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Daily-mcqs 14 Dec 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 14 December 2020 14 Dec 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 14 December 2020


(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 14 December 2020



पाकिस्तान ऋण संकट दिवालियेपन के कगार पर

  • पाकिस्तान पिछले कुछ सालों से गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है। इस वित्तीय संकट का एक प्रमुख कारण निर्यात का कम होना तथा आयात का ज्यादा होना है। इसी कारण वर्ष 2015 में पाकिस्तान का चालू खाता 18.2 बिलियन डॉलर हो गया था। जो इस समय बढ़कर लगभग 20 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।
  • जून 2018 में पाकिस्तान सकल ऋण 179.8 बिलियन डॉलर था, जिसमें से वाह्य ऋण लगभग 66-67 बिलियन डॉलर है।
  • पाकिस्तान वर्ष 2002 से एक युद्धग्रस्त और आतंकवाद प्रभावित देश है तो साथ ही इसकी छवि आतंकवाद को पालने-पोसने वाले देश के रूप में है जिसके कारण यहां पर नया निवेश नहीं आ रहा है।
  • यहां भ्रष्टाचार ऊपर तक फैला है जिसके कारण कई प्रधानमंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, फलस्वरूप वित्तीय प्रवाह पारदर्शी नहीं है जिसके कारण पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति खराब हो रही है।
  • यह कर चोरी अपने चरम पर है, जिसके कारण निगम, कंपनी, व्यापारी, राजनेता अपना टैक्स छुपाते हैं जिससे पाकिस्तान के राजस्व में कमी आती है।
  • आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने ओर धन शोधन करने वाले देशों पर निगरानी रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा है जिसे ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है। इस लिस्ट में शामिल होने पर निवेश पर बहुत निगेटिव प्रभाव पड़ता है।
  • यहां मंहगाई 10-11 प्रतिशत बनी हुई है, जिसके कारण खर्चा बढ़ा है। परेशानी यह है कि आयात ज्यादा होने के कारण पैसा बाहर जा रहा है। पिछले साल ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने देश की वित्तीय स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए कहा था कि देश के पास कर्ज की किस्तें चुकाने का भी पैसा नहीं है।
  • पाकिस्तानी रुपया दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है। पिछले साल 1 डॉलर 150 पाकिस्तानी रुपये तक पहुँच गया था।
  • वर्ष 2013 में पाकिस्तान को IMF के पास जाना पड़ा था ताकि वह अपनी वित्तीय देनदारी पूरी कर सके।
  • अप्रैल 2020 में भी पाकिस्तान में भी पाकिस्तान ने IMF से 1.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आपातकालीन ऋण प्राप्त किया था। विश्व बैंक ने भी 20 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता दिया था।
  • जून 2020 में पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद के 90 प्रतिशत हो गया था।
  • वर्ष 2019 में मूडीज ने पाकिस्तान को उन देशेां की सूची में शामिल किया था जिनकी कर्ज चुकाने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
  • पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जो डिफेंस पर अपनी जीडीपी का सर्वाधिक अनुपात खर्च करता है, इसे लेकर लंबे समय से कई देश पाकिस्तान को चेतावनी भी दे रहे हैं बावजूद इसके पाकिस्तान रक्षा खरीद, कर रहा है, जिससे वित्तीय स्थिति और कमजोर हो रही है।
  • पाकिस्तान के पास लगभग 11-13 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है जिससे पाकिस्तान का लगभग दो माह का खर्च चल सकता है।
  • विश्व बैंक ने पाकिस्तान को अपने ऋण पर राहत देते हुए जून में कहा था कि वह पाकिस्तान के किस्त शेड्यल को आगे बढ़ा रहा है ताकि वह अपने भुगतान को री-शेड्यूल कर सके।
  • पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में हाल के समय किसी तेजी की भी उम्मीद नहीं है क्योंकि यहां अभी भी ऊर्जा संकट, युवा बेरोजगारी, कम मांग और मंहगाई की स्थिति बनी हुई हैं फलस्वरूप उत्पादन ठप्प पड़ा है।
  • लगभग एक माह पहले ही नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को G-20 के 14 सदस्यों से 80 करोड़ अमेरिमकी डॉलर की ऋण की सहायता दी गई।
  • एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भी नवंबर 2020 में पाकिस्तान को 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर के नीति-आधारित ऋण की मंजूरी दी, जिससे पाकिस्तान अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत कर सके।
  • पाकिस्तान को इतनी मदद मिलने के बाद भी उसकी वित्तीय स्थिति में कोई सुधार नहीं आया और उसने चीन से अब 1-5 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया हैताकि वह सऊदी अरब से लिये गये ऋण को वापस कर सके।
  • सऊदी अरब को 2 बिलियन डॉलर पाकिस्तान द्वारा वापस किया जाना था, जिसमें से 1 बिलियन डॉलर को वापस करने की आज अंतिम तिथि थी। वहीं 1 बिलियन डॉलर जनवरी 2021 में सऊदी अरब को पाकिस्तान द्वारा वापस करना प्रस्तावित है।
  • यह पहली बार नहीं है जब चीन ने पाकिस्तान को वित्त देकर उसे डिफाल्टर होने से बचाया हो लेकिन समीक्षकों का मानना है कि पाकिस्तान चीन के ऋण जाल में फसल जा रहा है, जिससे पाकिस्तान की स्थिति भविष्य में और भी खराब हो सकती है।
  • चीन ने अपाकिस्तान को यह ऋण पाकिस्तान चीन के बीच वर्ष 2011 में हुए करेंसी स्वैप एग्रीमेंट (CSA) के तहत दिया है।
  • दोनों देशों के मध्य यह समझौता पहले सिर्फ तीन वर्ष के लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) और पिपुल्स बैंक ऑफ चीन (PBOC) के बीच हुआ था। इसे बार-बार बढ़ाया गया। वर्ष 2018 में जब इसे 1-5 डॉलर के लिए तीन साल के लिए बढ़ाया गया तो इसके तहत स्वैप होने वाली करेंसी की लिमिट को दो गुना (3 बिलियन) का दिया गया। मई 2021 में यह समाप्त होगा इसलिए पाकिस्तान ने चीन से आगे की अवधि के लिए बढ़ाने को भी कहा है।
  • समीक्षकों का मानना है कि करेंसी स्वैप एग्रीमेंट खराब नहीं है लेकिन इसका प्रयोग सिर्फ देनदारी के लिए ठीक नहीं है। सीमक्षकों का मानना है कि पाकिस्तान को अपनी स्थिति सुधारनी होगी अन्यथा एक ऐसा समय ऐसा आयेगा कि पाकिस्तान पूरी तरह चीन का आर्थिक गुलाब बन चुका है।
  • पाकिस्तान ने चीन से इसके अलावा नवंबर 2020 में 2.7 बिलियन का लोन CPEC के Deal-1 ऑफ द मेनलाइन 1 वँचर को पूरा करने के लिए मांगा था।
  • पाकिस्तान के लिए स्थिति इसलिए गंभीर है क्योंकि पाकिस्तान के सबसे क्रेडिटर्स में सऊदी अरब शामिल रहा है। वह हमेशा पाकिस्तान की मदद करता आया है लेकिन अब वह पैसा देने की जगह पैसा मांग रहा है।
  • हाल के समय में पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़ बढ़ा है जिसके पीछे प्रमुख कारण OIC (ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन) एवं जम्मू-कश्मीर का मुद्दा रहा है।
  • हाल के समय में सऊदी अरब तेल के मूल्य कम होने के कारण कई प्रकार की आर्थिक चुनौतियों का भी सामना कर रहा है।

