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Blog / 01 Jun 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है डी-10 समूह? (What is D10 Group?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है डी-10 समूह? (What is D10 Group?)



ब्रिटैन इन दिनों 5जी तकनीक संपन्न 10 देशों के साथ मिलकर एक नया सहयोग संगठन बनाने पर विचार कर रहा है . इस संगठन का मकसद 5G तकनीक में चीन के वर्चस्व को चुनौती देना है खासकर यहाँ की टेलीकॉम कंपनी हुवावे को.

ब्रिटैन के इस समूह का नाम D10 रखा जायेगा. इस समूह में भारत के अलावा साउथ कोरिया , ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ G7 समूह के देश ब्रिटैन.,अमरीका इटली जर्मनी फ्रांस जापान और कनाडा भी शामिल होंगे.

D10 समूह बनाने का मकसद 5G तकनीक के सामान और इससे जुडी अन्य तकनीक विकसित करना है ताकि चीन से इसके बाबत निर्भरता ख़त्म की जा सके

यह कदम ऐसे वक़्त में उठाया गया है जबकि चीनी कंपनी हुवावे पर सुरक्षा के लिहाज़ से इलज़ाम लगने शुरू हो गए थे. गौर तलब है की ब्रिटैन ने अमेरिका द्वारा चीनी कंपनी हुवावे पर प्रतिबंध लगाने के बाद ये कदम उठाया है. सूत्रों के मुताबिक़ इस मसौदे को पहले ही अमरीका के साथ साझा कर लिया गया है .

मौजूदा वक़्त में नोकिया और ऐरिक्सन ही ऐसी कंपनियां हैं जो 5G तकनीक मुहैया कराने में सक्षम हैं लेकिन दोनों कंपनियां हुवावे के मुकाबले मंहगी हैं .इसके अलावा ये दोनों कंपनियां हुवावे के मुकाबले ज़्यादा समय भी लेंगी .ब्रिटैन ने हुवावे को सुरक्षा के लिहाज़ से हाई रिस्क आपूर्तिकर्ता का दर्ज़ा दिया है .

ये फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब पूरी दुनिया कोरोना वैश्विक महामारी की गिरफ्त में है .इस महामारी से पीड़ित देशों ने चीन पर इस वायरस को पूरी दुनिया में फैलाने का आरोप लगाते हुए इसे दरकिनार करने के लिए लामबंद होने का फैसला ले लिया है...गौर तलब है की ये जानलेवा वायरस चीन के वुहान प्रांत में सबसे पहले नज़र में आया था...ब्रिटैन ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार पर वुहान में इस वायरस के संक्रमण की शुरुआती जानकारी को दबाने का आरोप लगाया था.

संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवावे पर प्रतिबन्ध लगाए थे जिसमे कंपनी को अमेरिकी चिप बेचने पर भी रोक शामिल थी .प्रतिबन्ध की वकालत करते हुए अमेरिका ने कहा था की अमेरिका नहीं चाहता की चीन इस कंपनी के ज़रिये पश्चिमी देशों की जासूसी करे..

अमरीका द्वारा चीनी टेलीकॉम हुवावे पर प्रतिबंधों में बढ़ोत्तरी के बाद ब्रिटैन के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र ने कहा की उसके द्वारा (चीनी कंपनी के द्वारा) ब्रिटिश नेटवर्क पर पड़ने वाले असर का गहनतापूर्वक अध्ययन किया जा रहा है

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बीते हफ्ते ब्रिटैन के इंटरनेट तंत्र में चीनी प्रभाव को ख़त्म करने के मद्देनज़र एक मसौदा तैयार किया...उन्होंने कहा की ब्रिटैन 2023 तक पूरी तरह से ब्रिटैन के इंटरनेट अवसंरचना में चीन का दखल ख़त्म करना चाहता है....इसके अलावा उन्होंने देश में चीनी सामानों के इस्तेमाल पर भी पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाने की बात कही

गौरतलब है की अमेरिका पहले से ही ब्रिटैन पर चीनी कंपनी हुवावे को दरकिनार करने का दबाव बना रहा था ...अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने ब्रिटैन को चेताया था की अगर ब्रिटैन ने हुवावे के साथ रिश्ते ख़त्म नहीं किये तो अमेरिका ब्रिटैन की उन सारी सहूलियतों को रोक देगा जो उसे ख़ुफ़िया क्षेत्रों में दी जा रही हैं

फिलहाल D10 समूह बनाने के एलान के बाद दुनिया के पश्चिमी देशों ने ये ज़ाहिर कर दिया है की चीन के खिलाफ मुहीम में अमेरिका अकेले नहीं है .दुनिया के सभी देश अब कोरोना महामारी के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं .हालांकि एक बात साफ़ है कोरोना के बाद के विश्व में चीन की दादागिरी पर रोक लगाने में दुनिया के सारे मुल्क लामबंद हो गए हैं जिसमे D10 समूह सिर्फ एक शुरुआत है.