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Brain-booster / 22 Oct 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: नयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया - 2020 (New Defence Procurement Procedure - 2020)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): नयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया - 2020 (New Defence Procurement Procedure - 2020)

नयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया - 2020 (New Defence Procurement Procedure - 2020)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में रक्षा मंत्री ने एक नयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (2020) को जारी किया है, जिसमें स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने और भारत को शस्त्रें तथा सैन्य क्षेत्र में वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाने पर ध्यान दिया गया है।

नयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 के प्रमुख बिंदु

  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020, उस प्रक्रिया का स्थान लेगी जिसे 2016 में जारी किया गया था।
  • 2020 रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)और मेड इन इंडिया जैसे नए विचार शामिल है।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में पहली बार रक्षा उपकरण लीज पर लेने की बात कही गई है।
  • इसके साथ ही इस रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में विदेशों से आयात किए जाने वाले रक्षा कलपुर्जों के स्वदेश में निर्माण की बात कही गई है।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में खरीद के लिए भारत में निर्मित एक नई श्रेणी को जोड़ा गया है जिसके तहत कोई विदेशी कंपनी भारत में अपनी शाखा खोल कर अपने रक्षा सामान का निर्माण कर सकती है।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020, पारदर्शिता, निष्पक्षता और सभी को समान अवसरों के सिद्धांतों पर जोर देता है।

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया का उद्देश्य

  • यह रक्षा खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने और आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए तैयार की गयी है।
  • इसके अलावा, इस प्रक्रिया का लक्ष्य स्वदेशी डिजाइन और रक्षा हथियारों के विनिर्माण को समयबद्ध तरीके से बढ़ावा देना है।

आत्म-निर्भर भारत अभियान में स्थापित विशिष्ट सुधार निम्नानुसार शामिल किए गए हैंः

  • आयात पर प्रतिबंध के लिए हथियारों/मंचों की एक सूची को अधिसूचित करना : डीएपी में प्रासंगिक संयोजन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि सूची में वर्णित किसी उपकरण की खरीद आयात से पूर्व अधिसूचित समय सीमा के बाद नहीं की गई है।
  • आयातित पुर्जों का स्वदेशीकरण :
  • आरएफआई चरण कलपुर्जों/छोटे उपकरणों के स्तर पर निर्माण और स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना के लिए संभावित विदेशी विक्रेताओं की इच्छा का पता लगाएगा।
  • नई श्रेणी में भारत में अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से उपकरणों के पूरे/हिस्से या कलपुर्जों/असेंबली/सब-असेंबली/रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा का निर्माण शामिल है।
  • यह आईजीए के माध्यम से सह-उत्पादन सुविधाओं की स्थापना करने में सक्षम बनाता है जिससे आयात प्रतिस्थापन हासिल होगा और जीवन चक्र लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
  • इसमें स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से जीवन चक्र समर्थन लागत और प्रणाली संवर्द्धन को अनुकूलित करने के लिए क्रेता का अधिकार शामिल है।

रक्षा विनिर्माण में एफडीआईः

  • नई एफडीआई नीति की घोषणा के साथ, नई श्रेणी ‘खरीदें (वैश्विक-भारत में निर्माण)’ जैसे उपयुक्त प्रावधानों को शामिल किया गया है ताकि घरेलू उद्योग को आवश्यक संरक्षण प्रदान करते हुए विदेशी ओईएम को भारत में अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से ‘विनिर्माण/रख-रखाव संस्थाओं’ की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
  • समयबद्ध तरीके से रक्षा खरीद प्रक्रिया और तेजी से निर्णय लेनाः आत्म-निर्भर भारत अभियान में घोषित रक्षा सुधार के एक हिस्से के रूप में, अनुबंध प्रबंधन का समर्थन करने के लिए एक पीएमयू की स्थापना अनिवार्य है।
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