(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) 3 महीने के लिए कोई ईएमआई नहीं (No EMI for 3 Months)
जहाँ एक तरफ कोरोना वायरस का आतंक छाया हुआ है...वहीँ दूसरी और भारत सरकार भी अपनी ओर से हर मुमकिन कदम उठा रही है...जिससे इस वायरस से लड़ा जा सके .... जनता कर्फ्यू से लेकर लॉकडाउन तक...वहीँ लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम ज़िन्दगी पर असर पड़ा है...इसी बीच भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस संकट के बीच बड़ी राहत दी है...आरबीआई ने कोरोना वायरस से उपजे संकट की घड़ी में सभी तरह के कर्ज ब्याज में छूट देने की घोषणा की है....आरबीआई ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों को सावधिक कर्ज की किस्तों की वसूली पर तीन महीने तक रोक की छूट दे दी है....हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आरबीआई के गवर्नर कांत दास ने इस बात को सबके सामने रखा...आपको बता दें इससे कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
आजके DNS में हम बात करेंगे RBI के इस बड़े फैसले पर...समझेंगे रेपो रेट की मुख्य बिन्दुओं को.....
भारतीय रिजर्व बैंक ने कोरोना संकट के कारण सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए शुक्रवार यानि 27 मार्च को कई बड़े ऐलान किए। आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया कि वह तीन महीने तक सभी लोन की ईएमआई न वसूले। वहीं, रेपो रेट के साथ साथ आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में भी कटौती की है, जिससे कर्ज लेना भी सस्ता हो गया है। पुराने लोन पर आपकी ईएमआई कम हो जाएगी......
आरबीआई ने रेपो रेट में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर दी है और रेपो रेट 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया है....इसके बाद बैंकों को आरबीआई से सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकेगा.....वहीँ आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट भी 0.90 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है...आपको बता दें रिवर्स रेपो रेट वो दर है जिस पर आरबीआई शॉर्ट टर्म के लिए बैंकों से कर्ज लेता है.... बैंकों और NBFC एनबीएफसी को तीन महीने का मोरा-टोरियम दिया गया है. इसके तहत उन्हें कर्ज और ब्याज अदा करने में तीन महीने की छूट दी गई है और इसके जरिए बैंकों और एनबीएफसी को राहत दी गई है.....वहीँ आरबीआई ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके तीन प्रतिशत कर दिया गया है....आपको बता दें यह एक साल तक की अवधि के लिए किया गया है. इससे देश के बैंकिंग सिस्टम में करीब 1.37 लाख करोड़ रुपये आएंगे....साथ ही आरबीआई ने कहा कि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी कैप (एमएसएफ) 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत की गई है, इसके साथ ही नेट फंडिंग रेश्यो नियम को 6 महीने के लिए टाला जा रहा है...... आरबीआई ने लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) को 0.90 प्रतिशत घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है जिससे सिस्टम में और ज्यादा लिक्विडिटी का रास्ता साफ हो सकेगा….
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है?
आरबीआई बैंकों को जिस रेट पर कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते है...इसी आधार पर बैंक भी ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने से बैंकों को बड़ी राहत मिलती है. बैंक भी इसके बाद कर्ज को कम ब्याज दर पर ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं....
वहीँ रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में रिवर्स रेपो रेट काम आती है. नकदी बाजार में जब भी बहुत ज्यादा दिखाई देती है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, जिससे की बैंक ज्यादा ब्याज कमाने हेतु अपनी रकम उसके पास जमा करा दे....जाते जाते आपसे एक ही अनुरोध कोरोना को हराना है तो घरों में रहे बाहर न निकले , सरकार के निर्देशों का पालन करें ताकि इस युद्ध को जल्द से जल्द ख़त्म किया जा सके....