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Blog / 21 Nov 2020

(इनफोकस - InFocus) ब्रिक्स देशों का 12वां सम्मेलन (12th Summit of BRICS Countries)

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(इनफोकस - InFocus) ब्रिक्स देशों का 12वां सम्मेलन (12th Summit of BRICS Countries)


सुर्ख़ियों में क्यों?

बीते 17 नवंबर को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी में ब्रिक्स देशों का 12वां सम्मेलन वर्चुअल तौर पर आयोजित किया गया।

  • इसमें सदस्य देशों के नेताओं ने वैश्विक परिदृश्य के प्रमुख मुद्दों और आपसी सहयोग पर चर्चा की।
  • इस बार सम्मेलन की थीम 'वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और अभिनव विकास' थी।
  • सम्मेलन में बोलते हुए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को बड़ी समस्या बताया।
  • ग़ौरतलब है कि 12वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ की पृष्ठभूमि में और कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच आयोजित किया गया।
  • साल 2021 का BRICS समिट भारत में ही होने वाला है। ऐसे में, ये 12वां सम्मलेन भारत के लिए अपनी जमीनी तैयारी को मजबूत करने का एक अवसर था।

इस बार के घोषणा पत्र में क्या कहा गया?

सम्मेलन के बाद ब्रिक्स ने अपना एक घोषणा पत्र भी जारी किया जिसमें इसने एक नई आतंकरोधी रणनीति अपनाई।

  • घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद के खतरे समेत कई वैश्विक मुद्दों पर ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया।
  • इसके लिए UNSC, WTO, IMF और WHO जैसे वैश्विक संगठनों में सुधार लाने की जरूरत की बात भी कही गई।

क्या है यह ब्रिक्स?

दुनिया की पाँच सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं - ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका - ने मिलकर एक समूह बनाया है। इसी समूह को ब्रिक्स कहा जाता है।

  • BRICS शब्द का जिक्र सबसे पहले साल 2001 में प्रसिद्ध अर्थशास्री जिम ओ’ नील द्वारा एक रिपोर्ट में किया गया था।
  • शुरुआत में इसमें केवल ब्राजील, रूस भारत और चीन - यहीं चार देश शामिल थे। बाद में, दिसंबर 2010 में इसमें साउथ अफ्रीका को भी जोड़ा गया।
  • इसकी औपचारिक स्थापना जुलाई 2006 में रूस के सेंट्स पीटर्सबर्ग में जी-8 देशों के सम्मेलन के अवसर पर रूस, भारत और चीन के नेताओं की बैठक के बाद हुई। पहले ब्रिक सम्मेलन का आयोजन 16 जून, 2009 को रूस के येकतेरिनबर्ग में हुआ था।
  • ब्रिक्स का मक़सद स्थायी और न्यायसंगत विकास के लिए ब्रिक्स देशों के अलावा अन्य देशों से भी सहयोग को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाना है। ब्रिक्स द्वारा यह भी ध्यान रखा जाता है कि इसके हर सदस्य की आर्थिक स्थिति और विकास में बेहतरी होती रहे।
  • साल 2014 में ब्रिक्स देशों ने मिलकर दो अहम वित्तीय संगठनों का निर्माण किया - पहला न्यू डेवलपमेंट बैंक और दूसरा आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था।

भारत के लिहाज से कितना अहम है ब्रिक्स?

ब्रिक्स को महत्त्वपूर्ण आर्थिक इंजन के रूप में देखा जा रहा है यानी यह एक उभरता हुआ निवेश बाजार और वैश्विक शक्ति है। मौजूदा वक़्त में, BRICS में शामिल पाँच देशों की अर्थव्यवस्थाओं की दुनिया की कुल जनसंख्या में 42 फीसदी, वैश्विक जीडीपी का 23 फीसदी और वैश्विक व्यापार का करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी है।

  • भारत के लिहाज से ब्रिक्स एक अहम संगठन है, क्योंकि यह विकासशील देशों की उभरती हुई आवाज बन चुका है। दरअसल विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विकसित देशों के आक्रामक संगठनों से तगड़ी चुनौती मिलती रहती है। ऐसे में, भारत का यह मानना है कि BRICS ही ऐसा संगठन है जिससे विकासशील देशों के हितों को बचाया जा सकता है।

ब्रिक्स के सामने चुनौतियाँ

वैसे तो ब्रिक्स देशों का प्रमुख मकसद विकास और तमाम आर्थिक मुद्दों पर एक साथ काम करना है। लेकिन इसके सदस्य देशों के बीच तमाम ऐसे राजनीतिक मुद्दे हैं जो ब्रिक्स के मुख्य मकसद पर भारी पड़ जाते हैं। मसलन-

  • भारत का चीन के साथ एक बड़ा व्यापारी घाटा और सीमा विवाद।
  • कई मुद्दों पर चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां जो भारत के लिहाज से हितकर नहीं है।
  • ब्रिक्स का औपचारिक स्वरूप कैसा हो, इसका सचिवालय कैसे बने, इन सभी मुद्दों पर इसके सदस्य देश एकमत नहीं हो पा रहे हैं।
  • समूह में नए सदस्यों को कैसे और कब जोड़ा जाए, इस विषय पर भी कोई साफ विचार नहीं है।
  • अलग-अलग देशों में शासन की अलग-अलग व्यवस्थाएं होने के चलते भी सदस्य देशों के बीच मतभेद उभरकर सामने आते रहते हैं। जैसे भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था है तो वहीं चीन में साम्यवादी शासन है।