(Video) राज्य सभा टीवी आयुष्मान भवः Rajya Sabha TV (RSTV) Ayushman Bhava : साइनोसाइटिस (Sinusitis)


(Video) राज्य सभा टीवी आयुष्मान भवः Rajya Sabha TV (RSTV) Ayushman Bhava : साइनोसाइटिस (Sinusitis)


विषय (Topic): साइनोसाइटिस (Sinusitis)

अतिथि (Guest):

  • Dr. Subhash Kaushik, (Scientist,Central Council for Research in Homoeopathy, Ministry of Ayush)
  • Dr. R K Yadava, HOD, (Department of Kayachikitsa, All India Institute of Ayurveda)
  • Dr. Prem Sagar, (Asstt. Professor, Department of ENT, AIIMS)

विषय विवरण (Topic Description):

साइनोसाइटिस आम सर्दी ज़ुकाम से शुरू होता है और फिर एक बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण के रूप में पूरी तरह से विकसित हो जाता है। हमारी खोपड़ी में बहुत-सारी कैविटीज़ यानि खोखले छेद होते हैं। ये हमारे सिर को हल्का बनाए रखने और सांस लेने में मदद करती हैं। इन छेदों को साइनस कहते हैं। अगर इन छेदों में बलगम भर जाता है तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इस समस्या को ही साइनोसाइटिस कहते हैं। आम बोलचाल में इसे साइनस भी कहा जाता है। साइनोसाइटिस नाक के आसपास.. गाल और माथे की हड्डी के पीछे और आंखों के बीच के भाग में पैदा होने लगती है।

  1. जैसे दोनो तरफ के चेहरे की हड्डी में मैक्सिलेरी साइनस
  2. नाक के ऊपर माथे में फ्रंटल साइनस
  3. आंखों के पास एथमॉइड साइनस
  4. पिछले हिस्से में बीचोंबीच दिमाग से सटा स्फेनॉइड साइनस

हर साल बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आते हैं। साइनस के मुख्यत: तीन प्रकार हैं। जिन लोगों को एलर्जिक साइनस होता है, उन्हें पोलन सीजन और सर्दियों में स्मॉग होने पर समस्या बढ़ने का खतरा रहता है। पहले जुकाम और प्रदूषण की वजह से गले में खिचखिच पैदा होती है। इसी के साथ नाक बंद होना, नाक बहना और बुखार जैसी शिकायतें होने लगती हैं। अगर ये लक्षण कई दिनों तक बने रहें तो ये एक्यूट साइनस हो सकता है। और अगर ये समस्या बार-बार होने लगे या तीन महीने से ज्यादा समय तक बनी रहे तो ये s हो सकता है। साइनोसाइटिस का समय पर इलाज कराया जाए ताकि ये समस्या गंभीर रूप न ले पाए।

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Courtesy: RSTV