विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 (World Press Freedom Index 2023) : डेली करेंट अफेयर्स

किसी भी लोकतांत्रिक देश में प्रेस की आजादी का मतलब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से है। यानी ये कहा जा सकता है कि ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इसीलिए प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। बात सिर्फ दिवस मनाने भर की नहीं है, बल्कि हमारे लिए यह आंकना भी जरूरी है कि प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर हम किस स्थान पर हैं। इसीलिए हर साल इस दिवस के मौके पर एक ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ भी जारी किया जाता है।

साल 1993 में 3 मई को संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने का फैसला किया। तबसे ये हर साल मनाया जा रहा है और प्रत्येक वर्ष इसकी एक थीम होती है। इस वर्ष विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम 'अन्य सभी मानवाधिकारों के संचालक के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' है। इसके अलावा, यूनेस्को 1997 से हर साल 3 मई को विश्व स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम' पुरस्कार भी देता है। यह पुरस्कार ऐसे संस्थान या व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने प्रेस के आजादी के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो। भारत के किसी भी पत्रकार या संस्थान को अभी तक यह पुरस्कार नहीं दिया गया है।

हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ नाम का एक संगठन ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ जारी करता है। बता दें कि पेरिस स्थित रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन है। यह सार्वजनिक हित में संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद, फ्रैंकोफोनी के अंतरराष्ट्रीय संगठन ओआईएफ और मानव अधिकारों पर अफ्रीकी आयोग के साथ सलाहकार की भूमिका निभाता है।

‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ में 180 देशों में मीडिया की स्वतंत्रता के स्तर का आकलन किया जाता है। इसका प्रथम संस्करण वर्ष 2002 में प्रकाशित किया गया था। यह सूचकांक, मीडिया की स्वतंत्रता के निर्धारण के आधार पर तैयार किया जाता है, जिसमे मीडिया में बहुलवाद, मीडिया को प्राप्त आज़ादी, कानूनी तंत्र की गुणवत्ता और पत्रकारों की सुरक्षा जैसी बातों का आकलन किया जाता है।

इस साल जारी सूचकांक के मुताबिक़ नॉर्वे (प्रथम), आयरलैंड (दूसरे) और डेनमार्क (तीसरे), जबकि उत्तर कोरिया 180 देशों और क्षेत्रों की सूची में सबसे नीचे है। बात भारत की करें तो साल 2023 में इस सूचकांक में भारत 161वें स्थान पर है। इंडेक्स के मुताबिक अब भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान से कई पायदान पीछे है। इन दोनों देशों की रैकिंग में सुधार हुआ है और ये क्रमशः 150 और 152वें स्थान पर पहुंच गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया और मीडिया स्वामित्व की एकाग्रता, ये सभी प्रदर्शित करते हैं कि 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र' में प्रेस की आजादी खतरे में है।

ग़ौरतलब है कि भारत पिछले कुछ वर्षों में लगातार निचले स्थान पर जा रहा है। इस वर्ष ये रैंक और भी गिर गई है। पिछले साल, केंद्र सरकार ने कहा था कि वह विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में सूचीबद्ध विचारों और देशों की रैंकिंग से सहमत नहीं है, क्योंकि यह एक "विदेशी" एनजीओ द्वारा प्रकाशित किया जाता है। साल 2022 में भारत, विश्व प्रेस स्वतंत्रता की सूची में 150वें पायदान पर था। अब एक साल बाद यह और भी नीचे आ गया है। हालांकि इस इंडेक्स की इस आधार पर आलोचना की जाती है कि इसमें पत्रकारिता की गुणवत्ता का मूल्याँकन नहीं किया जाता।