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Brain-booster / 19 Apr 2022

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: भारत की सौर क्षमता (India’s Solar Capacity)

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खबरों में क्यों?

  • भारत ने 2021 में अपनी संचयी स्थापित क्षमता में रिकॉर्ड 10 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा की वृद्धि की है । यह 12 महीने की उच्चतम क्षमता वृद्धि है, साल-दर-साल लगभग 200% की वृद्धि दर्ज की है।

सौर क्षमता के बारे में

  • 28 फरवरी 2022 तक भारत में 50 GW संचयी स्थापित सौर क्षमता है।
  • भारत द्वारा 2030 तक सौर ऊर्जा से 300 GW उत्पन्न होने की उम्मीद है।
  • भारत सौर ऊर्जा परिनियोजन में पांचवें स्थान पर है।
  • 709.68 गीगावाट की वैश्विक संचयी क्षमता में इसका योगदान लगभग 6.5% है।
  • भारत ग्राउंड माउंटेड सोलर फोटोवोल्टिक (पीवी) सिस्टम (42 गीगावॉट) पर अत्यधिक निर्भर है। रूफ टॉप सोलर (आरटीएस) से 6.48 GW और ऑफ-ग्रिड सोलर PV से 1.48 GW उत्पन्न होती है।

रूफ-टॉप सोलर इंस्टॉलेशन के साथ चुनौतियां

  • बड़े पैमाने पर सौर पीवी पर फोकस विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डीआरई) विकल्पों के कई लाभों का फायदा उठाने में विफल रहा है, जिसमें ट्रांसमिशन और वितरण (टी एंड डी) में नुकसान शामिल है।
  • आवासीय उपभोक्ताओं और छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए सीमित वित्तपोषण जो आरटीएस स्थापित करना चाहते हैं।
  • बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMS) की ओर से नेट मीटरिंग के प्रति अरुचि।

रूफ-टॉप सोलर इंस्टालेशन से लाभ

  • इसे खपत के क्षेत्रों में स्थापित किया जा सकता है, जिससे महंगी ट्रांसमिशन ढांचे की आवश्यकता को काफी कम किया जा सकता है।
  • छत के रिक्त स्थान का पूर्ण उपयोग आरटीएस प्रतिष्ठानों की समग्र लागत को कम करने और अधिक विद्युत् उत्पादन से, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को सक्षम करने में मदद मिल सकती है।

भारत की सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि के लिए चुनौतियां

  • हालांकि स्थापित सौर क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है लेकिन देश के बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा का योगदान उसी गति से नहीं बढ़ा है।
  • उपयोगिता पैमाने पर सौर पीवी क्षेत्र भूमि लागत, उच्च संचरण और वितरण हानियों और अन्य अक्षमताओं और ग्रिड एकीकरण जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
  • स्थानीय समुदायों और जैव विविधता संरक्षण मानदंडों के साथ संघर्ष।
  • भारत ने यूटिलिटी-स्केल सेगमेंट में सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए रिकॉर्ड कम टैरिफ हासिल किया है, लेकिन यह अंतिम उपभोक्ताओं के लिए सस्ती बिजली में परिवर्तित नहीं हुआ है।

भारत की घरेलू सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता

  • सौर क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण क्षमता देश में सौर ऊर्जा की वर्तमान संभावित मांग के अनुरूप नहीं है।
  • क्रिसिल के अनुसार 31 मार्च, 2021 तक भारत में सौर सेल उत्पादन के लिए 3 गीगावाट क्षमता और सौर पैनल उत्पादन क्षमता के लिए 8 गीगावाट क्षमता थी।
  • भारत के पास सोलर वेफर्स और पॉलीसिलिकॉन के निर्माण की कोई क्षमता नहीं है।
  • 2021-22 में, भारत ने अकेले चीन से लगभग 76.62 बिलियन डॉलर मूल्य के सौर सेल और मॉड्यूल आयात किए।
  • कम विनिर्माण क्षमता और चीन से सस्ते आयात ने भारतीय उत्पादों को घरेलू बाजार में अप्रतिस्पर्धी बना दिया है।
  • भारत को सोलर सिस्टम के लिए सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल अपनाने की जरूरत है।
  • 2030 के अंत तक, भारत में लगभग 34,600 मीट्रिक टन सौर पीवी कचरे का उत्पादन होने की संभावना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआर ईएनए) का अनुमान है कि सौर पीवी कचरे से वसूली योग्य सामग्री का वैश्विक मूल्य $15 बिलियन से अधिक हो सकता है।
  • भारत विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के लिए उपयुत्तफ़ दिशा-निर्देश विकसित करने पर विचार कर सकता है, जिससे सौर पीवी उत्पादों के पूरे जीवन चक्र के लिए निर्माताओं को जवाबदेह ठहराना और अपशिष्ट पुनर्चक्रण के लिए मानक बनाना होगा।
  • इससे घरेलू निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिल सकती है और अपशिष्ट प्रबंधन और आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को दूर करने में काफी मदद मिल सकती है।

भारत की सौर कहानी के मुख्य अंश

  • भारत ने फरवरी 2022 में 50 GW मील का पत्थर हासिल करने के लिए बाधाओं पर काबू पाने में जबरदस्त क्षमता दिऽाई है।
  • भारत की सौर यात्र अन्य विकासशील देशों को महत्वपूर्ण सबक प्रदान करती रहेगी, जो स्वच्छ ऊर्जा पर स्विच करने की कोशिश कर रहे हैं।
  • 2015 में ब्व्च्21 में भारत और फ्रांस द्वारा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) ने एक वैश्विक मंच तैयार किया है।
  • आईएसए निवेश जुटाने, क्षमता निर्माण, कार्यक्रम समर्थन और सौर ऊर्जा पर वकालत और विश्लेषण जैसे मुद्दों पर सहयोग की सुविधा के लिए देशों को एक साथ ला सकता है।
  • प्रौद्योगिकी साझाकरण और वित्त भविष्य में आईएसए के महत्वपूर्ण पहलू बन सकते हैं, जिससे सौर ऊर्जा क्षेत्र में देशों के बीच सार्थक सहयोग की संभावना रहेगी।

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