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Blog / 11 Sep 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) संविधान की 6वीं अनुसूची (6th Schedule of Constitution)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) संविधान की 6वीं अनुसूची (6th Schedule of Constitution)



अरूणाचल प्रदेश विधानसभा ने हाल ही में प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची के अधीन लाने से संबंधित प्रस्ताव पारित किया है….यह प्रस्ताव राज्य के जनजातीय समुदाय की पहचान बचाए रखने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में जरूरी संशोधन करने से संबंधित है...

संसदीय कार्य मंत्री बमांग फेलिक्स द्वारा सदन में रखे गए प्रस्ताव पर चर्चा के बाद इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया….जहाँ अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जो प्रस्ताव रखा है वह ऐतिहासिक है....

संविधान की छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों- असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में अनुच्छेद 244 के अनुरूप व्यवहार करती है...

वहीँ राज्यपाल को ज़िले के क्षेत्रों को बढ़ाने या घटाने अथवा स्वायत्त ज़िलों के नाम में परिवर्तन कर सकने की शक्ति प्राप्त है...

यद्यपि संघ कार्यकारी का शक्तियाँ पाँचवीं अनुसूची में शामिल क्षेत्रों के प्रशासन तक विस्तारित हैं, लेकिन छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्र राज्य के कार्यकारी प्राधिकार के अंतर्गत आते हैं...

प्रस्ताव में कहा गया कि विधानसभा संकल्प लेती है कि मूल निवासियों के जनजातीय अधिकारों की रक्षा के लिए अरुणाचल प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा...

संविधान की 6वीं अनुसूची क्या है?

संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों के लिए अलग व्यवस्था करती है. अनुच्छेद 244A चौवालिस को 22वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1969 उनहत्तर के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया था. यह संसद को असम के कुछ आदिवासी क्षेत्रों और स्थानीय विधानमंडल या मंत्रिपरिषद या दोनों हेतु एक स्वायत्त राज्य स्थापित करने का अधिकार देता है. इसे सबसे पहले 1949 उनचास में संविधान सभा द्वारा पारित किया गया था. यह जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिए स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) को अधिनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है...

6वीं अनुसूची के लाभ क्या है?

छठी अनुसूची उस क्षेत्र की भूमि पर मूल निवासियों के विशेषाधिकार की रक्षा करती है. छठी अनुसूची आदिवासी समुदायों को काफी स्वायत्तता प्रदान करती है. जिला परिषद और क्षेत्रीय परिषद को कानून बनाने की वास्तविक शक्ति प्राप्त है. ये निकाय क्षेत्र में विकास, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सड़कों और नियामक शक्तियों के लिए योजनाओं की लागत को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से धन को मंजूरी प्रदान कर सकते हैं...