(इनफोकस - InFocus) नैनोरॉड से मोतियाबिंद का इलाज (Cataract Treatment from Nanorods)
सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में, ‘नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान’ यानी INST के वैज्ञानिकों ने ‘नॉनस्टेरोइडल एंटी-इन्फ्लेमेट्री ड्रग’ ‘एस्पिरिन’ से नैनोरॉड बनाए हैं।
- INST विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है.
‘एस्पिरिन’ क्या है?
- ‘एस्पिरिन’ दर्द, बुखार या सूजन को कम करने के लिये उपयोग की जाने वाली एक पापुलर दवा है.
- इस दवा को मोतियाबिंद के खिलाफ एक प्रभावी गैर-आक्रामक छोटे अणु-आधारित नैनोथेराप्यूटिक्स (Nanotherapeutics) के रूप में पाया जाता है।
‘एस्पिरिन नैनोरॉड’
एस्पिरिन नैनोरॉड क्रिस्टलीय प्रोटीन और इसके विखंडन से प्राप्त तमाम पेप्टाइड्स को इकट्ठा होने से रोकता है.
- इस एकत्रीकरण के चलते ही आंखों में मोतियाबिंद हो जाता है.
- ये जैव आणविक प्रक्रिया के जरिए प्रोटीन/पेप्टाइड को इकट्ठा होने से रोकते हैं।
- ‘एस्पिरिन नैनोरॉड’ आणविक स्व-संयुग्मन की प्रक्रिया का इस्तेमाल करके उत्पादित किये जाते हैं.
- आम तौर पर नैनोकणों के संश्लेषण के लिये इस्तेमाल की जाने वाली उच्च लागत और श्रमसाध्य भौतिक विधियों के मुकाबले एस्पिरिन नैनोरॉड उत्पादित करने के लिये सस्ती और प्रभावी तकनीक है।
- आसान और कम लागत वाली इस इलाज से विकासशील देशों में उन मरीजों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है जो मोतियाबिंद के महंगे उपचार के चलते अपना इलाज नहीं करा पाते हैं।
‘जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री बी’ इस महत्वपूर्ण शोध को ‘जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री बी’ में प्रकाशित किया गया है.
- इस जर्नल को साप्ताहिक तौर पर प्रकाशित किया जाता है
- यह किफायती एवं आसान तरीके से मोतियाबिंद को रोकने में सहायक साबित हो सकता है।
‘मोतियाबिंद’ के बारे में
मोतियाबिंद अंधापन का एक अहम कारण है.
- जब हमारी आंखों में मौजूद क्रिस्टलीय प्रोटीन की संरचना खराब हो जाती है, तब खराब प्रोटीन संगठित होकर एक नीली या भूरी परत बनाता है.
- बता दें कि यही क्रिस्टलीय प्रोटीन हमारी आंखों में लेंस बनाने का काम करती है.
- यहीं परत आगे चलकर लेंस की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाता है, और हमें मोतियाबिंद की शिकायत हो जाती है.