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Blog / 09 Jul 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) धर्म चक्र दिवस (Dharma Chakra Day)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी)  धर्म चक्र दिवस (Dharma Chakra Day)



भारत के संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के साथ मिलकर के 4 जुलाई यानि असाढ़ पूर्णिमा के मौके पर धर्म चक्र दिवस का आयोजन किया .....समारोह की शुरुआत वाराणसी में सारनाथ से हुई....कार्यक्रम का शुभारम्भ मंत्रोच्चार से हुआ....जिसके बाद इस आयोजन को राष्ट्रपति भवन स्थानांतरित किया गया....भारतीय सौर केलिन्डर के अनुसार आसाढ़ पूर्णिमा का पावन दिन आसाढ़ मॉस की पूर्णिमा को पड़ता है....श्रीलंका में इस पर्व को इसला पोया जबकि थाईलैंड में इसे असंहा बचा के नाम से जाना जाता है...

बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा और वेसाक के बाद ये सबसे पावन पर्व है , माना जाता है की इसी दिन ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने अपने पहले 5 अनुयायियों या पंचवर्गीका को ऋषिपत्तन में डियर पार्क में पहला उपदेश दिया था...ऋषिपत्तन को ही मौजूदा वक़्त में सारनाथ के नाम से जाना जाता है.....बुद्ध के इस उपदेश को पाली भाषा में धम्म चक्का पवत्तनसुता और संस्कृत भाषा में धर्म चक्र प्रवर्तन सूत्र के नाम से जाना जाता है . यह बौद्ध धर्म के 4 आर्य सत्यों और आष्टांगिक मार्ग पर आधारित है....

संघ में रहने वाले सन्यासियों और बौद्ध भिक्षुणियों के वर्षा ऋतू निवर्तन या वर्षा वस्सा की भी शुरुआत भी इसी दिन से होती है जो जुलाई माह से अक्टूबर माह तक चलता है .इसके दौरान बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणियाँ चैत्य या विहार में प्रवास करते हैं.....इस प्रवास में ये ब्रह्मचर्य और ध्यान में लीन रहते हैं.....

हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों में ही इस दिन को गुरु पूर्णिमा के तौर पर देखा जाता है .गुरु पूर्णिमा हिन्दू धर्म में महान ऋषि वेद व्यास को समर्पित है जिन्होंने महाभारत जैसे महाकाव्य और 18 पुराणों की रचना की थी.... जबकि बौद्ध धर्म में यह दिन महात्मा बुद्ध द्वारा पहला प्रवचन देने के लिए प्रसिद्द है....बौद्ध धर्म पिछले कुछ दिनों से एशिया की भू राजनीति में एक अहम हिस्सा बन चूका है . यह साफ तौर पर ज़ाहिर है की बौद्ध धर्म के ज़रिये क्षेत्र की राजनीति को नया आयाम दिया जा सकता है....चीन के साथ बढ़ रहे तनाव के बीच धर्म चक्र दिवस को मनाकर भारत ने बौद्ध धर्म की विरासत पर अपनी मज़बूत पकड़ को कायम रखा है . इस आयोजन के दौरान चीन के अलावा बाकी सभी बौद्ध देशों की मौजूदगी रही . इन सभी देशों ने इस कार्यक्रम में आभासी तौर पर मौजूदगी दर्ज़ कराई .

केंद्रीय तिब्बत प्रशासन ने सभी तिब्बती बौद्ध अनुयायियों को इस ऑनलाइन आयोजन में बड़ी से बड़ी तादाद में शामिल होने की गुज़ारिश की गयी थी....केंद्रीय तिब्बती प्रशासन भारत के धर्मशाला स्थित मैक्लॉयड गंज स्थित एक संस्था है . इसे निर्वासित की गयी तिब्बती सरकार के तौर पर भी देखा जाता है जिसे चीन सरकार अभी तक मान्यता नहीं देती केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का मानना है की तिब्बत एक स्वायत्त और आज़ाद राष्ट्र है जिसका आज़ादी का एक लम्बा इतिहास है....इस संस्था का मानना है की चीन द्वारा तिब्बत पर किया गया कब्ज़ा अवैध रूप से किया गया सैन्य कब्ज़ा है .राजनैतिक समर्थन के अलावा यह संस्था भारत में तिब्बती लोगों के लिए स्कूल और अन्य सांस्कृतिक आयोजन करती है...