने के लिए हिंदुस्तानी सेना ने पंजाब के जरिए लाहौर की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया। पाकिस्तान को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि भारत अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्रॉस करेगा।
  • अब हालात यूं बन गए की कश्मीर तो पाकिस्तान का होने जा रहा था लेकिन पूरा पाकिस्तान हिंदुस्तान का हो जाता।
  • 22 सितंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दख़लअंदाज़ी के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष-विराम पर सहमति बनी।
  • ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ ने 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत की थी। इस लड़ाई के नतीजे को लेकर दोनों ही मुल्क अपने-अपने जीत के दावे करते हैं लेकिन तमाम तटस्थ अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक इसे भारत के ही पक्ष में बताते हैं।