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Brain-booster / 26 Aug 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग में स्टार्टअप शामिल (Priority Sector Lending to Startups)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग में स्टार्टअप शामिल (Priority Sector Lending to Startups)

प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग में स्टार्टअप शामिल (Priority Sector Lending to Startups)

चर्चा का कारण

  • भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋण प्रदान करने के अपने नियमों में बड़े बदलाव करते हुए स्टार्टअप को बैंक ऋण के लिहाज से प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा दे दिया है।

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग)

  • प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) आरबीआई द्वारा बैंकों को दिया गया ऐसा उपकरण है, जो बैंक के कुछ विशिष्ट क्षेत्रें जैसे कृषि और संबद्ध गतिविधियों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, गरीब लोगों के लिए आवास, विद्यर्थियों के लिए शिक्षा और अन्य निम्न आय वर्ग और कमजोर वर्ग को उधारी देने के लिए होता है।
  • प्राथमिकता क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र कृषि, MSMEs, शिक्षा, आवास, सामाजिक बुनियादी ढाँचे, निर्यात ऋण, अक्षय ऊर्जा, आदि हैं।

PSL हेतु अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को आरबीआई के दिशानिर्देश

  • वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रदान किये गए कुल शुद्ध ऋण का 40% प्राथमिकता क्षेत्र को देना आवश्यक है।
  • प्राथमिकता क्षेत्र के अग्रिमों का 10% या कुल शुद्ध बैंक ऋण का 10%, जो भी अधिक हो, कमजोर वर्ग को दिया जाना चाहिए।
  • कुल शुद्ध बैंक ऋण का 18% कृषि अग्रिमों के रूप में दिया जाना चाहिए। कृषि के लिए ऋणों के 18 प्रतिशत के लक्ष्य के अंतर्गत लघु और सीमांत किसानों के लिए, समायोजित कुल बैंक ऋण (Adjusted Net Bank Credit - ANBC) का 8 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • ANBC के 7.5 प्रतिशत अथवा बैलेंस शीट से इतर एक्सपोजर की सममूल्य राशि (Credit EquivalentAmount of Off-Balance Sheet Exposure ), इनमें से जो भी अधिक हो, का ऋण सूक्ष्म उद्यमों को लिए दिया जाना चाहिए।

महत्व

  • आरबीआई द्वारा स्टार्ट-अप्स (MSMEs से अलग) को ऋण देने के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध कराना एक बहुत ही सकारात्मक कदम है। स्टार्ट-अप्स के लिए ऋण प्राप्त करना आसान नहीं है, तथा इनके सामने पारंपरिक ऋणदाताओं के समक्ष ऋण पात्रता साबित करने की मुश्किल रहती है।
  • शुरुआती स्टार्टअप ज्यादातर बूटस्ट्रैप्ड या दोस्तों और परिवार के वित्त पोषित होते हैं। रिजर्व बैंक का यह निर्णय, स्टार्ट-अप्स के लिए सस्ते और आसान ऋण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • चूंकि भारतीय उद्यमियों के सामने, वित्त की कमी तथा उपभोक्ताओं के स्तर पर विश्वास में कमी दो प्रमुख चुनौतियां रहती है, अतः आरबीआई का यह कदम इनके लिए बूस्टर साबित होगा।
  • यह कदम स्टार्ट-अप्स को उनकी इक्विटी को मुक्त करने और कम लागत वाले ऋण को बढ़ाने में मदद करेगा।

स्टार्टअप पर COVID-19 का प्रभाव

  • फिक्की के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 70% स्टार्ट-अप ने कहा कि उनके कारोबार को कोविड-19 ने प्रभावित किया है, जबकि 12% स्टार्ट-अप का संचालन बंद है और 60% व्यवधानों के साथ काम कर रहे हैं।
  • कारोबारी माहौल में अनिश्चितता और सरकार के साथ-साथ कॉरपोरेट्स की प्राथमिकताओं में अप्रत्याशित बदलाव के साथ, कई स्टार्ट-अप अपने संचालन को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
  • त्ठप् द्वारा उठाए गए कदमों से उन स्टार्ट-अप को मदद मिलेगी, जो कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुआ था।
  • स्टार्ट-अप को पीएसएल में शामिल करने से एक लंबा रास्ता तय होगा और इस क्षेत्र की परिचालन दक्षता में सुधार होगा।

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