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Blog / 18 Dec 2018

(Daily News Scan - DNS) पर्यावरण आजकल: घातक हवा (ICMR Report)

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(Daily News Scan - DNS) पर्यावरण आजकल: घातक हवा (ICMR Report)


मुख्य बिंदु:

कुछ दिन पहले भारत में बढ़ते प्रदूषण पर ICMR यानी इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में देश के अलग -अलग राज्यों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों, बीमारियों और लोगों के कम होते जीवन का आंकलन किया गया है।

ये रिपोर्ट ICMR, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया, इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड एवोलुशन और स्वास्थ्य मंत्रालय की संयुक्त पहल पर आधारित था जिसके अध्ययन के लिए उपग्रह के चित्रों, और एयर मोनेटरिंग स्टेशनों से वायु गुणवत्ता सबंधी आंकड़े जुटाए गए थे।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ICMR विश्व के सबसे पुराने आयुर्विज्ञान संस्थानों में से एक हैं जोकि भारत में मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा देने का काम करती है। ये संस्था भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन काम करती है । ये संस्था स्वास्थ्य सुरक्षा वितरण हेतु बेहतर नीतियों का विकास, वायरल रोगों पर नियंत्रण और उनके इलाज के साथ पर्यावरण से सम्बंधित स्वास्थ्य समस्याओं पर लगाम लगाने जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपना योगदान देती है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक जितना खतरा तम्बाकू या धूम्रपान के सेवन से होता है लगभग उतना ही नुकसान वायु प्रदूषण के जरिये भी होता है। ICMR रिपोर्ट के अनुसार साल2017 में 8 लोगों में से 1 की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई है जिससे करीब 12 लाख से अधिक लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है ।

विश्व की जनसँख्या में 18 % फीसदी हिस्सेदारी वाले भारत में लगभग 26 % मौतें वायु प्रदूषण से ही होती हैं जिसमें 70 साल की उम्र तक वाले लोग शामिल हैं। मौजूदा वक़्त में भारत की लगभग 77 फीसदी आबादी वायु प्रदूषण से ग्रसित है जिनमे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और दिल्ली के आस पास वाले राज्यों में वायु प्रदूषण का प्रकोप सबसे ज़्यादा है।

इसके अलावा इस रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के कारण हुई सबसे ज़्यदा मौतों वाले राज्यों का भी अध्ययन किया गया है - जिसमें 2 लाख 60 हज़ार लोगों की मौतों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे पहले, महाराष्ट्र- 1 लाख 8 हज़ार के साथ दूसरे और बिहार करीब 1 लाख लोगों की मृत्यु के साथ तीसरे स्थान पर बना हुआ है |

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ICMR ने इन राज्यों में ज़्यदा प्रदूषण का कारण यहां इस्तेमाल किए जाने ठोस ईंधनों को बताया है। जिसके कारण इन राज्यों में वायु प्रदूषण से मरने वाले लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है।

ठोस ईंधन के बारे में आपको बता दे कि इनका इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में खाना पकाने जैसे कई अन्य कामों में किया होता है जिसमें - लकड़ी, कोयला, उपले और चारकोल जैसे पदार्थ शामिल हैं।

मौजूदा वक़्त में भारत की करीब 56 % आबादी ठोस ईंधनों का प्रयोग करती है। जिसमें बिहार, झारखंड और उड़ीसा जैसे राज्यों में इनका इस्तेमाल 75 फीसदी यानी सबसे अधिक होता है।

भारत में बढ़ते प्रदूषण के पीछे जनसँख्या दबाव और तेज़ी से विकसित किये जा रहे कल कारखाने हैं जिनके चलते हमारा इकोसिस्टम बुरे तरीके से प्रभावित हुआ है।ICMR रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के कारणों में मोटर गाड़ियों का अधिक इस्तेमाल, डीजल जनरेटर और हवा में मौजूद धूल है। इसके अलावा वातावरण में कॉर्बन डाई ऑक्साइड, कॉर्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन की अधिक मात्रा भी शामिल है जोकि भारत में तेज़ी से बढ़ते प्रदूषण के लिए सबसे प्रमुख वजह है।

वायु प्रदूषण के चलते बच्चों और बुजुर्गों के साथ गर्भवती महिलाओं को सबसे ज़्यदा खतरा रहता है, जिसका असर इनके ऊपर तत्काल प्रभाव से देखा जा सकता है। ICMRरिपोर्ट में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानको से अधिक होने के कारण लोगों की घटती आयु का भी ज़िक्र किया गया है। प्रदूषण का स्तर मानकों से अधिक होने के कारण लोगों की उम्र में करीब 1. 7 वर्ष की कमी आई है।

दरअसल भारत में PM 2.5 यानी पार्टिकुलेट मैटर का बढ़ता स्तर वायु प्रदूषण के लिहाज से सबसे गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक PM 2. 5 की सुरक्षित सीमा – 40 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब निर्धारित की गयी है , जबकि देश की राजधानी दिल्ली में ये स्तर अक्सर ही 200 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब के करीब बना रहता है।

पार्टिकुलेट मैटर को अभिकणीय पदार्थ के नाम से जाना जाता है। ये हमारे वायुमंडल में उपस्थित बहुत छोटे कण होते हैं जिनकी मौजूदगी ठोस या तरल अवस्था में हो सकती है।

पार्टिकुलेट मैटर वायुमंडल में निष्क्रिय अवस्था में होते हैं, जोकि अतिसूक्ष्म होने के कारण साँसों के ज़रिये हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं।

ICMR रिपोर्ट भारत में वायु प्रदुषण के खतरों के कारण स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभावों को जानने और उन्हें रोकने के नज़रिये से काफी महत्वपूर्ण है। जिससे वायु प्रदुषण के कारण होने वाली बिमारियों की रोकथाम में मदद मिल सकती है। इसके अलावा ये रिपोर्ट उन राज्यों के लिए भी मददगार साबित होगी जहां वायु प्रदुषण के चलते मरने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है।