48% पक्षी प्रजातियों के समक्ष अस्तित्व का संकट - समसामयिकी लेख

कीवर्डस :- द स्टेट ऑफ़ वर्ड्स, संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए हॉटस्पॉट, प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ, ट्रॉफिक कैस्केड, मानव पदचिह्न।

संदर्भ :-

  • नौ प्रसिद्ध एवियन विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों के एक अध्ययन से पता चला है कि पक्षियों की 48% प्रजातियां की जनसंख्या में गिरावट का दौर चल रहा है।
  • द स्टेट ऑफ़ वर्ड्स, पर्यावरण संसाधनों की एक वार्षिक समीक्षा में जलवायु परिवर्तन और मानव पदचिह्न के विस्तार को पक्षियों की 10,994 मान्यता प्राप्त प्रजातियों में से लगभग आधे के लिए खतरे का जिम्मेदार ठहराया है।

प्रमुख बिंदु :-

  • द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स का कहना है कि 10,994 मान्यता प्राप्त मौजूदा प्रजातियों में से 13.5% वर्तमान में विलुप्त होने की कगार पर हैं।
  • इनमें 798 को संवेदनशील (7%), 460 को लुप्तप्राय (4%) और 223 को गंभीर रूप से संकटग्रस्त (2%) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • एवियन जैव विविधता के कई मेट्रिक्स विश्व स्तर पर लगातार पक्षियों की संख्या में नकारात्मक रुझान प्रदर्शित कर रहे हैं। आईयूसीएन की रेड लिस्ट में पिछले तीन दशकों में वैश्विक एविफ़ुना के संरक्षण की स्थिति में लगातार गिरावट देखी जा रही है।

एवियन जैव विविधता के लिए प्रमुख खतरे :-

  • प्राकृतिक आवास का नुकसान :- प्राकृतिक आवासों का क्षरण और नुकसान, साथ ही साथ कई प्रजातियों का प्रत्यक्ष अतिदोहन, पक्षी जैव विविधता के लिए प्रमुख खतरे हैं।
  • अतिशोषण :- जीवित पक्षी प्रजातियों में से 37% का सामान्य या विदेशी पालतू जानवरों के रूप में और 14% भोजन के रूप में उपयोग प्रत्यक्ष अतिशोषण के उदाहरण हैं।
  • शिकार :- पूर्वोत्तर भारत सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शिकार का खतरा है। यह स्थिति कुछ प्रजातियों के लिए (गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की तरह) सबसे महत्वपूर्ण खतरे का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • बर्डवॉचिंग :- एवियन संरक्षण के रूप में लाखों लोगों को शामिल करने वाली एक वैश्विक पहल है, लेकिन प्रति वर्ष 5-6 बिलियन डॉलर पक्षियों के खिलाने पर खर्च होता है। किन्तु सालाना इस खर्च में 4% की वृद्धि के कारण इसका "स्थानीय नकारात्मक प्रभाव" पड़ता है।
  • ट्रॉफिक कैस्केड :- यह एक पारिस्थितिक घटना है जो शीर्ष शिकारियों को जोड़ने या हटाने और एक खाद्य श्रृंखला के माध्यम से शिकारी और शिकार की सापेक्ष आबादी में पारस्परिक परिवर्तन को शामिल करती है। जिसके परिणामस्वरूप अक्सर पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और पोषक चक्र में नाटकीय परिवर्तन होते हैं और इस प्रकार पक्षी प्रजातियों के लिये खतरा पैदा होता है।

विश्व स्तर पर एवियन विविधता की स्थिति :-

  • महाद्वीपीय रूप से वितरित पक्षी प्रजातियों के विलुप्त होने की एक नई लहर के पहले संकेत अब देखे जा रहे हैं, जिसने डोडो जैसे द्वीपों पर प्रजातियों के ऐतिहासिक नुकसान की प्रवृत्ति देखी गई है।
  • समशीतोष्ण अक्षांशों की तुलना में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक खतरे वाली पक्षी प्रजातियां (86.4%) पाई जाती हैं, उष्णकटिबंधीय एंडीज, दक्षिण-पूर्व ब्राजील, पूर्वी हिमालय, पूर्वी मेडागास्कर और दक्षिण पूर्व एशियाई द्वीपों में केंद्रित प्रजातियों के लिए गर्म स्थान हैं।
  • अध्ययन में पाया गया कि उत्तर अमेरिकी प्रजातियों में से लगभग 57% गिरावट की प्रवृत्ति दर्ज कर रहे हैं, 1970 के बाद से लगभग 3 बिलियन पक्षियों का शुद्ध नुकसान हुआ है।
  • अमेरिका की स्थिति यूरोपीय संघ के समान है, जहां 378 प्रजातियों के अध्ययन में पाया गया कि 1980 और 2017 के बीच पक्षी प्रजनन में 17-19% की समग्र कमी हुई है, जो 560-620 मिलियन व्यक्तियों के शुद्ध नुकसान में तब्दील हो सकता है।
  • उत्तरी अमेरिका में, लंबी दूरी की प्रवासी प्रजातियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
  • पेपर में कहा गया है कि यूरोप में कृषिगत प्रजातियों में कमी 1980 के बाद से 57% की तीव्र गिरावट आई है, जो कृषि गहनता से प्रेरित है।

