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Blog / 19 Feb 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) दारा शिकोह की कब्र - एक अनसुनी दास्तान (Dara Shikoh : A Forgotten Tale)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) दारा शिकोह की कब्र - एक अनसुनी दास्तान (Dara Shikoh : A Forgotten Tale)



भारत के इतिहास में मुग़ल काल का अपना ही वर्चस्व और भारत के इतिहास में बेहद ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है....भारत में मुग़ल काल सांस्कृतिक समृद्धि और नैतिक परिवर्तन लाया....उसी काल का एक अंश हसी....दारा शिकोह, जो इतिहास के पन्नों का अब भुला बिसरा नाम बन गया है.......

आज DNS में हम इतिहास के इसी पन्ने के बारे में बात करेंगे...

क्यूँ है आज चर्चा की ज़रूरत...

दरहसल मोदी सरकार अब मुग़ल बादशाह औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह की कब्र खोजने में जुटी है......आपको बता दें हुमायूं के मकबरे के पास मुगल शासकों की पहली कब्रगाह है....यहां 140 कब्रें हैं लेकिन इन कब्रों में दारा शिकोह की कब्र खोजना आसान नहीं है...

शहाजहाँ और मुमताज के लाडले और ओरंगजेब के बड़े भाई...दारा शिकोह एक माहन बोद्धिक और दार्शनिक व्यक्तिव्य.....जिन्होंने गीता का फारसी में अनुवाद किया था....उन्होंने 52 (बावन )उपनिषदों का भी अनुवाद किया था.,..अब सरकार शिकोह की कब्र खोज कर...उनके इतिहास को बताकर उसे हिन्दुस्तान का 'सच्चा मुसलमान' साबित करना चाहती है, जो भारतीय संस्कृति से बहुत प्रभावित थे.... केंद्र सरकार ने इसके लिए 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है....कमेटी को तीन महीने के अन्दर दारा शिकोह की कब्र खोजनी है.....यह काम इतना आसान नहीं है, क्योंकि यहां बड़ी तादाद उन कब्रों की है, जिसपर कोई नाम नहीं लिखा है...शाहजहांनामा में लिखा है कि औरंगजेब से हारने के बाद दारा शिकोह का सिर काटकर आगरा किले में भेजा गया था और बाकी को हुमायूं के मकबरे के पास कहीं दफनाया गया था... यहां ज्यादातर कब्रों पर किसी का नाम नहीं लिखा है. यह सारी कब्रें मुगल शासकों के रिश्तेदारों की हैं...इसीलिए दारा शिकोह की कब्र खोजना आसान नहीं है.... दारा शिकोह की कब्र खोजने वाली टीम में डॉक्टर आर.एस. भट्ट, के.के. मोहम्मद, डॉक्टर बी.आर. मनी, डॉक्टर के.एन. दत्त, डॉक्टर बी.एम. पांडेय, डॉक्टर जमाल हसन और अश्विनी अग्रवाल शामिल हैं....बीते दिनों खुद केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल हुमायूं के मकबरे पर गए थे...उसके बाद दारा शिकोह की कब्र खोजने के मामले में तेजी आ गई है...

व्यकतित्व

दारा शिकोह – जिनका जन्म 20 मार्च 1615 में अजमेर में हुआ... जब वह 12 साल के थे, तब उनके पिता शहाँजहाँ (ख़ुर्रम) ने राज गद्दी सम्भाली;.....सन 1633 में, दारा शिकोह ने अपने चचेरे भाई नादिरा बानो से शादी की और फिर कभी शादी नहीं की... कम उम्र में, उन्हें हर शाही मुगल राजकुमार के रूप में सैन्य कमांडर बनाया गया था... 1652 में, वह काबुल और मुल्तान के गवर्नर बने....शायद उतने सफल सैनिक नही थे जितने एक दार्शनिक और बौद्धिक व्यक्ति थे..

दारा शुकोह ने ना सिर्फ इस्लाम बल्कि विभिन्न धर्मों के बारे में पढ़ने में दिलचस्पी थी.. उन्हें संस्कृत भाषा का भी ज्ञान था....इन्होने गीता का फर्स्मी में अनुवाद किया था...

दारा शुकोह सूफीवाद के कट्टर अनुयायी और बेहद ही सहनशील व्यक्तित्व के थे.....वह एक रहस्यवादी और कवि थे...

दारा शुकोह ने कई किताबें लिखीं...जिसमे सबसे प्रसिद्ध "मजमा-उल-बहरीन" है...इसका मतलब है..'दो समुद्रों का संगम’..

दारा शिकोह और औरंगज़ेब

यूँ तो दारा शिकोह , औरंगज़ेब के बड़े भाई थे...लेकिन तख़्त पाने की ख्वाइश ने दोनों को दुश्मन बना दिया....

शाहजहां ने अपने चारों बेटे दाराशिकोह, शाहशुजा, औरंगजेब और मुराद बख़्श के आपस में टकराव से परेशान थे...बेटों के झगड़ों से परेशान शाहजहां ने चारों को चार सूबे सौंप दिए. दारा शिकोह को काबुल और मुल्तान शुजा को बंगाल, औरंगजेब को दक्खिन और मुरादबख्श को गुजरात की सत्ता सौंपकर सबको अलग-अलग कर दिया.....

देवराई का युद्ध

शाहजहाँ के बीमार होने के बाद, उनके बेटों के बीच...सत्ता संघर्ष शुरू हो गया...मई 1658 में सामूगढ़ की लड़ाई में, दारा शुकोह को उसके भाइयों औरंगजेब और मुराद ने हराया था....औरंगजेब ने तब अपने पिता कोकिले में ही कैद कर लिया और सत्ता संभाली....जिसकी वजह से दारा शुकोह को आगरा से पीछे हटना पड़ा....और फिर वो सिंध में थाटा के रास्ते काठियावाड़ चला गया.....ये बार फिर औरंगज़ेब से दारा शरोह, देवराई में युद्ध में मिला जहाँ वह फिर से हार गया....इस हार के बाद, वह सिंध चले गए और एक अफगान सरदार की शरण ली....ये दारा का दुर्भाग्य ही था...जो सरदार ने उसे धोखा दिया और उसे औरंगजेब के सैनिकों को सौंप दिया....

ऐसा माना जाता है कि दारा को दिल्ली लाया गया जिसके बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया.....जिसके बाद उन्हें अगस्त 1659 को गला काट कर मार दिया गया...दारा की गर्दन को औरंगजेब के पास आगरा भेजा गया....और औरंगजेब के आदेश पर दारा के धड को हुमायूं के मकबरे मे दफना दिया गया.

और इसी तरह अंत हो गया इतिहास के उस पन्ने का...

मोजूदा सदी में दारा शिरोह के नाम से सबको परिचय कराने के लिए....फरवरी 2017 में New Delhi Municipal Corporation द्वारा Dalhousie Road का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड कर दिया गया....और अब उनके कब्र की ख़ोज हमे इतिहास के उस खोये हुए नाम से दोबारा जोड़ेगा...