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Brain-booster / 23 Jul 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: आईपीसी की धारा-309 (Sec 309 of IPC)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): आईपीसी की धारा-309 (Sec 309 of IPC)

आईपीसी की धारा-309 (Sec 309 of IPC)

चर्चा का कारण

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया में 15-29 साल के लोगों में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है। रिपोर्ट बताती है कि हर साल दुनिया में आठ लाऽ लोग तथा भारत में 1-30 लाऽ लोग आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं युवाओं में डिप्रेशन के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है।

पृष्ठभूमि

  • स्वतंत्रता मिलने के पश्चात भारत के अलावा पाकिस्तान और म्यांमार में भी शीर्षक बदलकर भारतीय दंड संहिता को ज्यों का त्यों लागू किया गया था।
  • भारत में आत्महत्या को मानसिक स्वास्थ्य के साथ जोड़कर देऽा जाता है, लेकिन इसके पीछे सामाजिक, पारिवारिक, यातना, पीड़ा और आर्थिक हानि जैसे कारण भी होते हैं।
  • विधि आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मानवीय आधार पर लिया गया निर्णय है, जिसमें आत्महत्या का प्रयास अब अपराध नहीं माना जा सकता है।

आईपीसी की धारा-309

  • 19 वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा लाया गया कानून, उस समय की सोच को दर्शाता है जब हत्या या ऽुद को मारने का प्रयास राज्य के िऽलाफ अपराध के साथ-साथ धर्म के िऽलाफ भी माना जाता था।
  • आईपीसी की धारा 309 के तहत जो व्यत्तिफ़ आत्महत्या का प्रयास करता है, उसके लिए सजा का प्रावधान है। इसमें व्यत्तिफ़ को एक वर्ष के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक वर्ष तक (या जुर्माना, या कारावास या दोनों के साथ) बढ़ाया जा सकता है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भारत में आत्महत्या को गैर-अपराधिक कृत्य घोषित किया गया था, परन्तु, भारतीय दंड संहिता की धारा 309 अभी समाप्त नहीं हुई है। हालांकि, जुलाई 2018 में लागू होने वाले द मेंटल हेल्थकेयर एक्ट (डभ्ब्।), 2017 ने धारा 309 के इस्तेमाल की गुंजाइश काफी कम कर दी है। एमएचसीए ने केवल एक अपवाद के रूप में आत्महत्या का प्रयास करने वाले को दंडित करने का प्रावधान किया है।

द मेंटल हेल्थकेयर एक्ट (MHCA), 2017

  • वर्ष 2017 में लागू किये गए इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मानसिक रोगों से ग्रसित लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा और सेवाएँ प्रदान करना है। साथ ही यह अधिनियम मानसिक रोगियों के गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है।
  • एमएचसीए की धारा 115 (1) में वर्णित है कि फ्भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के निरस्त होने के बावजूद, कोई भी व्यत्तिफ़ जो आत्महत्या करने का प्रयास करेगा, तो तब तक उसे अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक कि यह अन्यथा साबित न हो या वह व्यत्तिफ़ गंभीर तनाव में हो तब उत्तफ़ कोड के तहत उस व्यत्तिफ़ पर मुकदमा नहीं चलाया जायेगा और उसे दंडित नहीं किया जायेगा।
  • धारा 115 (2) कहती है कि फ्उपयुत्तफ़ सरकार का कर्तव्य होगा कि वह किसी व्यत्तिफ़ को देऽभाल, उपचार और पुनर्वास प्रदान करे, जिससे उसे गंभीर तनाव न हो और वह आत्महत्या करने की कोशिश के कारण मिली सजा को कम करने के लिए पुनः आत्महत्या करने का प्रयास न करे।

धारा-309 को निरस्त करने के पूर्व प्रयास

  • 1971 में विधि आयोग ने अपनी 42वी रिपोर्ट में आईपीसी की धारा 309 को निरस्त करने की सिफारिश की।
  • आईपीसी (संशोधन) विधेयक, 1978 भी राज्य सभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन इससे पहले कि इसे लाकेसभा द्वारा भी पारित किया जा सकता संसद भगं कर दी गइ और विधेयक समाप्त होगया।
  • 1996 जियान कौर बनाम पजांब राज्य,1996 में सुप्रीम कोर्ट की एक संवैधानिक पीठ ने धारा 309 की वैधता को बरकरार रखा
  • मार्च 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से सिफारिश की कि वह इस धारा को हटाने की व्यवहायर्ता पर विचार करें
  • 2014 में राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में तत्कालीन राज्यमंत्री ने कहा था कि सरकार ने 18 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशो द्वारा विधि आयोग की सिफारिश का समर्थन करने के बाद IPC से धारा 309 को हटाने का फैसला किया था। हालांकि, यह मामला अपने तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाया।

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