आर्टिफीशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) : डेली करेंट अफेयर्स

मिठास को हमेशा ख़ुशी और आनंद से जोड़ कर देखा जाता है। इसके चलते यह हमारी डाइट में बड़ी भूमिका निभाता है, लेकिन डाइटीशियन और डॉक्टर चीनी या मिठाई के ज्यादा सेवन की मनाही करते हैं। इससे मोटापे के साथ-साथ हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं। हालाँकि यह सच भी है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनिया भर में 74 फीसदी मौतों की वजह ये गैर-संचारी रोग ही हैं। इससे हर साल करीब 4.1 करोड़ लोग अपनी जान गवां रहे हैं। इस पूरे आंकड़े का 77 फीसदी हिस्सा उन देशों के लोगों का है जो निम्न और मध्यम आय वाले हैं और इस मौत के तांडव में ह्रदय से जुड़े रोग सबसे ज्यादा लोगों की जान ले रहे हैं। यानी हर साल 1.8 करोड़ लोगों की मौत ह्रदय सम्बन्धी रोगों से होती है। वहीं बात भारत की करें तो यहाँ यह गैर संक्रामक बीमारियां हर मिनट में 12 लोगों की जान ले रही हैं। जो भारत में होने वाली कुल मौतों का करीब 66 फीसदी है।

यही वजह है कि लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संगठन जैसी एजेंसियां चीनी और मिठाइयों का सेवन कम करने की सिफारिश करती आ रही हैं। जिसका रिजल्ट यह हुआ कि लोग जीरो या बहुत कम कैलोरी वाला बिना चीनी वाला स्वीटनर यूज करने लगे। यानी लोग चीनी या शुगर छोड़ कर सेफ आर्टिफीशियल स्वीटनर की ओर रुख कर गए। लेकिन इस उपाय पर भी अब सवाल उठने लगा है। इस सेफ स्वीटनर को लेकर भी एक हार्मफुल खुलासा हुआ है। दरअसल बीते 15 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने वजन घटाने और डाइबिटीज़ जैसी लाइफ स्टाइल वाले लोगो को इसे यूज न करने की सलाह दी। WHO के मुताबिक, उस सिचुएशन में जहां चीनी का सेवन कम करना हो वंहा आर्टिफीशियल स्वीटनर यूज नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें कि आर्टिफिशियल स्वीटनर नेचुरल रिसोर्सेज से निकाला जाता है या केमिकल्स सिंथेसिस से बनाया जाता है। यह एक तरह का शुगर सब्सिट्यूट है। जिसका स्वाद चीनी की तरह ही होता है, लेकिन ये चीनी से ज्यादा मीठा होता है। यानी इसकी एक छोटी सी गोली आपकी चाय में एक चम्मच या दो चम्मच चीनी के बराबर मिठास घोल सकती है। यह आर्टिफिशियल स्वीटनर बाजारों में Aspartame एस्पार्टेम, Sucralose सुक्रालोज़, Saccharin सैकरीन, Xylitol जाइलिटोल जैसे- कई नाम से मिल जाते हैं। इन्हे आप चीनी की जगह यूज कर सकते हैं। जैसे शुगर फ्री की गोलियां जिसे लोग चाय, कॉफी या दूध में पीने के लिए खरीदते हैं। इसके अलावा यह टूथपेस्ट, कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड स्नैक्स, पैक्ड जूस, डेजर्ट्स, चॉकलेट और कार्बोनेटेड वॉटर जैसे कई पदार्थों में भी होते हैं।

चूँकि यह लेस कैलोरी या जीरो कैलोरी वाले होते हैं इसलिए कंपनियां इस बात का दावा करती हैं कि इनके सेवन से आपका वजन नहीं बढ़ता है। जिसके चलते डायबिटीज के रोगी और अधिक मोटे लोग शुगर कंसम्पशन से बचने के लिए और जबान का टेस्ट बनाये रखने के लिए इसे यूज़ करते हैं।

अब अचानक इसके इस्तेमाल में क्या दिक्कतें आ गईं?

इसको लेकर WHO की हालिया रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि non-sugar sweeteners यानी एनएसएस का यूज वेट कण्ट्रोल करने या गैर-संचारी रोगों के रिस्क को कम करने के अल्टरनेटिव के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, शुरुआत में ये भले ही थोड़ी देर के लिए वेट गेन को रोक देता है, लेकिन लम्बे समय तक इसके यूज से टाइप -2 डायबिटीज, हार्ट रोग, Bladder Cancer और Premature birth जैसी समस्याएं बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, हार्ट स्ट्रोक और हाई ब्लडप्रेसर जैसी बीमारियां भी देखने को मिलती हैं।

स्टडीज बताती हैं कि artificial sweeteners इंसुलिन sensitivity या आंत की माइक्रोबायोटा composition पर इम्पैक्ट डालता है। इससे blood sugar regulation प्रभावित होता है, जिसके चलते metabolic disturbances हो सकती है। लो calories के चलते यह बॉडी की एनर्जी इन्टेक कैपेसिटी बढ़ाता है जिससे न केवल भूख बढ़ती है, बल्कि वजन भी बढ़ता है। यही नहीं कुछ लोग artificial sweeteners के लिए sensitive or intolerant होते हैं यानी उनको इससे एलेर्जी होती है। जिसके चलते उनमे सिरदर्द, गैस और एलर्जी जैसे रिएक्शन भी देखे गए हैं।

इस समस्या के उपाय के तौर पर WHO ने सलाह दी है कि लोगों को नेचुरल शुगर वाले भोजन, फल, या बिना चीनी वाले भोजन और पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। डॉक्टर्स का भी इस बारे में सुझाव है कि artificial sweeteners के बजाय आधा चम्मच चीनी खाना ज्यादा उचित होगा।