फिनलैंड नाटो का 31वां सदस्य बना (Finland became the 31st member of NATO) : डेली करेंट अफेयर्स

फिनलैंड 4 अप्रैल को नाटो का 31वां सदस्य बन गया। नाटो महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने इसकी पुष्टि की है। अभी तक नाटो के कुल 30 सदस्य देश थे। फिनलैंड ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था। तुर्की की आपत्ति के कारण इसकी सदस्यता कई महीनों तक अटकी रही।

NATO का इतिहास

दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ और अमेरिका दो सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे, जो दुनिया पर अपना-अपना दबदबा कायम करना चाहते थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक तरह की गुटबाजी शुरू हुई … एक अमेरिका वाला गुट दूसरा रूस वाला गुट। यूरोप में सोवियत संघ के प्रसार को रोकने के लिए यूरोपीय देशों और अमेरिका ने मिलकर एक सैन्य गठबंधन बनाया था, जिसे NATO के नाम से जाना जाता है। NATO का पूरा नाम नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन है। इसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को यानी आज ही के दिन हुई थी। इसका हेडक्वॉर्टर बेल्जियम के ब्रसेल्स में है। इसके स्थापना के समय अमेरिका समेत 12 देश इसके सदस्य थे। मौजूदा वक्त में इसके 31 सदस्य देश हैं, जिनमें 29 यूरोपीय और दो उत्तर अमेरिकी देश हैं। इस संगठन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी NATO देशों और उसकी आबादी की रक्षा करना है। इसने अपना एक चार्टर यानी नियमावली भी बना रखा है जिसके मुताबिक ये ऑपरेट करता है।

NATO से निपटने के लिए सोवियत संघ ने भी 14 मई 1955 को एक वारसा ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानी WTO या वारसा पैक्ट किया। वारसा पैक्ट सोवियत संघ समेत 8 देशों के बीच हुआ था, लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद 1 जुलाई 1991 को वारसा पैक्ट का मतलब ही ख़त्म हो गया। अब समस्या यह है कि नाटो का अस्तित्व अभी भी बना हुआ है जो रूस के लिए एक सिर दर्द की तरह है।

फिनलैंड नाटो में क्यों शामिल होना चाहता है?

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से फिनलैंड ने अपनी तटस्थता बना रखी थी। ये प्रत्यक्ष रूप से ना ही अमेरिकी खेमे में और ना ही रूसी खेमे में शामिल हुआ। हालांकि इसका कुछ झुकाव अमेरिकी खेमे की तरफ जरूर रहा और इसके तमाम ऐतिहासिक कारण भी थे। यही कारण है कि रूस ने कई बार फिनलैंड को धमकी भी दी है। यूक्रेन पर हमले के बाद फिनलैंड के मन में रूस का डर और बढ़ गया … जिसके बाद फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने की योजना बना ली।

फिनलैंड के नाटो में शामिल होने से रूस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसकी वजह है फिनलैंड की सीमा रूस से सटी हुई है। फिनलैंड रूस के साथ 1340 किलोमीटर का बॉर्डर शेयर करता है। ऐसे में रूस के लिए सिरदर्द बन चुका नाटो और रूस के उत्तर में भी क़ाबिज़ हो चुका है। हालांकि रूस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हम अपनी सेनाओं को और मजबूत करेंगे और पश्चिम और उत्तर मे नाटो का सामना करेंगे।

यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग जारी है लेकिन नाटो का कोई अता-पता नहीं है यानी वह मदद करने के लिए नहीं आया। ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि फिनलैंड की मदद करने के लिए नाटो आएगा ही। दरअसल NATO चार्टर के आर्टिकल-5 के मुताबिक, ये संगठन अपने सदस्यों की सामूहिक रक्षा में यकीन करता है। इसका मतलब है कि इसके किसी भी सदस्य देश के खिलाफ बाहरी हमले को सभी सहयोगियों के खिलाफ हमला माना जाएगा। इसका सभी नाटो देश मिलकर मुकाबला करेंगे, लेकिन आधिकारिक तौर पर यूक्रेन अभी भी नाटो का सदस्य नहीं बना है। इसीलिए नाटो यूक्रेन की मदद के लिए आगे नहीं आ पा रहा है। अगर रूस ने यूक्रेन के पड़ोसी देश जो कि नाटो के सदस्य हैं … उदाहरण के तौर पर जैसे अब फिनलैंड नाटो का सदस्य हो चुका है … इन पर कोई कार्यवाही की तो NATO एक्शन ले सकता है।