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Brain-booster / 17 May 2023

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: भारतीय रेलवे द्वारा कार्बन क्रेडिट का सृजन (Generating Carbon Credits with Indian Railways)

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चर्चा में क्यों?

  • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत, भारत अब 2005 के स्तर से 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने और 2070 तक शुद्ध शून्य हासिल
    करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2022 का उद्देश्य भारत को सही दिशा प्रदान करना है। अधिनियम ने केंद्र सरकार को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना बनाने के लिए हरी झंडी दे दी।

वित्तीय संभावनाएं

  • ब्लूमबर्गएनईएफ शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादित और बेचे जाने वाले कार्बन क्रेडिट का कुल मूल्य 2037 तक वैश्विक स्तर पर 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

भारत द्वारा उत्सर्जन

  • वर्तमान में भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन मात्र 1.8 टन CO2 है।
  • भारत 2.9 गीगा टन CO2 समतुल्य का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है।

कार्बन ट्रेडिंग के बारे में

  • कार्बन ट्रेडिंग एक बाजार-आधारित व्यवस्था है जो कंपनियों को कार्बन क्रेडिट का व्यापार करने की अनुमति देकर उनके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो CO2 की एक
    निश्चित मात्रा का उत्सर्जन करने के अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यह कंपनियों के लिए उनके उत्सर्जन को कम करने के लिए एक वित्तीय प्रोत्साहन का निर्माण करता है और देशों को उनके उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था बन गयी है।
  • मार्च 2022 तक यूएनएफसीसीसी के सीडीएम (Clean Development Mechanism) के तहत पंजीकृत 1,685 परियोजनाओं के साथ वार्षिक कार्बन क्रेडिट बिक्री के 40-50% हिस्सेदारी के साथ भारत इस समूह का नेतृत्व करता है।

परिवहन क्षेत्र

योगदानः

  • यूएनएफसीसीसी को भारत की तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (2021) के अनुसार, 2016 में परिवहन क्षेत्र द्वारा 274 मिलियन टन CO2 के बराबर उत्सर्जन में योगदान दिया गया है, जो पूरी अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पन्न कुल उत्सर्जन का लगभग 11% है।

रोडवेजः

  • लगभग 70% माल ढुलाई और 90% यात्रियों की आवाजाही सड़क मार्ग से होती है, जो सभी उपलब्ध विकल्पों में से सबसे अधिक कार्बनजनक व्यवस्था है।

रेलवेः

  • ट्रेनों के कम रोलिंग प्रतिरोध के कारण रेलवे द्वारा सड़क परिवहन की तुलना में प्रति टन-किमी कम उत्सर्जन होता है।

मेट्रोः

  • दिल्ली मेट्रो ने 4.4 मिलियन कार्बन क्रेडिट अर्जित किए हैं जो मॉडल शिफ्ट और पुनर्योजी (Regenerative) ब्रेकिंग की नवीन तकनीकों के माध्यम से उत्पन्न हुए थे।
  • दिसंबर 2022 में, आवासन और शहरी कार्य मंत्रलय ने मेट्रो रेल निगमों को कार्बन क्रेडिट के लिए पंजीकरण करने की सलाह दी।

चुनौतियाँ

  • कार्बन क्रेडिट की अवधारणा से वास्तविकता में बदलने की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इसमें निम्न आशंकाएं होती हैः
  • अग्रिम निवेश
  • लंबा गर्भकाल
  • स्वीकृत न होने की सम्भावना

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