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Blog / 20 May 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चक्रवात अम्फान बना सुपर साइक्लोन? (Cyclone Amphan becomes Super Cyclonic Storm?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चक्रवात अम्फान बना सुपर साइक्लोन? (Cyclone Amphan becomes Super Cyclonic Storm?)



ज़रा गौर कीजिये जहां भारत सरकार एक ओर सोशल डिस्टन्सिंग और दो गज़ की दूरी का नारा दे रही है ताकि कोरोना जैसी भीषण महामारी से खुद को महफूज़ रखा जा सके....अगर ऐसे वक़्त पर भारत को एक भीषण चक्रवाती तूफ़ान का सामना करना पड़े तो क्या होगा ? सोशल डिस्टन्सिंग जैसी शर्तों का पालन हो पायेगा?

जी हाँ भारत इस वक़्त ऐसी ही चुनौती से निपटने की ज़द्दोज़हद में लगा हुआ है.. इस वक़्त ओडीशा पश्चिम बंगाल समेत भारत के पूर्वी राज्यों पर चक्रवाती तूफान 'एम्फन' का खतरा मंडरा रहा है । ये खतरा इसलिए भी ज़्यादा है क्‍योंकि ये एक सुपर साइक्‍लोन है। सुपर साइक्लोन या महा चक्रवात आम तौर पर काफी दिनों के बाद आते हैं लेकिन जब भी आते हैं अपने साथ लेकर आते हैं भारी विनाश। सुपर साइक्लोन के चलते हज़ारों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं और लाखों बेघर हो जाते हैं।

आज के DNS में जानेंगे क्या होते हैं सुपर साइक्लोन और किस तरह बनते हैं ये। इसके अलावा इनसे होने वाली तबाही कितनी भीषण हो सकती है। साथ ही जानेंगे भारत में इस तरह के चक्रवातों के इतिहास के बारे में।

भारत में इस सदी का पहला सुपर साइक्लोन 'अम्‍फान’ आज समुद्र तट से टकराएगा. मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कई इलाकों के लिए चेतावनी जारी की है। इन इलाकों में बारिश शुरू हो गई है और शाम तक हवा की रफ्तार भी डेढ़ सौ किलोमीटर प्रति घंटे को पार कर जाएगी. जबकि हवा की रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है. हालांकि आज यानि 20 मई की सुबह मौसम विभाग की तरफ से कहा गया था कि ये तूफान थोड़ा कमजोर पड़ गया है. लेकिन एक बार फिर से इसकी रफ्तार बढ़ गई है. इस तूफान का असर ओडीशा और पश्चिम बंगाल समेत पूर्व के कई राज्यों पर पड़ेगा. मौसम विभाग ने ये भी कहा है की इस तूफ़ान के चलते पश्चिम बंगाल में मौजूद सुन्दर बन को भारी नुक्सान पहुँचाने की उम्मीद है। अम्फान का को 'उम-पन' भी कहा जाता है जिसका मतलब आसमान है....इसको साल 2004 में थाईलैंड ने नाम दिया था...इसके बाद आने वाले तूफानों के नाम भी रख दिए गए हैं जिनमे बांग्लादेश का सुझाया नाम निसर्गा, भारत का सुझाया नाम गति , ईरान का रखा नाम नीवर , मालदीव का रखा नाम बुरेवी , म्यांमार का रखा नाम तौकटे,और ओमान का रखा नाम यास हैं.

सुपर साइक्लोन में चलने वाली हवा की रफ़्तार आम तौर पर 200 किमी प्रति घंटे से भी तेज हो सकती है....भारत में इससे पहले इस तरह का सुपर साइक्‍लोन साल 1999 निन्यानवे में आया था....इस सुपर साइक्लोन के चलते 10,000 लोगों की मौत हो गई थी...भारत सरकार ने उस वक़्त इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था....गौर तलब है की 3 नवंबर, 1970 को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिम बंगाल में भोला नाम का सुपर साइक्‍लोन आया था....इस चक्रवात को अब तक आये सबसे खतरनाक तूफानों में शुमार किया जाता है....इसमें करीब पांच लाख लोगों की मौत हुई थी और इस दौरान चलने वाली हवा की रफ्तार तकरीबन 240 किलोमीटर प्रति घंटे की थी.....इस तूफ़ान में लाखों की संख्या में लोग बेघर हो गए थे और भीषण तबाही हुई थी....

