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Brain-booster / 08 Nov 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: गूगल के खिलाफ मुकदमा (Google Anti-trust Case)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): गूगल के खिलाफ मुकदमा (Google Anti-trust Case)

गूगल के खिलाफ मुकदमा (Google Anti-trust Case)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में अमेरिकी सरकार ने गूगल के कथित व्यापार एकाधिकार के ख़िलाफ़ मुकदमा दायर किया है। गूगल पर ऑनलाइन खोज में प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है।

प्रमुख बिन्दु

  • दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल के ख़िलाफ़ मुकदमा अमेरिकी न्याय विभाग और 11 अलग-अलग अमेरिकी राज्यों द्वारा देश के एंटीट्रस्ट कानून के कथित उल्लंघन के मामले में दायर किया गया है।
  • करीब 20 साल पहले इसी तरह का मुकदमा सरकार ने माइक्रोसॉफ्रट के ख़िलाफ़ किया था और इस नए मुकदमे को ग्राहकों के हित के लिए बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह मामला जमीनी स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया जरूरी कदम है।
  • जब कभी भी इंटरनेट का जिक्र होता है तो गूगल का ही नाम आता है। सर्च इंजन के रूप में यही सबसे एक्टिव भी है। यूजर गूगल के माध्यम से किसी भी ऑनलाइन खोज को अंजाम देते हैं और इसका फायदा गूगल को होता है। सर्च इंजन के रूप में गूगल को हर साल साल अरबों डॉलर का मुनाफा होता है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि गूगल फोन निर्माता कंपनी को यह सुनिश्चित करने के लिए पैसे देता है कि डिफॉल्ट सर्च इंजन उसका ही हो।
  • Google ने मोबाइल बनाने वाली कंपनियों, कैरियर्स और ब्राउजर्स को अपनी विज्ञापनों से होने वाली कमाई से अरबों डॉलर का पेमेंट किया ताकि Google उनके डिवाइस पर प्री-सेट सर्च इंजिन बन सके। इससे गूगल ने लाखों डिवाइस पर टॉप पोजिशन हासिल की और अन्य सर्च इंजिन के लिए खुद को स्थापित करने के मौके से वंचित रखा।

एकाधिकार को चुनौती

  • गूगल का कारोबार इतना सफल है कि 2019 में उसका राजस्व 162 अरब डॉलर था। गूगल की मूल कंपनी एल्फाबेट इंक है और इसका बाजार मूल्य 1,000 अरब डॉलर से अधिक है।
  • गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा दायर मुकदमे को राजनीतिक चाल कहा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञ यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक चुनावी वादों का भी हिस्सा कह रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अपने समर्थकों को अतीत में बार-बार आश्वासन दिया था कि वे बड़ी कंपनियों को जवाबदेह ठहराएंगे।

क्या भारत में भी गूगल के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो सकती है?

  • भारत में कॉम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) का काम बाजार में किसी कंपनी के एकाधिकार को खत्म करना है। वह हेल्दी कम्पीटिशन को प्रमोट करता है। अमेरिका में जो मुकदमा दािखल हुआ है, उसी तरह की शिकायत की जांच सीसीआई पहले ही कर रहा है।
  • हाल ही में गूगल बनाम पेटीएम के मुद्दे पर भी ऐसी ही स्थिति बनी थी, जब Google ने अपनी पोजिशन का फायदा उठाते हुए पेटीएम के ऐप को प्ले स्टोर से हटा दिया था। तब भी पेटीएम ने यही आरोप लगाए थे कि गूगल अपने और दूसरे ऐप्स के बीच भेदभाव करता है।
  • कॉम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया स्मार्ट टीवी मार्केट में गूगल के एकाधिकार की जांच कर रहा है। मामला स्मार्ट टीवी में इंस्टॉल होने वाले एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के सप्लाई से जुड़ा है, जो भारत में बिक रहे ज्यादातर स्मार्ट टीवी में पहले से इंस्टॉल मिलता है।
  • साइबर कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका में गूगल के कॉर्पाेरेट वर्चस्व को खत्म करने की कार्रवाई हुई तो इसका असर भारत में भी पड़ेगा। अमेरिका के मुकाबले भारत में गूगल जैसी कंपनियों ने अपना अराजक वर्चस्व स्थापित किया है।

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