(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है मल्टीपल मायलोमा, जिससे जूझ रही हैं एक्ट्रेस किरण खेर? (What is Multiple Myeloma?)
हाल ही में अभिनेता अनुपम खेर ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि उनकी पत्नी, बॉलीवुड अदाकारा किरण खेर, मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी से जूझ रही हैं. यह एक तरह का ब्लड कैंसर है। बता दें कि 68 वर्षीय अभिनेत्री का इलाज इस वक्त मुंबई में चल रहा है।
डीएनएस में आज हम आपको मल्टीपल मायलोमा के बारे में बताएंगे और साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में भी
मल्टीपल मायलोमा एक तरह का ब्लड कैंसर है। इसे "काहलर" की बीमारी
के रूप में भी जाना जाता है. यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो शरीर में प्लाज्मा कोशिकाओं
पर असर डालती है। भारत
में इसके मामले बहुत ज्यादा देखने में नहीं आते हैं, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि हर
साल वैश्विक स्तर पर मल्टीपल मायलोमा से लगभग 50,000 लोग पीड़ित होते हैं।
यह बीमारी शरीर में प्लाज़्मा यानी श्वेत रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित करती है. प्लाज्मा हमारे इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज का एक अहम हिस्सा है और आमतौर पर बोन मैरो में चारों ओर मौजूद होता है। स्वस्थ प्लाज़्मा कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने और एंटीबॉडीज़ को बनने में सहायक होती हैं, जबकि कैंसर से ग्रसित प्लाज्मा कोशिकाएं स्वास्थ्य कोशिकाओं पर जमा हो जाती हैं और असामान्य प्रोटीन बनाती हैं, जो संक्रमण से नहीं लड़ते और आगे चलकर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। मल्टीपल मायलोमा में भी यही होता है.
घातक कैंसर से ग्रस्त प्लाज़्मा कोशिकाएं "एम प्रोटीन" नामक एक ख़राब एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं, जो शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं मसलन ट्यूमर बनना, किडनी का खराब होना और हड्डियों को कमज़ोर होना आदि। जब मल्टीपल मायलोमा फैलने लगता है और कैंसर की कोशिकाएं कई गुना बढ़ जाती हैं, तो हमारे शरीर में सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स के लिए जगह नहीं बचती, और इसी वजह से संक्रमण बढ़ने लगता है। यानी यह कहा जा सकता है कि अगर शरीर में "एम प्रोटीन" बढ़ रहा है तो यह मल्टीपल मायलोमा होने का लक्षण हो सकता है।
रक्त कोशिका की क्षमता में कमी से एनीमिया, अत्यधिक रक्तस्राव, रक्त और किडनी के इंफेक्शन जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं। ऐसे में, इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। आमतौर पर मल्टीपल मायलोमा के लक्षणों में रीढ़/छाती के आसपास की हड्डियों में दर्द, भ्रम, लगातार संक्रमण होना और वज़न घटना एवं खाने में तकलीफ होने जैसे लक्षण शामिल हैं. इसके अलावा ज़रूरत से ज़्यादा प्यास लगना, शरीर में पानी की कमी महसूस होना, थकावट, पैरों में कमज़ोरी लगना, मतली और कब्ज सहित गैस्ट्रोइंटेसटाइनल संबंधी शिकायतें भी इसके लक्षणों में शुमार हैं।
सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मायलोमा शरीर में किस वजह से फैलता है। हालांकि, कैंसर के अन्य रूपों की तरह, मायलोमा भी हर व्यक्ति के लिए आनुवांशिक रूप से अलग हो सकता है। इसके ज्यादातर मामलों में शुरुआती टेस्ट में कैंसर होने का पता नहीं चल पाता, इसलिए किसी भी मरीज़ के लिए मल्टिपल मायलोमा को शुरुआती स्टेज में रिपोर्ट करना मुश्किल हो जाता है। जबकि दूसरी ओर देर से जांच कराने में भी दिक्कतें बढ़ती जाती हैं। हालांकि, एक ब्लड और यूरीन टेस्ट, बोन मैरो बायोप्सी, इमेजिंग, स्कैन्स, एक्स-रे और जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद से इसका पता चल जाता है।
इस बीमारी के इलाज के लिए अभी भी शोध जारी है क्योंकि इसके लिए कोई सिद्ध उपाय अभी मौजूदा वक्त में उपलब्ध नहीं है। अभी वर्तमान में इसमें स्टेम सेल थैरेपी से लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट, ट्रायल और थैरेपी ट्रीटमेंट प्लानस जैसे उपायों का सहारा लिया जा रहा है।