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Brain-booster / 18 Jan 2021

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: मणिपुर में इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit in Manipur)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): मणिपुर में इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit in Manipur)

मणिपुर में इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit in Manipur)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में मणिपुर में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्य में इनर लाइन परमिट प्रणाली के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला।
  • साथ ही गृह मंत्री ने इंफाल में वर्चुअल माध्यम से ई ऑफिस और थुबल बहुद्देशीय परियोजना का उद्घाटन किया।

क्या है इनर लाइन परमिट सिस्टम

  • इनर लाइन परमिट सिस्टम का विचार औपनिवेशिक क्षेत्र से लिया गया है। बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट, 1873 के तहत ब्रिटिश शासकों ने निर्धारित इलाकों में एंट्री और बाहरी नागरिकों के आने जाने पर रोक लगा रखी थी, ये सब ब्रिटिश शासकों ने अपने व्यापार और हितों को सुरक्षित रखने के लिए किया था।
  • इनर लाइन परमिट प्रणाली के तहत देश के दूसरे राज्यों से मणिपुर जाने वाले लोगों को पहले अनुमति लेनी होती है।
  • इस पूरे सिस्टम का उद्देश्य राज्य के मूल नागरिकों की आबादी, जमीन, नौकरी और अन्य सुविधाओं को सुरक्षित करना और राज्य में दूसरे राज्यों से आए लोगों को बसने से रोकना है।

मुख्य बिन्दु

  • मणिपुर के लोगों द्वारा लंबे समय से इनर-लाइन परमिट (ILP) की मांग की जा रही थी, जिसे देखते हुए नगालैंड के दिमारपुर जिले के साथ संपूर्ण मणिपुर को इनर-लाइन परमिट (ILP) प्रणाली के दायरे में लाया गया था।
  • इसके तहत भारतीय नागरिकों को मणिपुर के संरक्षित इलाकों में निश्चित दिन के लिए यात्रा की इजाजत मिलती है।
  • गौरतलब है कि उत्तर-पूर्व में मणिपुर चौथा राज्य है, जहां ये व्यवस्था लागू है। मणिपुर के अलावा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम में भी इनर लाइन परमिट सिस्टम लागू है।

इनर लाइन परमिट की आवश्यकता

  • पूर्वोत्तर में कई समूह इनर-लाइन परमिट व्यवस्था को अवैध अप्रवासियों के प्रवेश के विरुद्ध ढाल के रूप में देखते हैं।
  • साथ ही नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिजोरम को इनर-लाइन परमिट व्यवस्था के कारण ही नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 के प्रावधानों से छूट दी गई थी अर्थात ये प्रावधान संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रें तथा ‘इनर-लाइन परमिट’ प्रणाली के तहत आने वाले क्षेत्रें पर लागू नहीं होंगे। हालाँकि इनर लाइन परमिट सिस्टम की मांग नॉर्थ ईस्ट के दूसरे राज्यों में भी हो रही है।

वर्तमान स्थिति

  • नागरिकता संशोधन कानून को देखते हुए इनर लाइन परमिट सिस्टम पर चर्चा और तेज हो गई, क्योंकि नागरिकता संशोधन बिल के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से गैर मुस्लिम नागरिकों के लिए भारत की नागरिकता हासिल करना आसान हो गया है।
  • परन्तु इस कानून से बांग्लादेश से आने वाले लोग उन राज्यों में नहीं बस पाएंगे, जहां इनर लाइन परमिट सिस्टम लागू है क्योंकि कोई भी भारतीय नागरिक बिना अनुमति के इन राज्यों की यात्रा नहीं कर सकता, बशर्ते कि वह राज्य का नागरिक हो।

थौबल बहुउद्देशीय परियोजना

  • थौबल बहुउद्देशीय परियोजना को पहली बार योजना आयोग द्वारा वर्ष 1980 में स्वीकार किया गया था। हालाँकि वर्ष 2014 तक इस संबंध में कुछ नहीं हो सका और परियोजना कागज पर ही रही।
  • यह मणिपुर नदी की सहायक थौबल नदी पर स्थित है और इससे 35,104 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। इस परियोजना की मूल लागत 47.25 करोड़ रुपए थी।

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