कोंगथोंग : 'व्हिसलिंग विलेज' (Kongthong: 'Whistling Village') : डेली करेंट अफेयर्स

हाल ही में एक सांसद महोदय ने मेघालय के कोंगथोंग गांव पर प्रधानमंत्री को अपनी एक विकास रिपोर्ट प्रस्तुत की। साथ ही इस गांव के एक ग्रामीण शिदियात खोंगसित ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक विशेष धुन तैयार की थी। इस धुन को ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने लिखा, "माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी, कृपया अपने सम्मान और गांव को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के भारत सरकार के प्रयासों की सराहना में कोंगथोंग के ग्रामीणों द्वारा रचित इस विशेष धुन को स्वीकार करें।" इस पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, "इस तरह के व्यवहार के लिए कोंगथोंग के लोगों का आभारी हूं।"

बता दें कि कोंगथोंग पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित है, जो मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 60 किमी दूर है। कहा जाता है कि इस गांव में जब बच्चे का जन्म होता है तो मां के दिल से जो भी धुन निकलती है वह बच्चे का नाम हो जाता है और यह प्रथा वाकई दिल को छू लेने वाली है। गांव में बातें कम और धुनें अधिक सुनाई देती हैं। यहां लोगों के नाम नहीं होते बल्कि उन्हें पुकारने के लिए धुन का इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण इस इलाके को 'व्हिसलिंग विलेज' के नाम से जाना जाता है। कोंगथोंग के ग्रामीणों की इस धुन को जिंगरवाई लवबी कहा जाता है, जिसका अर्थ 'मां का प्रेम गीत' है। यहाँ के लोग खासी समुदाय के हैं और गांव की आबादी लगभग 700 है।

यह प्रणाली पारंपरिक रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। दरअसल यहां रहने वाले गांव वालों के दो नाम होते हैं, एक सामान्य नाम और दूसरा गाने का नाम। सामान्य नाम जो रजिस्टर्ड और सरकारी होता है और गाने वाला नाम गांव-घर में इस्तेमाल के लिए बनाया जाता है। इसके अलावा गाने के नाम के दो वर्जन होते हैं, एक लंबा गाना और दूसरा छोटा गाना। छोटा गाना आम तौर पर घर में इस्तेमाल किया जाता है। जब कोई ग्रामीण मरता है तो उसके साथ-साथ उस व्यक्ति की धुन भी मर जाती है और उस गीत या धुन का फिर कभी उपयोग नहीं किया जाता है।

इस प्रथा के पीछे के वजह की बात करें तो गांव में, पुराने समय से एक मान्यता चली आ रही है। इसके हिसाब से जंगल में जाने वाले लोग एक-दूसरे को नामों से पुकारते हैं, तो एक सर्वनाशकारी प्रेत या आत्मा उन्हें जान जाती है और उनके परिवारों को नुकसान पहुंचाने के लिए उनके घरों तक उनका पीछा करती है।

ग़ौरतलब है कि साल 2021 में पर्यटन मंत्रालय ने भारत से UNWTO सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव की प्रविष्टि के लिये तीन गाँवों की सिफारिश की थी। इन तीन गाँवों में शामिल थे - मेघालय में कोंगथोंग, मध्य प्रदेश में लधपुरा खास और तेलंगाना में पोचमपल्ली। हालाँकि पोचमपल्ली को UNWTO द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँवों में से एक के रूप में सम्मानित किया गया था।