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Brain-booster / 26 Aug 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: टिक बोर्न वायरस (Tick-borne Virus)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): टिक बोर्न वायरस (Tick-borne Virus)

टिक बोर्न वायरस (Tick-borne Virus)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में एक नए टिक बोर्न वायरस के कारण ‘थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम सहित तेज बुखार’ (Severe fever with Thrombocytopenia Syndrome - SFTS) नामक बीमारी से चीन में लगभग 7 लोगों की मौत हो गयी और कम से कम 60 लोग संक्रमित पाए गये हैं।
  • रिपोर्ट किए गए मामलों की एक बड़ी संख्या पूर्वी चीन के जिआंगसु और अनहुई प्रांतों में केंद्रित थी।

SFTS वायरस

  • SFTS वायरस, वायरल बीमारी बनीवियर्स परिवार से संबंधित है और यह बीमारी मनुष्यों में किलनी (टिक) जैसे कीड़े के काटने से फैलती है। वैज्ञानिकों को अनुसार इस वायरस से मनुष्य से मनुष्य में संक्रमित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
  • सबसे पहले इस वायरस की पहचान चीन में शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा एक दशक पहले की गयी थी।

वाहक

  • वायरोलॉजिस्ट मानते हैं कि एक एशियाई टिक जिसे हेमाफिसलिस लॉन्गिकोर्निस कहा जाता है, वायरस का प्राथमिक वेक्टर या वाहक है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार यह वायरस प्रायः बकरियों, मवेशियों, हिरणों और भेड़ों जैसे जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। वायरस से संक्रमित होने के बावजूद, जानवरों में आमतौर पर एसएफटीएसवी से जुड़े कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।
  • किसान, शिकारी और पालतू पशु मालिक विशेष रूप से इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं क्योंकि वे नियमित रूप से उन जानवरों के संपर्क में रहते हैं।
  • गौरतलब है कि चीन के बाहर यह वायरस जापान और दक्षिण कोरिया सहित अन्य पूर्व एशियाई देशों में भी पाया गया है।

SFTS वायरस के लक्षण

  • वर्ष 2011 में चीनी शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, बीमारी की शुरुआत के बाद रोगोद्भवन अवधि (incubation period) सात से तेरह दिनों के बीच होती है।
  • बीमारी के शुरुआती चेतावनी संकेत में गंभीर बुखार, कम प्लेटलेट्स काउंट और ल्यूकोसाइटोपेनिया शामिल हैं।
  • बाद में बीमारी से पीडि़त रोगियों में आमतौर पर विभिन्न लक्षण पाए जाते है, जिनमें बुखार, थकान, ठंड लगना, सिरदर्द, लसीका तंत्र में समस्या (lymphadenopathy), क्षुधा-अभाव, मचली, दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, मसूड़ों से रक्तस्राव, नेत्र रोग आदि सम्मिलित हैं।

SFTF का उपचार

  • इस बीमारी के इलाज के लिए वैक्सीन अभी तक सफलतापूर्वक विकसित नहीं हुई है हालाँकि एंटीवायरल दवा रिबाविरिन को बीमारी के इलाज में प्रभावी माना जाता है।
  • साथ ही वैज्ञानिकों के अनुसार, जैसे-जैसे अधिक लोग वायरस और इसके कारण होने वाली बीमारी के बारे में जागरूक होते गए हैं, संक्रमण की घातक दर में काफी गिरावट आने लगी है।

निष्कर्ष

  • SARS-CoV-2 के विपरीत, यह पहली बार नहीं है जब SFTS वायरस ने लोगों को संक्रमित किया है। हालिया मामलों की पहचान केवल बीमारी के फिर से उभरने का प्रतीक है।
  • चीनी वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान मामले में मृत्यु दर लगभग 16 से 30 प्रतिशत के बीच है।
  • जिस दर से यह वायरस फैलता है और इसकी उच्च मृत्यु दर के कारण, SFTS वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा शीर्ष 10 प्राथमिकता वाले रोगों की सूची में सूचीबद्ध किया गया है।

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