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Blog / 19 May 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha)



दरअसल 1974 में अपना प्रथम परमाणु विस्फोट कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों के समकक्ष खड़ा होने वाला भारत विश्व का छठा देश बन गया। दरअसल भारत की आजादी के बाद कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिसने नेहरू के आदर्शवाद को छोड़कर भारत को एक सशक्त सैन्य शक्ति के रूप में बढ़ने हेतु प्रेरित किया। अगर देखें तो परमाणु शक्ति संपन्न होने की दिशा में 1945 से ही प्रयास होने लगे एवं होमी जहांगीर भाभा ने इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की नींव रखी गई। कश्मीर का मुद्दा, 1962 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण उसके उपरांत, चीन द्वारा परमाणु परीक्षण, 1965 में पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण ऐसी गतिविधियों ने भारत की एक तरफा शांति की नीति पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया था एवं भविष्य में ऐसी घटनाएं ना घटे उसके लिए भारत में परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनने में तेजी से कार्य करना प्रारंभ किया। इधर राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तन हुआ एवं इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी वही परमाणु कार्यक्रम की बागडोर होमी जहांगीर भाभा विक्रम भाई साराभाई से होते हुए प्रख्यात वैज्ञानिक राजा रामन्ना के हाथ में आ गई।

  • राजा रामन्ना के नेतृत्व में सीमित संसाधनों के द्वारा भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने के लिए 1967 से लेकर 1974 तक 75 वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने सात साल कड़ी मेहनत की जिसमे 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण का नेतृत्व करने वाले एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे।
  • 1972 में राजा रामन्ना की टीम ने परमाणु विस्फोट करने की दक्षता प्राप्त कर ली जिसे अंततोगत्वा इंदिरा गांधी द्वारा 1974 में हरी झंडी दी गई। भारत के प्रथम परमाणु परीक्षण के लिए जैसलमेर जिले के पोखरण में स्थित रेगिस्तान का चयन किया गया वहीं बुद्ध पूर्णिमा के दिन परमाणु परीक्षण करने के कारण इसे इस्माइल बुद्धा का नाम दिया गया। स्माइलिंग बुद्धा के तहत भारतीय वैज्ञानिकों की टीम ने सुबह आठ बज कर पांच मिनट पर अपने पहले परमाणु बम पोखरण का सफल परीक्षण कर कई देशों के चेहरे की स्माइल को हमेशा के लिए उड़ा दिया। विकसित देशों को एक पिछड़े और गरीब देश के द्वारा परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र होना रास नहीं आया और उन्होंने भारत पर काफी सारे प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि भारत ने दूसरे देशों को आश्वस्त किया कि इस परीक्षण का उद्देश्य शांतिपूर्ण विकास कार्यों को बढ़ावा देना है।
  • 24 वर्ष बाद पुनः अटल बिहारी वाजपेई ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के अपने चुनावी वादों के अनुरूप द्वितीय परमाणु परीक्षण की अनुमति दी एवं इस बार टीम का नेतृत्व डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कर रहे थे। कलाम की टीम में डॉक्टर अनिल काकोदर समेत आठ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक काम कर रहे थे। ऑपरेशन शक्ति के नाम से भारत ने पुनःपरमाणु परीक्षण किया। इस पर विकसित देशों के द्वारा प्रतिक्रिया स्वरूप भारत पर काफी सारी प्रतिबंध लगा दिए गए।
  • यद्यपि भारत अपने परमाणु परीक्षण से एक परमाणु शक्ति राष्ट्र बन गया किंतु इसमें अपनी शांति नीति को विश्व के समक्ष रखते हुए अपना अद्वितीय परमाणु सिद्धांत ‘नो फर्स्ट यूज’ पॉलिसी को प्रस्तुत किया।

‘नो फर्स्ट यूज’ पॉलिसी क्या है?

  • भारत की परमाणु नीति का मूल सिद्धांत- पहले उपयोग नहीं है, (No First Use) जो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग बनाता है। इस नीति के अनुसार भारत किसी भी देश पर परमाणु हमला तब तक नहीं करेगा जब तक कि शत्रु देश भारत के ऊपर हमला नहीं कर देता है।
  • भारत अपनी परमाणु नीति को इतना सशक्त रखेगा कि दुश्मन के मन में भय बना रहे।
  • दुश्मन देश के खिलाफ परमाणु हमले की कार्यवाही करने का अधिकार सिर्फ जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों अर्थात देश के राजनीतिक नेतृत्व को ही होगा जबकि नाभिकीय कमांड प्राधिकरण का सहयोग जरूरी होगा।
  • जिन देशों के पास परमाणु हथियार नही हैं उन देशों के खिलाफ भारत अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा।
  • यदि भारत के खिलाफ या भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई रासायनिक या जैविक हमला होता है तो भारत इसके जबाब में परमाणु हमले का विकल्प खुला रखेगा।
  • भारत परमाणु मुक्त विश्व बनाने की वैश्विक पहल का समर्थन करता रहेगा तथा भेदभाव मुक्त परमाणु निःशस्त्रीकरण के विचार को आगे बढ़ाएगा।