सूर्य प्रभामंडल (Sun Halo) : डेली करेंट अफेयर्स

सुबह करीब 11 बजे सूर्य की चारों ओर बना एक घेरा लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया। जैसे ही इंद्रधनुषी गोलाकार आकृति दिखी लोग इसे मोबाइल कैमरे में कैद करके स्टेटस लगाने लगे। देखते ही देखते यह पूरा नजारा सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। इस पूरी घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए मौसम विज्ञानियों ने बताया कि यह धरती से करीब 20 हजार फीट ऊपर पतले सिरस के बादल हैं। वह छोटे बर्फ के क्रिस्टल से बने होते हैं और इन्हें हम सन हॉलो (Sun Halo) के नाम से भी जानते हैं। आइस क्रिस्टल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों के रिफ्लेक्शन की वजह से ऐसा इंद्रधनुषी गोल घेरा बन जाता है।

दरअसल यह एक साधारण ऑप्टिकल यानी प्रकाश संबंधी घटना है। जब आसमान में नमी होती है और सूरज धरती से 22 डिग्री के एंगल पर पहुंचता है तो इस तरह का रिंग बन जाता है। नमी की वजह से वातावरण में पानी के छोटे-छोटे प्रिज्म में बन जाते हैं और जिसमें सूर्य के प्रकाश का विक्षेपण होता है। प्रकाश के प्रिज़्म से होकर गुजरने पर विभिन्न रंगों के प्रकाश में बँट जाने को विक्षेपण कहा जाता है। आसमान के सिरस क्लाउड की वजह से ये दोपहर में ही नजर आने लगता है। बता दें कि सिरस क्लाउड यानी बादल ऐसे क्लाउड होते हैं जिनके लेयर काफी पतले होते हैं।

ये कोई अलौकिक घटना नहीं, बल्कि आम घटना होती है। अमूमन यह घटना ठंडे देशों में ज्यादा होती है, लेकिन हमारे देशों में ये एक दुर्लभ घटना होती है, जो साल में कभी-कभार ही नजर आती है। गौरतलब है कि अभी बीते 19 अप्रैल को भी यह घटना देखने को मिली थी। चूंकि यह घटना वातावरण में नमी के कारण होती है और संभव है कि ये नमी एक खास इलाके में ही हो इसलिए यह घटना भी उसी विशेष इलाके में देखने को मिलती है।

ये कोई जरूरी नहीं है कि हालो सिर्फ सूर्य की रौशनी में ही बनता है। कई बार रात में चांद की रोशनी से भी हालो बनता है। इसके भी पीछे का विज्ञान सेम ही है। इसे मून रिंग या विंटर हेलो भी कहा जाता है।