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Blog / 17 Feb 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) यूनाइटेड स्टेट ट्रेड रिप्रेजेन्टेटिव (यूएसटीआर) सूची (India's Removal from USTR Trade List)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) यूनाइटेड स्टेट ट्रेड रिप्रेजेन्टेटिव (यूएसटीआर) सूची (India's Removal from USTR Trade List)



यूनाइटेड स्टेट ट्रेड रिप्रेजेन्टेटिव USTR ने विकासशील और अलप विक्सित देशों की सूची को संशोधित करके भारत को विकासशील देशों की सूची से निकाल कर बाहर कर दिया है।

USTR ने अमेरिकी कॉउंटरवेलिंग ड्यूटी कानूनों के तहत आने वाले सबसे अलप विक्सित देशों की सूची को भी अपडेट किया है ।अन्य देश जिन्हे इस सूची से बाहर किया गया है उनमे थाईलैंड विएतनाम ब्राज़ील इंडोनेशिया और मलेशिया शामिल हैं।

ऐसा इसलिए किया गया है ताकि भारत समेत इन तमाम देशों को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस यानी जीएसपी का दर्जा ना दिया जा सके। यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रजेंटेटिव ने तो यहां तक कह दिया है कि जिन देशों का वैश्विक व्यापार में 0 .5 फीसदी से ज्यादा हिस्सा होता है ऐसे देशों को काउंटरवेलिंग ड्यूटी के नियमों के तहत विकसित देशों की श्रेणी में रखा जाता है। भारत भी ऐसे ही देशों की सूची में शामिल हो चुका है।

विकासशील और अल्पविकसित देशों की USTR सूची क्या है

उरुग्वे समझौते के दौरान अमेरिकी कांग्रेस ने CVD कानून में संशोधन किया था । यह संशोधन विश्व व्यापार संगठन के तहत सब्सिडीज़ और कॉउंटरवेलिंग मेज़र्स पर हुए समझौते में अमेरिकी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए किया गया था ।SCM समझौते के तहत विक्सित देशों का दर्ज़ा न पाने वाले देशों के साथ कॉउंटरवेलिंग कानूनों के तहत ख़ास बर्ताव किया जाता है।

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को भारत दौरे पर होंगे। इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति ने भारत को विक्सित देशों की सूची में डालकर भारत को चिंता में डाल दिया है। भारत के जीएसपी में वापस न आने पर उसे 45 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। वहीं अगर भारत विकसित देशों की श्रेणी में आता है तो दुनिया की अर्थव्यस्था में उसकी जड़े और ज्यादा मजबूत होंगी।

क्या वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी ही सही पैमाना है

यूएसटीआर के कुछ आंकड़ों पर नजर दौड़ाते हैं और समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर विकसित देश घोषित करने का पैमाना वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी क्या वाकई सही है। यूएसटीआर का मानना है कि जिन देशों का वल्र्ड ट्रेड में हिस्सा 0 .5 फीसदी या उससे अधिक है, यूएसटीआर उन्हें अमरीकी सीवीडी नियम के तहत विकसित देश मानती है।

यूएसटीआर आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में भारत का वैश्विक निर्यात में 1 .67 फीसदी और वैश्विक आयात में 2 .57 फीसदी हिस्सा था। जानकारों के मुताबिक़ अमरीका के इस कदम के पीछे उसका निहित स्वार्थ है।

करीब 40 हजार करोड़ की वस्तुओं पर लगती थी जीएसपी

भारत से अमरीका को निर्यात होने वाले सामान में करीब 40 हजार करोड़ के सामान पर ही जीएसपी की सुविधा लागू होती थी। अमरीका की ओर से मिलने वाले इस जीएसपी स्टेटस को पाने वाला भारत दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक था।

दोनों देशों के बीच वर्ष 2017 के हिसाब से 126।2 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। अगर इसे भारतीय रुपयों के हिसाब से देखें तो 8।9 लाख करोड़ रुपए के आसपास बन रहे हैं। वहीं इसमें भारत की भागेदारी 76।7 बिलियन डॉलर यानि 5।43 लाख करोड़ रुपए की है। वहीं अमरीका की हिस्सेदारी 49।4 बिलियन डॉलर यानि 3।5 लाख करोड़ रुपए की है।

क्या है जीएसपी?

आसान शब्दों में जीएसपी को सामान्य कर-मुक्त प्रावधानों के तौर पर समझा जा सकता है। साल 1976 में अमेरिका ने इसकी शुरुआत विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के मक़सद से की थी। इसके तहत कुछ चुनिंदा सामानों के ड्यूटी-फ्री इम्पोर्ट की अनुमति दी जाती है। इसका मतलब, जीएसपी के तहत अमेरिका भारत से जिन सामानों का आयात करेगा उन पर टैक्स नहीं लगाया जाएगा। अभी तक 129 देशों को करीब 4,800 सामानों के लिए जीएसपी के तहत फायदा मिला है।गौरतलब है कि भारत जीएसपी का सबसे बड़ा लाभार्थी देश है। साल 2017 में अमेरिका में आयात पर कुल 21.1 अरब डॉलर का शुल्क माफ किया गया था, जिनमें 5.6 अरब डॉलर का लाभ अकेले भारत को मिला था।