सीबीआई डायमंड जुबली (CBI’s Diamond Jubilee) : डेली करेंट अफेयर्स

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 3 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के दौरान, विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक और सीबीआई के सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारियों के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों के लिए एक अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अलंकरण समारोह में प्रधानमंत्री ने पुरस्कार विजेताओं को पदक प्रदान किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने शिलांग, पुणे और नागपुर स्थित सीबीआई के नवनिर्मित कार्यालय परिसरों का भी उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने एक डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी और सीबीआई के ट्विटर हैंडल का शुभारंभ किया।

Central Bureau of Investigation (CBI) : Daily Current Affairs ...

सीबीआई की स्थापना 1 अप्रैल 1963 को गृह मंत्रालय के एक संकल्प के द्वारा भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए गठित संथानम आयोग की सिफ़ारिश पर हुयी थी। केंद्र सरकार की इस प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई को बाद में कार्मिक मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया। सीबीआई को अपनी शक्तियाँ दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DPSEA), 1946 द्वारा प्राप्त होती हैं।

सीबीआई का प्रमुख एक निदेशक होता है, जिसके सहयोग के लिए विशेष निदेशक या अतिरिक्त निदेशकों की नियुक्ति की जाती है। इसके अलावा, सीबीआई में कई संयुक्त निदेशक, उप-महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक और अन्य पुलिस कार्मिक शामिल होते हैं। CBI निदेशक का चयन एक चयन समिति की ओर से किया जाता है। इस कमेटी में देश के प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होते हैं। CBI डायरेक्टर को चुनने की प्रक्रिया की शुरुआत गृह मंत्रालय से होती है और इस दौरान आईपीएस अधिकारियों की एक सूची तैयार की जाती है। लिस्ट तैयार करने के दौरान अधिकारियों के अनुभव का ध्यान रखा जाता है। लिस्ट फाइनल होने के बाद उसे कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को भेज दिया जाता है। हालांकि सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर कई बार सवाल खड़े हुए हैं। एक वक्त ऐसा था जब सरकार अपनी मर्जी से कभी भी सीबीआई निदेशक को हटा सकती थी। यह नियम 1997 तक था जब सरकार ऐसा कर सकती थी। 1997 में विनीत नारायण मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से कार्यकाल को कम से कम दो साल का कर दिया गया। इसके पीछे मकसद था कि सीबीआई चीफ बिना किसी दबाव के अपना कार्य कर सके।

बात अगर सीबीआई के कामों की करें तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और अनियमितता आदि के मामलों की जांच करना, राजकोषीय और आर्थिक कानूनों जैसे आयात-निर्यात से जुड़े कानून, विदेशी मुद्रा विनिमय आदि के उल्लंघन के मामलो की जांच करना और पेशेवर अपराधियों के संगठित गिरोहों द्वारा किए गए गंभीर अपराधों की जांच करना इसके कामों में शामिल है। साथ ही, भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों तथा विभिन्न राज्य पुलिस बलों के बीच समन्वय स्थापित करना और राज्य सरकारों के अनुरोध पर किसी सार्वजनिक महत्व के मामले की जांच करना भी सीबीआई के दायित्व में शुमार है।