नेशनल साइक्‍लोन रिस्क मिटीगेशन प्रोजेक्‍ट (NCRMP) के मुताबिक कटक, पुरी और बालासोर में 1891 इक्यानवे से 2002 के बीच करीब 83तिरासी बार चक्रवाती तूफान आ चुका है....इसमें यहां पर आने वाले सुपर साइक्‍लोन भी शामिल हैं।

साइक्‍लोन को दरअसल में कई चरणों में बांटा जाता है जिसके आधार पर इन्‍हें साइक्‍लोन या सुपर साइक्‍लोन की संज्ञा दी जाती है।आम तौर पर आने वाले चक्रवाती तूफान के दौरान चलने वाली हवा की रफ़्तार 34 चौंतीस से 47 सैंतालिस किलो नॉट्स या 62 बासठ से 88 अट्ठासी किमी प्रति घंटा हो सकती है। दूसरी तरफ इससे शक्तिशाली चक्रवाती तूफान के दौरान चलने वाली हवा की रफ्तार 48 अड़तालीस से 63 तिरेसठ किलो नॉट्स या 89 नवासी से 118 किमी प्रतिघंटा होती है....

तीसरी श्रेणी में और अधिक शक्तिशाली चक्रवाती तूफान आते हैं जिनमें हवा की रफ्तार 64 चौसठ से लेकर 119 किलो नॉट्स या 119 से 221 किमी प्रतिघंटे की गति से हवाएं चलती हैं....चौथी और आख़िरी श्रेणी सुपर साइक्‍लोन की होती है जिसमें हवा की रफ्तार 221 किमी प्रति घंटे से भी तेज होती है

भारत में साइक्‍लोन की बात करें तो इनका इतिहास काफी लंबा रहा है। साल 2009 में पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में 'आइला' नामक चक्रवाती तूफान आया था। इसकी वजह से 300 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 10 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे। वहीं 2019 में यहां पर 'फणि' साइक्लोन भी आया था। हालांकि ये दोनों ही सुपर साइक्‍लोन की श्रेणी के नहीं थे, लिहाजा इस बार भारत के पूर्वी तट पर एम्‍फन का खतरा अधिक है। जानकारों की मानें तो इस एक दशक के दौरान भारत ने काफी तरक्‍की की है। वहीं सरकार द्वारा समय पर लिए गए फैसलों से भी जानमाल की हानि को कम करने में सफलता मिली है। इस बार भी एम्‍फन को लेकर सरकार और एनडीआरएफ पूरी तरह से अलर्ट पर है।

यूँ तो भारत जैसे देश में तटीय राज्य हर साल किसी छोटे या बड़े चक्रवाती तूफ़ान से जूझते हैं लेकिन इस साल आने वाला ये तूफ़ान ज़्यादा लोगों को अपना निशाना बना सकता है। इसकी वजह है भारत में फ़ैली वैश्विक महामारी कोरोना। कोरोना में लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सख्त हिदायत है।

ऐसे में इस चक्रवाती तूफ़ान की वजह से लोगो के एक दुसरे के संपर्क मी आने की सबसे ज़्यादा गुंजाईश है जिससे इस संक्रमण के और ज़्यादा फैलने की संभावना है। इसके अलावा अधिकतर पुलिस और सुरक्षा बलों को भी इस वैश्विक माहमारी के चलते देश के अलग अलग भागों में तैनात किया गया है। देश में हो रहे प्रवासी मज़दूरों के पलायन की वजह से भी यह समस्या और विकराल हो सकती है। इन सारी चुनौतियों के मद्देनज़र भारत सरकार इस सुपर साइक्लोन से कैसे निपटेगी इसका जवाब तो आने वाला वक़्त ही देगा।