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Blog / 09 Jul 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) वर्ल्ड ड्रग्स रिपोर्ट 2020 (World Drugs Report 2020)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी)  वर्ल्ड ड्रग्स रिपोर्ट 2020 (World Drugs Report 2020)



हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स एवं अपराध कार्यालय यानी यूएनओडीसी द्वारा वर्ल्ड ड्रग्स रिपोर्ट 2020 जारी किया गया. इस रिपोर्ट में अवैध मादक पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति और सेवन पर कोरोना महामारी के प्रभाव के बारे में बताया गया है.

डीएनएस में आज हम आपको 'वर्ल्ड ड्रग्स रिपोर्ट 2020' के बारे में बताएंगे और साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ दूसरे अहम पहलुओं को भी…….

इस रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक दिक्कतों के चलते लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए दवाओं से जुड़े अवैध गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं. क्योंकि कोरोना महामारी के चलते लोगों की आर्थिक परिस्थितियां काफी बुरी तरीके से प्रभावित हुई हैं. रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि मौजूदा वैश्विक महामारी के चलते तमाम देशों की सरकारें दवाओं से जुड़े चिकित्सीय परीक्षणों के लिए अपने बजट पूर्वानुमान में कटौती कर सकती हैं। इसका परिणाम यह होगा कि लोग सस्ती और हानिकारक दवाओं के इस्तेमाल के लिए मजबूर हो सकते हैं।

इटली, नाइजर और मध्य एशिया के देशों में ड्रग तस्करी काफी भारी मात्रा में होती है लेकिन अभी हाल फिलहाल में, इन देशों में ड्रग तस्करी में भारी गिरावट देखने को मिला है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ड्रग तस्करों ने तस्करी छोड़ साइबर अपराध और नकली दवाओं के निर्माण जैसे दूसरे अपराधों में रुचि लेना शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ, मोरक्को और ईरान जैसे देशों में ड्रग तस्करी की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है।

कोरोना प्रसार को रोकने के लिए लगाई गई लॉकडाउन के चलते दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. जाहिर है कि उत्पादन-आपूर्ति श्रृंखला भी इससे अछूता नहीं है। इस कारण, इस रिपोर्ट में ऐसा अनुमान लगाया गया है कि एसिटिक एनहाइड्राइड (Acetic Anhydride) की आपूर्ति में कमी आ सकती है. बता दें कि इस रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल हेरोइन (Heroin) बनाने में किया जाता है। साथ ही, lock-down के दौरान भांग (Cannabis) की मांग में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आजकल ज्यादातर हवाई यात्रा पर प्रतिबंध चल रहा है. ऐसे में, हवाई मार्ग के जरिए ड्रग्स की तस्करी होने के अवसर बहुत कम ही है और संभावित है कि तस्करी के लिए समुद्री मार्गों का इस्तेमाल बढ़ जाए। मिसाल के तौर पर, हाल ही में हिंद महासागर क्षेत्र से बड़ी मात्रा में हेरोइन ज़ब्त की गई है. इससे पता चलता है कि यूरोप महाद्वीप के देशों में मादक पदार्थ हेरोइन की तस्करी के लिये समुद्री मार्गों का इस्तेमाल किया गया है। हालाँकि, सीमा पार आवाजाही रोकने से अफीम की तस्करी में गिरावट दर्ज हुई है लेकिन समुद्री रास्ते से कोकीन की तस्करी अभी भी जारी है।

बात अगर भारत की करें तो भारत मादक पदार्थों के अवैध व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक है। यहाँ ट्रामाडोल (Tramadol) और मेथाफेटामाइन (Methamphetamine) जैसे नए और भांग जैसे पुराने मादक पदार्थ मिल जाते हैं। भारत के एक तरफ पश्चिम में जहां गोल्डन क्रिसेंट (Golden crescent) मौजूद है तो वही दूसरी तरफ पूर्व में गोल्डन ट्रायंगल (Golden Triangle) मौजूद है. आपको बता दें कि गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र म्यांमार, लाओस और थाईलैंड के पहाड़ों का एक संयुक्त इलाका है। यहां के जरिए काफी लंबे समय से यूरोप और उत्तरी अमेरिका में ड्रग्स की आपूर्ति की जाती रही है। साथ ही, यह दक्षिण-पूर्व एशिया का एक प्रमुख अफीम उत्पादक क्षेत्र है। गोल्डन क्रिसेंट इलाके में अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान आते हैं। यहां अफीम का उत्पादन भारी मात्रा में होता है और आपूर्ति के लिहाज से भी यह एक अति सक्रिय क्षेत्र है.

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के इस संकट काल में तस्कर संगठनों ने तस्करी के अपने तरीकों में बदलाव किया है. इसलिए इन संगठनों की रणनीति में किए गए बदलाव को समझने की जरूरत है। तभी मादक पदार्थों की तस्करी पर लगाम लग सकता है. इसके अलावा, देश की सीमाओं से परे उन देशों में भी कोशिश किये जाने की आवश्यकता है जहाँ अवैध ड्रग्स का उत्पादन होता है।