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Brain-booster / 31 May 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) हीट वेव (Heat Wave)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) हीट वेव (Heat Wave)



भारत के कई उत्तरी राज्यों में इस वक़्त गर्मी का कहर जारी है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य शामिल हैं। इन राज्यों में ग्रीष्म लहर या हीट वेव की वजह से हड़कंप मचा हुआ है। भारत में यूँ तो मई महीने में ग्रीष्म लहर आम बात है लेकिन इस बार पड़ने वाली गर्मी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की चूरू में तापमान का पारा मंगलवार को ५० डिग्री तक पहुँच गया। इसी के चलते इस बार की गर्मी को सबसे अलग बताया जा रहा है। दक्षिण भारत के आंध्र और तेलंगाना में भी लू का कहर जारी है. तेलंगाना, ओडिशा और हरियाणा समेत कई जगहों पर रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गय । राजधानी दिल्ली में मौसम विभाग ने बुधवार को येलो अलर्ट और अगले तीन दिन के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। दिल्ली में इस हफ्ते के आखिर में पारा 46 डिग्री पहुंचने का अनुमान है।

आज के DNS में हम जानेंगे की क्या है ग्रीष्म लहर या हीट वेव के बारे में और क्या है इसकी वजह जिसकी वजह से उत्तर भारत में गर्मी हद से ज़्यादा बढ़ गयी है।

भारत में मार्च से जून का महीने में ग्रीष्म लहर या गर्म हवा के थपेड़ों से पूरा उत्तर भारत झुलसता है। मौसम विज्ञानियों का मानना है की गर्म हवाओं को लू तब कहा जाताहै जब मैदानी भाग के किसी भाग का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज़्यादा हो जाता है। पहाड़ों पर इस तापमान की सीमा को 30 डिग्री सेल्सियस पर तय किया गया है। आम तौर पर दिन का तापमान जब सामान्य तापमान से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा चला जाता है तो इसे ग्रीष्मलहर या लू की संज्ञा दी जाती है।

मिसाल के तौर पर पर मैदानी भाग में सामान्य तापमान की सीमा 40 डिग्री सेल्सियस है लेकिन यहां तापमान का पारा 45 डिग्री दिखाता है तो ऐसे में ये भाग हीट वेव या ग्रीष्म लहर से प्रभावित कहा जाता है। लेकिन अगर यही तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है तो ऐसी दशा में इसे भीषण ग्रीष्म लहर कहा जाता है।

कितने दिनों तक रहेगा ग्रीष्म लहर का प्रकोप

लू के थपेड़ों का असर आम तौर पर कम से कम ४ दिनों तक रहता है। कुछ मौकों पर इसका असर 7 से 10 दिनों तक भी बढ़ सकता है। अभी तक दर्ज़ सबसे लम्बे लू के थपेड़ों का रिकॉर्ड 18-31 मई 2015 के दौरान देखा गया था। इस दौरान पश्चिम बंगाल ओडीशा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भीषण गर्मी ने तांडव मचाया था। इसी तरह की झुलसा देने वाली गर्म हवाएं साल 2014 में 2 जून से 11 जून के बीच भी चली थी। मौजूदा गर्म हवाओं का दौर 22 मई को शुरू हुआ था और इसके 29 मई तक जारी रहने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके उलट जून महीने में चलने वाली गर्म हवाएं आम तौर पर जल्दी ख़त्म हो जाती हैं। इसकी वजह इस महीने में भारत या इसके पड़ोसी देशों में आने वाला दक्षिणी पश्चिमी मानसून हैं।

क्या भारत के सभी राज्य गरम हवाओं की चपेट में हैं

नहीं आम तौर पर भारत के वही राज्य इन हवाओ की चपेट में आते हैं जो मुख्य गर्म क्षेत्र में पड़ते हैं जैसे राजस्थान , पंजाब हरयाणा चंडीगढ़ दिल्ली पश्चिमी मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ ओडीशा महारष्ट्र का विदर्भ इलाका तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना। मुख्य गर्म क्षेत्र का निर्धारण भारतीय मौसम विभाग द्वारा किया जाता है।

हाल में किये गए कई अध्ययनों से पता चला है की मुख्य गर्म क्षेत्र में पड़ने वाले इलाके एक साल में इन चार महीनों के दौरान 6 दिन गर्म हवाओं के थपेड़े सहते हैं। इससे अलग उत्तर पश्चिम के कई भाग और दक्षिणी पूर्वी तटीय शहर इस दौरान 8 दिन ग्रीष्म लहर के प्रभाव में रहते हैं। हालांकि भारत के सबसे उत्तरी छोर, उत्तर पूर्व और दक्षिण पश्चिमी इलाकों में इन गर्म हवाओं का असर न के बराबर देखा जाता है।

भारत में गर्मी १५ मई के दौरान अपने चरम पर होती है। मई में उत्तर पश्चिमी और मध्य भारत में पारा 40 डिग्री से 45 डिग्री के आस पास मंडराता रहता है। हालांकि इस साल उत्तर भारत में 21 मई तक गर्मी के हालात सामान्य ही थे। इसकी अहम् वजह यह थी की अप्रैल के अंत तक भारत में पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव देखा जा रहा था। पिछली सर्दी के मुकाबले इस साल उत्तर भारत में 5-7 दिन के अंतराल पर पश्चिमी विक्षोभ का असर दिखाई पड़ रहा था।पश्चिमी विक्षोभ दरअसल में भूमध्य सागर से निकलने वाले पूर्व की ओर चलने वाली हवाएं होती हैं जो वातावरण के निचले स्तर पर चलती हैं। ये आम तौर पर किसी क्षेत्र के स्थानीय मौसम पर अपना असर डालती हैं। उत्तर भारत में इनका असर ज़्यादातर ठण्ड के मौसम में देखा जाता है जब ये हवाएं यहां बारिश और ओला वृष्टि का कारण बनती हैं
हालांकि इस साल पश्चिमी विक्षोभ को बंगाल की खाड़ी से आने वाली पूर्वी हवाओं ने और भी असरदार बना दिया जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में मई तक इसका असर दिखाई दिया। यही वजह थी की हर साल के मुकाबले इस साल मई में उतनी गर्मी नहीं पडी।

क्या चक्रवात अम्फान वजह है इन गर्म हवाओं के पीछे

मौजूदा भीषण गर्मी की वजह कई मौसम विज्ञानी चक्रवात अम्फान को मान रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है की इस चक्रवात की वजह से बंगाल की खाड़ी , दक्षिण भारत , मध्य भारत के कुछ भागों और अरब सागर में पायी जाने वाली काफी नमी इस चक्रवात ने सोख ली। इसी नमी की कमी के चलते आज उत्तर भारत में शुष्क गर्म हवाओं ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है।

जितनी भी नमी पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हुई बारिश से वातावरण में मौजूद थी वो धीरे धीरे काफी बड़े क्षेत्र से इस तूफ़ान द्वारा हटा ली गयी। इसी वजह से शुष्क उत्तरी पश्चिमी हवाएं राजस्थान मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में चल रही हैं जिसके कारण ये इलाके भीषण गर्मी और गरम हवाओं के थपेड़े सहने को मज़बूर हैं।

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