
सन्दर्भ:
- एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या में भारत की संभावित भूमिका में कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों से भारत-कनाडा संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया है, जिसे फाइव आईज एलायंस की रिपोर्टों द्वारा समर्थन दिया गया है।
- एलायंस के सदस्यों ने आरोपों पर चिंता व्यक्त की है और कुछ ने भारत से इसकी जांच में कनाडा के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है।
फाइव आइज़ अलायंस क्या है?
बारे में:
- फाइव आइज़ संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा का एक खुफिया एलायंस है, जो ब्रिटेन -अमेरिका समझौते के तहत सिग्नल इंटेलिजेंस (Signals intelligence) पर सहयोग करता है।
विशेषताएं:
- ये देश करीबी बहुपक्षीय समझौते के तहत खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं। समूह का विस्तार 'नाइन आइज़' (नीदरलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, नॉर्वे) और '14 आइज़' (बेल्जियम, इटली, जर्मनी, स्पेन, स्वीडन को जोड़कर) तक हुआ।
उत्पत्ति:
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गठित, इसकी शुरुआत यूनाइटेड किंगडम (UK) और संयुक्त राज्य अमेरिका(USA) के बीच खुफिया जानकारी साझा करने के लिए यूकेयूएसए (UKUSA) समझौते के साथ हुई। 1946 में, यूकेयूएसए की स्थापना हुई, जिसमें 1949 में कनाडा और 1956 में न्यूजीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया शामिल हुए।
कार्यप्रणाली:
- गठबंधन में खुफिया जानकारी साझा करना और सुरक्षा सहयोग शामिल है, जो सामान्य हितों एवं दशकों के विश्वास से प्रेरित है। फाइव आइज़ इंटेलिजेंस ओवरसाइट एंड रिव्यू काउंसिल गतिविधियों पर नज़र रखता है।
भारत-कनाडा मुद्दे में फाइव आइज़ की भूमिका:
- अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारतीय आबादी के कारण भारत और कनाडा दोनों के करीब हैं। दोनों देशों के साथ उनके संबंधों और गठबंधन की ऐतिहासिक भूमिका को देखते हुए, मामले पर स्पष्ट जानकारी उपलब्ध होने पर वे मध्यस्थता कर सकते हैं।