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Blog / 02 Aug 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (India's New Education Policy 2020)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (India's New Education Policy 2020)



केंद्रीय कैबिनेट ने बीते बुधवार को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंज़ूरी दे दी। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। शुरुआत में इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया। नई शिक्षा नीति के मसौदे में इसे फिर से शिक्षा मंत्रालय नाम देने का सुझाव दिया गया था। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल निशंक ने इसकी घोषणा करते हुए कहा की सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक नियामक संस्था होगी साथ ही एम फिल को हटा दिया जायेगा

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षा क्षेत्र में कई मुद्दों का समाधान करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नई नीति से युवाओं के लिए उच्च शिक्षा लेना आसान हो जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 1986 में अपनाया गया था और अंतिम बार इसे 1992 में संशोधित किया गया था।

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने नई शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं। एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को अमली जामा पहनाने के लिए बड़े स्तर पर सलाह ली गयी । इसके लिए देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक और 676 जिलों से सलाह ली गयी । लोगों से नई शिक्षा नीति में बदलाव के बाबत राय ली गयी । गौर तलब है की इस सर्वेक्षण में तकरीबन सवा 2 लाख सुझाव आए थे। उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थी।

उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50 फीसद सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य रखा गया है। इसमें एकाधिक प्रवेश/ निकास का प्रावधान शामिल है।

नई शिक्षा नीति में 10+2 के प्रारूप को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 प्रारूप में ढाला गया है। अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार साल (कक्षा 9 से 12)। इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान वर्ग का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं।

उच्‍च शिक्षा के मद्देनज़र कई सुधार किए गए हैं। सुधारों में ग्रेडेड अकैडमिक, प्रशासनिक और वित्‍तीय स्‍वायत्‍त्‍तता आदि शामिल है। नई शिक्षा नीति और सुधारों के बाद 2035 तक 50 फीसद सकल नामांकन अनुपात या ग्रॉस एनरोलमेंट राशन पाने का लक्ष्य रखा गया है

मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी। नए सिस्टम में ये रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी। 4साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया गया

नई शिक्षा नीति में सभी उच्च शिक्षा के लिए एक एकल नियामक (सिंगल रेग्युलेटर) का गठन किया जाएगा। कई 'निरीक्षणों' के स्थान पर अनुमोदन के लिए स्व प्रकटीकरण आधारित पारदर्शी प्रणाली के तहत काम करना शामिल है।क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे। एक नेशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा। देश में 45,000 कॉलेज हैं। ग्रेडेड स्वायत्तता के तहत कॉलेजों को शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता दी जाएगी।

नए सुधारों में तकनीकी और ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया गया है। अभी हमारे यहां डीम्ड विश्वविद्यालय , केंद्रीय विश्वविद्यालय और स्वशाषी संस्थानों के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई शिक्षा नीति के तहत सभी के लिए नियम समान होगा।

बोर्ड परीक्षाओं के महत्व के कम किया जाएगा। इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी। कक्षा 5 तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा। रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी।

नई शिक्षा नीति में लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि GDP का 6 फीसद शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43 फीसद है। अमेरिका की NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर हम NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) लाया जायेगा । इसमें न केवल विज्ञान बल्कि सामाजिक विज्ञानं भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे आने में मदद करेगा।

सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा ली जाएगी जिसे NTA आयोजित करेगा। ये परीक्षा वैकल्पिक होगी न की ज़रूरी। इसके अलावा नै शिक्षा नीति में सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में संगीत कला और साहित्य के विषय पढ़ाये जाएंगे

नई शिक्षा नीति में दुनिया की नामी 100 विश्वविद्यालय एक नए कानून के तहत भारत में अपने कैंपस खोल पाएंगे। इन विश्वविद्यालयों को स्वायत्त विश्विद्यालयों की तरह ही सहूलियतें दी जाएंगी।

विद्यालयों में संस्कृत को भाषा के तौर पर और बढ़ावा दिया जाएगा। तीन भाषाओँ के तहत संस्कृत भाषा को भी विद्यालयों और उच्च शिक्षा में वैकल्पिक भाषा के तौर पर शामिल किया जायेगा।

2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को बहुविषयक संस्थानों में बदलने का महत्वकांशी लक्ष्य रखा गया है जिसमे 3000 हज़ार या इससे ज़्यादा छात्र शिक्षा पाएंगे। इस शिक्षा नीति के तहत 2030 तक हर ज़िले में कम से कम एक बहुविषयक उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस नयी शिक्षा नीति की सबसे अहम बात ये है की इसमें रोज़गारपरक शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया गया है। इसके तहत रोज़गारपरक शिक्षा को सभी विद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में अगले दशक के दौरान धीरे धीरे लागू किया जायेगा। 2025 तक कम से कम 50 फीसदी छात्रों को इन विद्यालयों या उच्च शिक्षा संस्थानों में रोज़गार से सम्बंधित शिक्षा मुहैया कराई जा सकेगी।

इस नयी शिक्षा नीति को लाने से बेशक भारतीय शिक्षा की बदहाली में सुधार आने की उम्मीद है लेकिन ये तभी मुमकिन है जब इनका कार्यान्यवयन सही तरीके से हो। भारत जैसे देश में जहां शिक्षा की बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है हर 24 छात्रों पर 1 अध्यापक मौजूद है जबकि ब्रिक्स देशों में ये आंकड़ा कहीं बेहतर है। इसके अलावा कई शिक्षा नीतियों के बावजूद हज़ारों छात्र छात्रयें शिक्षा पाने में असमर्थ हैं। इसके अलावा विद्यालयों में आ रहे सरकारी पैसे का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार भी कोई नयी बात नहीं। इस सबको देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा की नयी शिक्षा नीति की घोषणा शिक्षा के सुधार की तरफ सिर्फ पहला कदम है।