तुर्की पर लग सकता है CAATSA प्रतिबंध

  • CAATSA जिसका विस्तारित रूप Countering America's Adversaries through Sanctions Act है। यह एक संघीय कानून है जिसके माध्यम से अमेरिका, ईरान, उत्तर कोरिया और रूस पर प्रतिबंध लगाता है।
  • इस विधेयक को लाने के कई कारण थे- जैसे वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस का कथित हस्तक्षेप, यूक्रेन के मुद्दे पर अमेरिका द्वारा रूस को दण्डित करने की नीति तथा सीरिया युद्ध में रूस की भागीदारी आदि।
  • इस विधेयक को जनवरी 2017 में कांग्रेस के सीनेटरों के एक समूह द्वारा पेश किया गया जिसे संसद में भारी समर्थन मिला और 2 अगस्त 2017 को इसे पारित कर दिया गया। जनवरी 2018 से यह लागू हुआ।
  • इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य निर्धारित दंडात्मक उपायों के माध्यम से कुछ राष्ट्रो की आक्रमकता का मुकाबला करना है। यह अधिनियम मुख्य रूप से रूसी हितों, जैसे कि तेल और गैस उद्योग, रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र तथा वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध से संबंधित है। इस अधिनियम द्वारा रूस, ईरान और उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
  • यह प्रतिबंध इसलिए महत्वपूर्ण हो जाते है कि यदि अमेरिका ने इसे किसी देश पर लगाया है तो उस देश से व्यापार/खरीद-फरोख्त करने वाले देश पर और उसकी कंपनियों एवं संस्थाओं पर प्रतिबंध लग जायेगा।
  • रूस के मामले में यह अमेरिकी कानून उन देशों को रोकता है जो रूस के साथ हथियारों का सौदा करते हैं। इसी एक्ट का प्रयोग करते हुए अमेरिका ने चीन के सेंट्रल मिलिट्रि कमिशन के इक्विपमेंट डेवलपमेंट डिपार्टमेंट और उसके निदेशकों पर प्रतिबंध लगा दिया था। चीन पर यह प्रतिबंध इसलिए लगाये गये थे क्योंकि उसने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

