हीटस्ट्रोक (Heatstroke) : डेली करेंट अफेयर्स

बीते 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के नवी मुंबई के खारघर नगर में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह आयोजित किया जा रहा था। कार्यक्रम का समय था दिन में 11:30 से 1:00 बजे। खुले आसमान के नीचे हजारों लोग खड़े थे और कार्यक्रम शुरू ही हो रहा था कि अचानक एक-एक करके लोग गिरने लगे। इसमें 11 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोगों को अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा। पूरे घटनाक्रम की वजह जो निकलकर आई वह थी हीटस्ट्रोक।

इस घटना से हीटस्ट्रोक से होने वाले खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है। उसे बताया जा रहा है कि तापमान सामान्य से सिर्फ 1 डिग्री ही ज्यादा था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सिर्फ 1 डिग्री तापमान ज्यादा होने से इतने लोगों की मौत कैसे हो गई? दरअसल इसके पीछे का कारण है "वेट बल्ब तापमान"।

दरअसल पिछले महीने से ही मौसम विभाग हीट स्ट्रोक को लेकर मुंबई में वार्निंग जारी कर रहा है। इस पर भी जब महाराष्ट्र का तापमान सामान्य से एक डिग्री ज्यादा था, तब खारगर में 306 एकड़ के विशाल मैदान में हजारों लोग बिना छत के खुले आसमान में जमा हुए थे। यहाँ सामाजिक कार्यकर्ता दत्तात्रेय नारायण उर्फ अप्पासाहेब धर्माधिकारी को सीएम शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार दिया जाना था। उसी समय एक-एक करके लोग जमीन पर गिरने लगे। इसी तरह वहां 11 लोगो की मौत हुई और सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती कराये गए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि हीटस्ट्रोक से इतनी बड़ी संख्या में एक ही बार में इतनी मौत पहली बार हुई है।

साधारण शब्दों में कहें तो हीटवेव का सीधा मतलब है ‘लू’ यानी गर्मी के मौसम में जब मैदानी तापमान 40 के आसपास या उससे ऊपर पहुँच जाये और पहाड़ी तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाएँ और गर्म हवाएं चलने लगे तो इसे हीटवेव कहा जाता है। सामान्यतः हीटवेव में अगर बचाव किया जाये तो यह बहुत खतरनाक नहीं होता है, क्योंकि यह भारत में गर्मी के मौसम में सामान्य घटना होती है। लेकिन हीटवेव तब ज्यादा खतरनाक हो जाती है जब वातावरण में हाई टेम्प्रेचर के साथ हाई ह्यूमिडिटी यानी नमी भी हो जाये। इसी मिलीजुली स्थिति को "वेट बल्ब तापमान" कहा जाता है। इसमें लोगों के शरीर में हीटस्ट्रोक की स्थिति बन जाती है यानी शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो जाता है और शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है।

दरअसल हमारे शरीर में हाइपोथेलेमस शरीर के तापमान को रेगुलेट करता है। इस रेगुलेशन में ब्लड वेसल्स, मसल्स, स्वेद ग्रंथियां और त्वचा मिलकर पसीने को बाहर निकालते हैं। जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है पर जब मौसम में नमी होती है तो यह पसीना बाहर नहीं निकल पाता है। जिससे लू से लगने वाली गर्मी शरीर पर बुरा प्रभाव डालने में कायम हो जाती है और लोगो को नुकसान पहुंचाती है। हीटस्ट्रोक की समस्या होने से शरीर का तापमान बढ़ने के साथ-साथ सिरदर्द, चक्कर आना और भ्रम होना, दिल की धड़कन तेज होना, मिचली और उल्टी आना, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, दौरे पड़ने के साथ ऑर्गन फेलियर और कोमा जैसी स्थिति भी बन जाती है। कभी-कभी यह जानलेवा भी हो जाती है।

इससे बचने के लिए विशेषज्ञ कई तरह की सलाह देते हैं जैसे-लोगो को हाइड्रेटेड रहना चाहिए यानी शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए; सीधे धूप के कांटेक्ट में आने से बचना चाहिए; ढीले-ढाले और हल्के कलर के कपड़े पहनना चाहिए; त्वचा में सनस्क्रीन का प्रयोग जरूर करना चाहिए; साथ ही शराब और कैफीन से बचना चाहिए और अगर कोई दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये।