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Blog / 16 Aug 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) लेबनान संकट (What is Lebnon Crises?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) लेबनान संकट (What is Lebnon Crises?)



बेरुत में में 4 अगस्त को हुए धमाके के बाद जारी सियासी उठापटक में 11 अगस्त को लेबनॉन के प्रधानमंत्री हस्सान दिअब ने अपनी सरकार समेत इस्तीफे दे दिया....बेरुत में हुए बड़े धमाके की वजह से बेरुत में तबाही का मंज़र है। बेरुत में हुए धमाकों और देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों में आक्रोश है जिसकी वजह से देश में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है....

बता दें कि चार अगस्त को हुए विस्फोट में कम से कम 163 तरेसठ लोगों की मौत हुई थी और लगभग छह हजार लोग घायल हुए थे...धमाके की वजह बंदरगाह में बने वेयरहाउस में रखा 2000 टन अमोनियम नाइट्रेट था। इस धमाके की वजह से देश का मुख्य बंदरगाह नष्ट हो गया था और राजधानी बेरुत के बड़े हिस्से को नुकसान हुआ था। सरकारी अधिकारियों के अनुसार धमाके के सिलसिले में लगभग 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनमें लेबनान के सीमा-शुल्क विभाग का प्रमुख भी शामिल हैं।

आज के DNS में जानेंगे बेरूत में चल रहे राजनैतिक संकट के बारे में और साथ ही जानेंगे की क्यों लेबनॉन इस बुरे आर्थिक दौर से गुज़र रहा है जिसकी वजह से लोग सड़कों पर हैं

प्रधानमंत्री हसन दियाब ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए दिए गए भाषण में कहा की आज वे लोगों की इच्छाओं का सम्मान करते हुए दुर्घटना में ज़िम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ रहे है। प्रधानमंत्री दियाब का ये कदम धमाके के बाद लोगों में उबाल रहे गुस्से को देखते हुए उठाया गया कदम माना जा रहा है। इसी साल 21 जनवरी को लेबनान में एक नई सरकार बनी. यह एक ही पार्टी की सरकार है, जिसमें हिजबुल्लाह और उनके सहयोगी शामिल हैं और जो संसद में भी बहुमत में हैं. 30 अप्रैल को सरकार ने माना कि लेबनान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि वह अंतरराष्ट्रीय कर्ज चुकाने में चूक गया. इसके बाद से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और देश में आर्थिक सुधारों की योजना बनाई गई.

मई के मध्य में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ शुरु हुई बातचीत फिलहाल रुकी हुई है और जरूरी रकम का इंतजाम अभी नहीं हो सका है. इस संकट से निपटने के सरकार के तरीके के प्रति अपना विरोध जताते हुए 3 अगस्त को लेबनान के विदेश मंत्री ने इस्तीफा दे दिया. लेबनान पर 92 बानबे अरब डॉलर का कर्ज है जो कि उसकी जीडीपी के 170 फीसदी के आसपास है. देश की आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीती है और करीब 35 फीसदी लोग बेरोजगार हैं.....

राष्ट्रपति मिचेल ऑन ने इस्तीफ़ा कबूल करतेहुए दिअब की सरकार से नयी सरकार बनने तक कार्यवाहक के तौर पर कार्य करने के लिए कहा। गौर तलब है हसन दियाब की सरकार इसी साल की शुरुआत में ईरान के शक्तिशाली समूह हिज़्बुल्लाह के समर्थन से जनवरी में सत्ता पर काबिज़ हुई थी।

दियाब सरकार के इस्तीफे के एलान से पूर्व लगातार तीसरे दिन भी मध्य बेरुत में प्रदर्शन जारी रहे। इनमे से कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद कीओर जाने वाले प्रवेश द्वार पर खड़े सुरक्षा बालों पर पत्थर बरसाए जिसके जवाब में उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े

कई लेबनानियों को लगता है कि यह धमाका सरकारी सिस्टम के सड़ जाने का सबूत है. 1975 पचहतर -1990 के गृहयुद्ध के बाद से लेबनान सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इस कारण लाखों लोग गरीबी में धकेले जा चुके हैं. सरकारी मीडिया के मुताबिक गुरूवार को सुरक्षा बलों ने मध्य बेरूत में दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. कई दर्जन प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जुटे थे. नेशनल न्यूज एजेंसी के मुताबिक प्रदर्शन में कुछ लोग घायल हुए हैं.

बढ़ते भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन की वजह से हो रहे सरकार के खिलाफ विरोध और प्रदर्शन के चलते पूर्व प्रधानमंत्री साद हरीरी के साल 2019 में अक्टूबर माह में सत्ता छोड़ने के बाद करीब दो महीने बाद दियाब सरकार सत्ता में आयी

पंद्रह सालों तक गृहयुद्ध झेल चुका लेबनान पहली बार इतनी खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. 1975 पचहतर से 1990 तक लेबनान गृहयुद्ध की चपेट में रहा. इसके बाद भी दो दशक से लंबे समय तक सीरिया की सेनाएं देश में रहीं और लेबनान में अपना प्रभुत्व बनाए रखा. सन 2005 में लेबनान के तत्कालीन प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या से उपजी स्थिति देश के राजनैतिक और आर्थिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ लेकर आई....

इससे पहले गुरूवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने लेबनान का दौरा किया और कहा कि आने वाले दिनों में सहायता के लिए फ्रांस अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन राहत प्रयासों के लिए सम्मेलन आयोजित करेगा. उन्होंने वादा करते हुए कहा, "लेबनान अकेला नहीं है." साथ ही उन्होंने कहा कि देश को अरबों डॉलर के बेलआउट की सख्त जरूरत है और देश अक्टूबर से ही राजनीतिक संकट से घिरा हुआ है. उन्होंने कहा जब तक देश तत्काल सुधारों को लागू नहीं करता वह "डूबता ही रहेगा."

लेबनान के करीब 44 चौवालिस,000 लोगों ने एक ऑनलाइन याचिका देकर "फ्रांस को अगले 10 साल के लिए शासन करने का आग्रह किया गया है." अवाज नाम की वेबसाइट पर धमाके के बाद लोगों ने बुधवार को ऑनलाइन याचिका डाली थी. अवाज एक सामुदायिक याचिका वेबसाइट है. याचिका में लिखा गया है, "लेबनान के अधिकारियों ने साफ तौर पर देश को सुरक्षित और प्रबंधित करने में असमर्थता दिखाई है. विफल होता सिस्टम, भ्रष्टाचार, आतंकवाद के साथ देश अपनी अंतिम सांस तक पहुंच गया है. हम मानते हैं कि लेबनान को एक स्वच्छ और टिकाऊ शासन स्थापित करने के लिए फ्रांस के शासनादेश में होना चाहिए."

लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन और प्रधानमंत्री हसन दियाब ने इस हादसे के जिम्मेदार लोगों को जेल में डालने का वादा किया है. एक सैन्य अभियोजक ने कहा है कि बंदरगाह के 16 कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है. लेकिन संस्थानों पर देश की जनता का भरोसा कम है और कुछ लोग बेरूत की सड़कों पर निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. रोष और निराशा के बीच विस्फोट ने लोगों के बीच एकजुटता को बढ़ा दिया है....