(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है रोपेक्स जेटी प्रोजेक्ट? (What is ROPAX Jetty Project?)
हाल ही में भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने ओडिशा में धामरा नदी पर 110.60 करोड़ रुपये की रोपेक्स जेटी परियोजना (ROPAX Jetty Project) को विकसित करने की मंजूरी प्रदान की है।
डीएनएस में आज हम आपको रोपेक्स जेटी परियोजना के बारे में बताएंगे और साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को भी
भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने सागरमाला पहल के तहत ओडिशा के भद्रक जिले के कनिनली और केंद्रपाड़ा जिले के तलचुआ को जोड़ने के लिये हर मौसम में काम करने वाले रोपेक्स (रोल-ऑन/रोल-ऑफ पैसेंजर) जेटी और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे को विकसित करने हेतु स्वीकृति प्रदान की है। रोपेक्स जेटी परियोजना (ROPAX Jetty Project), ओडिशा में धामरा नदी पर बनेगी। बता दें कि धामरा भारत के ओड़िशा राज्य के भद्रक ज़िले में बहने वाली एक नदी है। यह चाँदबाली नगर के दक्षिण में ब्राह्मणी नदी और बैतरणी नदी के संगम से बनती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसके नदीमुख के उत्तर में धामरा बंदरगाह और दक्षिण में गहीरमथा बीच स्थित है, जो ओलिव रिडले कछुआ के अंडे देने की जगह होने के कारण काफी प्रसिद्ध है।
रोपेक्स जेटी परियोजना की कुल पूंजी लागत 110.60 करोड़ रुपये है जिसमें कनिनली और तलचुआ में रोपेक्स जेट्टी का निर्माण, पार्किंग क्षेत्र का विकास, नौवहन संबंधी सहायता और ड्रेजिंग जैसे उपयोगी बुनियादी ढांचे शामिल हैं। परियोजना की कुल लागत का 50 फ़ीसदी खर्च ओडिशा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
यह परियोजना, सड़क मार्ग के छह घंटे के सफर को जलमार्ग से कम कर एक घंटा कर देगी। प्रोजेक्ट की वजह से धामरा नदी के आसपास रहने वाले लोगों को रोजगार के अप्रत्यक्ष अवसरों की सुविधा मिलने की उम्मीद है. साथ ही यह परियोजना तलचुआ से धामरा तक सड़क की दूरी को 200 किलोमीटर कम कर देगी। यह परियोजना अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ यात्रियों और वाहनों की सुरक्षा को बढ़ाएगी। इस संपर्क से वाणिज्यिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और आसपास के क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
सागरमाला परियोजना के बारे में बताएं तो भारत सरकार ने साल 2016 में बंदरगाह विकास को बढ़ावा देने के मकसद से सागरमाला परियोजना की घोषणा की थी। हालांकि इस परियोजना की अवधारणा साल 2003 में ही बन चुकी थी. इस कार्यक्रम के तहत लगभग 6 लाख करोड़ रुपये की लागत से 574 से अधिक परियोजनाओं की 2015 से 2035 के दौरान कार्यान्वयन के लिए पहचान की गई है। यह परियोजना भारत में बंदरगाहों के आधुनिकीकरण से संबंधित है। इस परियोजना के कार्यान्वयन हेतु भारत सरकार के शिपिंग मंत्रालय को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।