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Blog / 15 Feb 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)



पिछले हफ्ते गोवा वासी की संपत्ति के मामले में सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने कहा की गोवा में समान आचार संहिता पूरे देश के लिए एक अच्छा उदाहरण है । न्यायलय ने सुनवाई करते हुए कहा की समान अचार संहिता के बारे में हमारे संविधान निर्माताओं ने इसे पूरे देश में लागू करने का सपना देखा था लेकिन अभी तक इसके कार्यान्यवन पर पिछली सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया ।

समान अचार संहिता के बारे में आपको बताएं तो यह पूरे देश में सभी धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह तलाक संपत्ति और उत्तराधिकार इत्यादि के मामलों में एक समान कानून का प्रावधान करेगी। संविधान के अनुच्छेद 44 के मुताबिक़ राज्य भारत के सभी भागों में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता के लिए प्रयास करेगा।

संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता का प्रावधान है । संविधान के अनुच्छेद 37 में नीति निर्देशक तत्वों की परिभाषा दी गयी है जिसके अंतर्गत राज्य के प्रशासन को चलाने के लिए नीति निर्देशक तत्वों की अहम् भूमिका है ।जहाँ एक और संविधान के मूल अधिकारों के क्रियान्वन के लिए कोई व्यक्ति अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है तो वहीं संविधान के अनुच्छेद 44 के मुताबिक़ नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वन के लिए राज्य प्रयासरत रहेगा और ये राज्य की जिम्मेदारी होगी की इनका प्रयोग नीति निर्माण के नातर्गत किया जाए । संविधान के अनुच्छेद 43 में ये कहा गया है की राज्य एक उपयुक्त क़ानून के ज़रिये इन नीति निर्देशक तत्वों को नीति निर्माण में इस्तेमाल कर सकेगा।

इसमें कोई दोराय नहीं है की संविधान में मूल अधिकारों की अहमियत कहीं ज़्यादा है । सर्वोच्च न्यायलय ने 1980 में मिनेर्वा मिल्स मामले में कहा की भारतीय संविधान की नीव संविधान के भाग 3 के अंतर्गत मूल अधिकारों और भाग 4 में वर्णित नीति निर्देशक तत्वों के बीच स्थापित संतुलन पर राखी गयी है । किसी एक भाग को अधिक अहमियत देने का मतलब होगा की संविधान के सामंजस्य को नुक्सान पहुंचाना । साल 1976 में 42वे संविधान संशोधन के ज़रिये संविधान में एक नया अनुच्छेद 31 Cजोड़ा गया । इस अनुच्छेद के मुताबिक़ ये कहा गया की यदि किसी नीति निर्देशक तत्व के क्रियान्वन के लिए किसी कानून को सरकार बनाएगी तो इसे मूल अधिकार के अंतर्गत अनुच्छेद 14 और 19 के उल्लंघन के लिए कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी ।