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Blog / 07 Nov 2020

(इनफोकस - InFocus) फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force - FATF : Why in News)

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(इनफोकस - InFocus) फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force - FATF : Why in News)


सुर्खियों में क्यों?

हाल ही में, फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स यानी FATF ने अपनी बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला लिया है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई इस वर्चुअल बैठक में कहा गया कि एफएटीएफ के एक्शन प्लान के सभी 27 मापदंडों पूरा न कर पाने के कारण पाकिस्तान को अभी ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा।

एफएटीएफ क्या है?

एफएटीएफ, पेरिस स्थित एक वैश्विक संगठन है जो आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए काम करती है। साल 1989 में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन में मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के मक़सद से फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इसका सचिवालय पैरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी OECD के मुख्यालय में मौजूद है। साल 2001 में इसके कार्य क्षेत्र को थोड़ा विस्तार दिया गया और आतंकवाद को धन मुहैया कराने के विरूद्ध नीतियाँ बनाना भी इसकी जिम्मेदारियों में शामिल कर दिया गया।

अभी एफएटीएफ में 39 सदस्य हैं जिसमें 2 क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय कमीशन और गल्फ को- ऑपरेशन काउंसिल शामिल है। साथ ही, इंडोनेशिया इसमें बतौर आब्जर्वर शामिल है। भारत 2010 में एफटीएफ का सदस्य बना था।

इसकी बैठक में समीक्षा की जाती है कि संबंधित देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने में सक्षम है या नहीं। साथ ही, ये संस्था इन अपराधों को रोकने के लिए नीतियाँ और मानक भी तैयार करती है।

किस तरह की सूचियां जारी करता है एफएटीएफ?

एफएटीएफ मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के मामले में वित्तपोषण को लेकर देशों का वर्गीकरण करता है। उसके लिए यह संस्था दो प्रकार के लिस्ट जारी करती है - ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट। किसी भी देश को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने का मतलब है कि उस देश को आतंकी वित्त-पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में लिप्त पाया गया है, और यह उसके लिए एक चेतावनी जैसा है। यानी अगर कोई देश आतंकवाद की फंडिंग करने से बाज नहीं आता है या उसे रोकने के लिए ज़रूरी क़दम नहीं उठाता है तो आगे उस देश को ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है।

ब्लैक लिस्ट में केवल उन देशों को डाला जाता है जो अनकोआपरेटिव टैक्स हैवेन (uncooperative tax havens) देश की श्रेणी में आते हैं। इन देशो को नॉन-कॉपरेटीव कंट्री या टेरीटरीज के रूप में भी जाना जाता है। दूसरे शब्दों में, जो देश आतंकी गतिविधियों के लिए वित्त- पोषण कर रहे हैं या मनी लॉन्डरिंग जैसे अपराध में लिप्त हैं, साथ ही इस मामले में वे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ समुचित सहयोग नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें FATF द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है।

क्या होता है अगर कोई देश ब्लैक लिस्टेड हो जाये?

अगर कोई देश ब्लैक लिस्टेड हो जाता है तो आईएमएफ़, वर्ल्ड बैंक और एडीबी जैसे तमाम अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान इस पर आर्थिक पाबंदियाँ लगा सकते हैं। साथ ही, इस पर दूसरे बड़े देश भी इसी तरह की आर्थिक पाबंदियां लगा सकते हैं। इसके अलावा, ब्लैकलिस्टेड देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान मसलन आईएमएफ़, वर्ल्ड बैंक, एडीबी और अन्य देशों से कर्ज नहीं मिलता है। ब्लैक लिस्टेड देश में बाहर से आर्थिक निवेश में कमी आ जाती है। जिसके चलते इस तरह के देशों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में काफी गिरावट आ जाती है।

पाकिस्तान के ब्लैक-लिस्ट होने से भारत को क्या फायदा होगा?

भारत लम्बे वक़्त से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित है। भारत एक अरसे से इस सम्बन्ध में समूची अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को यह जताने की कोशिश करता रहा है कि पाकिस्तान किस प्रकार से आतंकी गतिविधियों को वित्तपोषित कर रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत ने इस बात को पूरी सक्रियता से उठाया जिसके परिणामस्वरूप समूची अंतराष्ट्रीय बिरादरी ने इस बात को स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों का वित्त-पोषण कर रहा है। यानी जैसे-जैसे पाकिस्तान को तमाम स्रोतों के जरिए मिलने वाले आर्थिक सहायता में कमी आएगी, वैसे-वैसे पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद की फंडिंग में भी कमी आएगी।