भारत में एवियन विविधता की स्थिति :-

  • भारत में एवियन विविधता में कमी कम चिंताजनक नहीं है, जहां पिछले पांच वर्षों के लिए उपलब्ध मौजूदा वार्षिक रुझानों का अनुमान 146 प्रजातियों के लिए लगाया गया है।
  • इनमें से लगभग 80% संख्या में गिरावट आ रही है और लगभग 50% दृढ़ता से गिर रहे हैं।
  • अध्ययन की गई 6% से अधिक प्रजातियां स्थिर आबादी दिखाती हैं और 14% बढ़ती जनसंख्या प्रवृत्तियों को दर्शाती हैं।
  • हालांकि एशिया में हाल ही में महाद्वीपीय प्रजाति के विलुप्त होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है, हाल के वर्षों में कई खतरे वाली प्रजातियों को नहीं देखा गया है ।
  • उदाहरण के लिए, भारत में पूर्वी घाटों के लिए स्थानिक रूप से लुप्तप्राय जेर्डन कौरसर, 2009 के बाद से नहीं देखा गया है।
  • अध्ययन ने भारतीय रिपोर्ट के एक ग्राफ का भी उल्लेख किया जिसमें 2000 से पहले वन प्रजातियों में 62% की गिरावट, घास के मैदान और झाड़ी प्रजातियों में 59% की गिरावट और आर्द्रभूमि प्रजातियों में 47% की गिरावट देखी गई है।

आगे की राह :-

1. भूदृश्यों को प्राथमिकता देना :-

  • यदि घास के मैदान जैसे अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्र को भविष्य में अपने विविध पक्षी जीवन को बनाए रखना है, तो सरकारों और अनुसंधान समूहों दोनों को ऐसे परिदृश्यों और उनके निवासी प्रजातियों को संरक्षण में प्राथमिकता देनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे नवीन वृक्षारोपण वाले क्षेत्र या वुडलैंड न बनें।

2. जनसंख्या परिवर्तन अनुमान :-

  • संरक्षण रणनीति में जनसंख्या बहुतायत और परिवर्तन का विश्वसनीय अनुमान लगाना शामिल है।

3. अत्यधिक शोषण को रोकें :-

  • अधिक कटाई वाले जंगलों में पक्षियों की कमी के लिए नए और अधिक प्रभावी समाधान बड़े पैमाने पर लागू किए जाए।

4. हरित ऊर्जा संक्रमण का उचित कार्यान्वयन :-

  • हरित ऊर्जा संक्रमण की निगरानी करना जो अनुपयुक्त तरीके से लागू किए जाने पर पक्षियों को प्रभावित कर सकता है।

5. आक्रामक विदेशी प्रजातियों की आबादी का उन्मूलन :-

  • पक्षी विविधता के नुकसान से निपटने के लिए मानव समाज को आर्थिक रूप से सतत विकास के रास्ते पर ले जाना।

निष्कर्ष :-

  • यह पक्षी पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए एक संवेदनशील संकेतक है, इनकी संख्या में कमी जैव विविधता के व्यापक नुकसान और मानव स्वास्थ्य और कल्याण के लिए खतरे का संकेत देती है।
  • तेजी से बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की गति को कम करने और प्रकृति पर बढ़ते मानव पदचिह्न को कम करने के लिए सरकार, पर्यावरणविदों और नागरिकों के समन्वित कार्यों की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3:
  • पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • विश्व स्तर पर एवियन विविधता में गिरावट के क्या कारण हैं ? पक्षी प्रजातियों के संरक्षण के लिए उपाय सुझाइए। [250 शब्द]