(इनफोकस - InFocus) पूर्वोत्तर परिषद् (North East Council)
पूर्वोतर परिषद्
- सुर्ख़ियों में क्यों?
- क्या है पूर्वोतर परिषद्?
- पूर्वोतर परिषद् की संरचना
- परिषद् के कार्य
सुर्ख़ियों में क्यों?
- 68वें पूर्वोत्तर परिषद् के पूर्ण सत्र का आयोजन 8-9 सितम्बर को असम में किया गया।
- सत्र में गृहमंत्री ने धारा 371 को महत्वपूर्ण बताया और इसमें किसी भी बदलाव से इनकार किया।
- सत्र में पूर्वोतर विकास परियोजनाओं और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई।
क्या है पूर्वोतर परिषद्?
- एनईसी, पूर्वोतर क्षेत्र विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था है।
- इसका मुख्यालय शिलांग में स्थित है।
- एनईसी का गठन वर्ष 1971 में, पूर्वोतर परिषद् अधिनियम 1971 के अंतर्गत किया गया था।
- 7 नवम्बर 1972 को यह संस्था पूर्णत: अस्तित्व में आई।
- पूर्वोतर क्षेत्र के विकास हेतु एक सलाहकारी संस्था के तौर पर इसका गठन हुआ था।
- वर्ष 2002 के संशोधन के बाद, इसे पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास हेतु योजना निर्माण की ज़िम्मेदारी दी गई।
- वर्तमान में भारत में 6 क्षेत्रीय परिषद् कार्यरत हैं।
- इन क्षेत्रीय परिषदों का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
- भारत के आठ पूर्वोतर राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैण्ड, सिक्किम और त्रिपुरा इसके सदस्य हैं।
- पूर्वोतर क्षेत्र में,वितीय वर्ष 2019-2020 हेतु सबसे बड़ी बजट-राशि 1476 करोड़ का आवंटन किया गया है।
पूर्वोतर परिषद् की संरचना
पूर्वोतर परिषद् के सदस्यों की बात की जाए तो इसमें निम्नलिखित शामिल हैं-
- 13 जून 2018 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के पुनर्गठन की स्वीकृति दी गई।
- नई व्यवस्था के अंतर्गत पूर्वोत्तर परिषद के अध्यक्ष भारत के गृह मंत्री होंगे ।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री परिषद् के उपाध्यक्ष होंगे।
- सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री इसके सदस्य हैं।
- इसके अलावा इसमें राष्ट्रपति द्वारा नामित किए गए तीन अन्य सदस्य भी होते हैं।
- राष्ट्रपति परिषद के अध्यक्ष को नामित करेगा।
- राष्ट्रपति, परिषद के सदस्य के तौर एक केंद्रीय मंत्री को नामित कर सकता है।
- राष्ट्रपति जरुरत के अनुसार परिषद के किसी अन्य सदस्य को परिषद का उपाध्यक्ष नामित कर सकता है।
परिषद् के कार्य
- परिषद को केंद्र सरकार द्वारा दी गई शक्तियां प्राप्त हैं।
- इनका लक्ष्य संबंधित राज्यों में होने वाले संघर्ष को कम कर,उन्हें विकास के पथ पर अग्रसर करना होता है।
- यह परिषद अन्तर्राजिय विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श हेतु मंच प्रदान करती है ।
- राज्य और केंद्र सरकार के माध्यम से विभिन्न परियोजनाओं को लागू करती है।
- भविष्य में अंतर्राज्यीय विषयों पर अपनाये जाने वाले दृष्टिकोणों पर विचार भी करती है।
- एनईसी मादक द्रव्यों हथियारों और गोला-बारूदों की तस्करी, सीमा विवादों जैसे अंतर्राज्यीय विषय पर भी कार्य करती है।
- परिषद समय-समय पर परियोजना में शामिल योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करती है।
- इन परियोजनाओं आदि के लिए राज्यों के बीच समन्वय के लिए कारगर उपायों की सिफारिश भी करती है।