CAATSA के प्रतिबंध-

  • इस अधिनियम की धारा 231 में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के पास इस एक्ट के 5 या अधिक प्रतिबंध लगाने की शक्ति है। इसके तहत अमेरिका निषिद्ध लोगो/देशों से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर प्रतिबंध लगा सकता है।
  • प्रतिबंधित व्यक्ति/संगठन से जुड़े लोगों को वीजा देने से इंकार कर सकता है।
  • यह बैंकिंग-लेन-देन पर प्रतिबंध लगा सकता हैं इसके तहत रूस के साथ या अन्य प्रतिबंधित देशों/संस्थाओं के साथ व्यापार करने पर वित्तीय संस्थाओं के वित्तीय लेन-देन को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
  • निर्यात प्रशासन अधिनियम, शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम और परमाणु ऊर्जा अधिनियम द्वारा अमेरिका किसी व्यक्ति को किसी भी वस्तु के निर्यात के लिए लाइसेंस से वंचित कर सकता है।
  • रूस के लिए कच्चे तेल परियोजनाओं, साइबर सुरक्षा, वित्तीय संरचनों, मानवाधिकारों के हनन, राज्य के स्वामित्व वाली संपत्तियों के निजीकरण जैसे मामलों में प्रतिबंध लगाने की शक्ति अमेरिकी राष्ट्रपति और राज्य सचिव को प्राप्त है।
  • उत्तर कोरिया द्वारा संयुक्त सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन होने पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति बढ़ाता है। इसके द्वारा प्राप्त होने वाली विदेशी सहायता को रोका जा सकता है।
  • जिस पर प्रतिबंध लगा है उसे लोन नहीं दिया जायेगा।
  • जिस पर प्रतिबंध लगा है, वहां सामान एक्सपोर्ट करने के लिए एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक से सहायता नहीं मिलेगी।
  • जिस पर प्रतिबंध लगा है अमेरिका सरकार वहां से कोई सामान या सेवा नहीं लेगी।
  • अमेरिका के वित्तीय संस्थाओं द्वारा मिलने लोन को रोक सकता है। अमेरिका WB और IMF से मिलने वाली सहायता पर रोक लगवा सकता है।
  • विदेशी मुद्रा विनियम (Exchange) पर प्रतिबंध लगा सकता है।
  • किसी प्रकार की संपत्ति के खरीद-बिक्री पर रोक लगा सकता है।
  • वीजा पर प्रतिबंध लगा सकता है।
  • बैंकिंग ट्रांजेक्शन पर प्रतिबंध का आशय है भुगतान करने में में रूकावट आना।
  • निर्यात पर प्रतिबंध है उस देश के निर्यात पर रोक लगाकर विदेशी मुद्रा (डॉलर) प्राप्त करने से रोक देना।

अमेरिकी का CAATSA एक्ट इस समय चर्चा में क्यों है?

  • अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका तुर्की पर S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के कारण प्रतिबंध लगाने जा रहा है। हालांकि इस प्रकार के प्रतिबंध वर्ष 2019 के प्रारंभ लगाने की बात हो रही थी लेकिन ट्रंप इसे टालते आये थे। वर्ष 2019 में तुर्की ने रूस से S-400 मिसाइल/डिफेंस सिस्टम खरीदा था।
  • अमेरिका में लंबे समय से तुर्की पर यह प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही थी लेकिन ट्रंप-तुर्की के राष्ट्रपति के साथ अपने रिश्तों और तुर्की में अपने हित के कारण ऐसा नहीं कर रहे थे। लेकिन अब यूएस कांग्रेस (अमेरिकी संसद) ने ट्रंप पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह प्रतिबंध लगायें।
  • अब यह देखना होगा कि ट्रंप तुर्की पर किस प्रकार के प्रतिबंध लगाते हैं। यदि तुर्की पर कठोर प्रतिबंध लगाये जाते हैं तो भारत पर भी कुछ प्रतिबंध लगा सकते हैं क्योंकि भारत ने भी रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का समझौता किया है।
  • तुर्की और अमेरिका दोनों नाटो के सदस्य देश हैं लेकिन हाल के वर्षों में तुर्की और रूस के बीच संबंध मजबूत हुए है जबकि फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका एवं अन्य नाटो देशों के साथ तुर्की के संबंध प्रभावित हुए हैं।
  • यदि यह प्रतिबंध तुर्की पर लगते हैं तो तुर्की F-35 फाइटर जेट के उत्पादन संबंधी कार्यक्रमों में भाग नहीं ले पायेगा।
  • भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदने का लगभग 5 अरब डॉलर का समझौता किया था। इसके बाद अमेरिका ने भारत पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही थी लेकिन लगाया नहीं गया था। हालांकि यह भी ध्यान देना होगा कि भारत को कोई लिखित छूट भी नहीं मिली हुई है।

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