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Blog / 23 Jul 2020

(इनफोकस - InFocus) मोबाइल एप कूर्मा (Mobile App Koorma)

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(इनफोकस - InFocus) मोबाइल एप कूर्मा (Mobile App Koorma)



चर्चा में क्यों?

  • बीते 19 जुलाई, 2020 को, केंद्रीय पर्यावरण एवं सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भारतीय कछुओं को ट्रैक करने और उनके बारे में रिपोर्ट करने के लिए "कुर्मा" ऐप की तारीफ की। बता दें कि हर साल 23 मई को विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है और इस साल कछुआ दिवस के अवसर पर कछुआ संरक्षण के लिए कूर्मा (KURMA) मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया था।

कुर्मा ऐप से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • इस मोबाइल ऐप को ‘इंडियन टर्टल कंज़र्वेशन एक्शन नेटवर्क’ (Indian Turtle Conservation Action Network- ITCAN) द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसमें दो अन्य संस्थाओं ‘टर्टल सर्वाइवल अलायंस-इंडिया’ (Turtle Survival Alliance India) और ‘वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी-इंडिया’ (Wildlife Conservation Society India) से भी मदद लिया गया है।
  • इस ऐप के जरिए देश भर में कछुओं की प्रजातियों की पहचान करने के लिये डेटाबेस उपलब्ध कराया जाता है.
  • इसके अलावा, इसमें नजदीकी संरक्षण केंद्र के लोकेशन का भी पता चलता है। इसका मतलब यह हुआ कि यह ऐप एक डिजिटल डेटाबेस की तरह काम करता है, जिसमें कछुओं की पहचान; किस तरह का कछुआ कहां पाया जाता है; उसका स्थानीय नाम क्या है; और उस पर किस तरह के जोखिम मँडरा रहे हैं; जैसी जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं.
  • इसमें भारत के ताजे जल के कछुओं समेत कछुओं की 29 प्रजातियों की जानकारी मौजूद होती है.
  • अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार निगरानी संगठन यानी ‘TRAFFIC’ द्वारा साल 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल कम-से-कम 11000 साधारण कछुओं और मीठे जल के कछुओं का अवैध शिकार करके उनकी तस्करी कर दी जाती है।

इंडियन टर्टल कंज़र्वेशन एक्शन नेटवर्क (Indian Turtle Conservation Action Network- ITCAN):

  • ITCAN को कछुओं से जुड़े ‘नागरिक-विज्ञान पहल’ यानी Citizen-Science Initiative शुरू करने के लिये गठित किया गया था।
  • यह एक मंच की तरह काम करता है जिस पर कछुओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों का आदान प्रदान किया जाता है साथ ही यह मंच वन विभाग और प्रवर्तन एजेंसियों के लिए भी सहायक है.

वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी - इंडिया (Wildlife Conservation Society-India):

  • वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी को साल 1988 में गठित किया गया था।
  • यह सोसाइटी सरकारी और गैर-सरकारी सहयोगियों के साथ रचनात्मक सहयोग के जरिए वन्यजीवों के संरक्षण तरीकों और अनुसंधान को बढ़ावा देती है।
  • इसके अलावा, यह सोसाइटी वन्यजीवों के संरक्षण के संबंध में राष्ट्रीय क्षमता-निर्माण पर भी अपना ध्यान केंद्रित करती है.

टर्टल सर्वाइवल अलायंस (Turtle Survival Alliance-TSA):

  • एशियाई कछुआ संकट को देखते हुए साल 2001 में IUCN की साझेदारी में ‘टर्टल सर्वाइवल अलायंस’ का गठन किया गया था.
  • इसका मकसद मीठे जल के कछुओं और सामान्य कछुओं का ‘स्थायी बंदी प्रबंधन’ (Sustainable Captive Management) करना था।
  • अवैध तरीके से चीनी बाजारों में लगातार कछुआ सप्लाई करने से एशियाई कछुआ संकट पैदा हो गया है.