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Brain-booster / 23 Feb 2023

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: आर्थिक समीक्षा 2022-23 : भाग 2 (Economic Survey 2022-23 : Part 2)

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वित्तीय घटनाएँ: राजस्व में तीव्र वृद्धि

  • वित्तीय वर्ष 2023 के दौरान केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति काफी मजबूत हुई है, जो कि बढ़ती आर्थिक गतिविधियों, प्रत्यक्ष करों और जीएसटी से राजस्व में तेज उछाल और बजट में वास्तविक अनुमानों के
    कारण ही संभव हो पाया है।
  • अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान सकल कर राजस्व में 15.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई, जो प्रत्यक्ष करों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में मजबूत वृद्धि से संभव हुआ है।
  • चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों के दौरान प्रत्यक्ष करों में वृद्धि वास्तव में उनके दीर्घकालिक औसत से कहीं अधिक रही है।
  • GST अब केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एक महत्त्वपूर्ण राजस्व स्रोत बन गया है। अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान सकल जीएसटी संग्रह में सालाना आधार पर 24.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
  • उच्च राजस्व व्यय की आवश्यकता के बावजूद केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर विशेष जोर देना जारी रखा है। वित्त वर्ष 2022 में केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय को दीर्घकालिक वार्षिक औसत (वित्त वर्ष 2009 से वित्त वर्ष 2020 तक) के सकल घरेलू उत्पाद के 1.7 प्रतिशत से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत तक लगातार बढ़ाया गया है।
  • केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देने के लिए राज्य सरकारों को ब्याज मुक्त ऋण और बढ़ी हुई उधार सीमा के माध्यम से भी प्रोत्साहित किया है।

मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थताः एक अच्छा वर्ष साबित हुआ

  • आरबीआई ने अप्रैल 2022 में अपनी मौद्रिक नीति को कड़ा करना शुरू किया और तब से रेपो दर में 225 आधार अंकों की वृद्धि की है, जिससे अधिशेष तरलता में कमी आई है।
  • बैलेंस शीट में सुधार से वित्तीय संस्थानों को ऋण में वृद्धि हुई है।
  • ऋण लेने में रिकॉर्ड वृद्धि आगे भी जारी रहने की उम्मीद है, जिससे निजी पूंजीगत व्यय में तेजी आने से एक अच्छा निवेश चक्र शुरू हो रहा है।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का गैर-खाद्य ऋण अप्रैल 2022 से लगातार दो अंकों में बढ़ रहा है।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का ऋण वितरण भी बढ़ रहा है।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) अनुपात घटकर सात साल के निचले स्तर 5.0 पर आ गया।
  • पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) अभी भी 16.0 के उच्च स्तर पर बना हुआ है।
  • इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के माध्यम से SCBs के लिए रिकवरी दर अन्य चैनलों की तुलना में FY22 में सबसे अधिक थी।

उद्योगः निरंतर सुधार

  • औद्योगिक क्षेत्र द्वारा समग्र सकल मूल्य संवर्धन (जीवीडब्ल्यू) में 3.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई (वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली छमाही के लिए), जो पिछले दशक के पूर्वाद्ध के दौरान हासिल की गई 2.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि से अधिक है।
  • बढ़ी हुई मांग के प्रति उद्योग की आपूर्ति प्रतिक्रिया मजबूत रही है।
  • जुलाई 2021 से 18 महीनों के लिए पीएमआई विनिर्माण विस्तार क्षेत्र में कायम रहा है। औद्योगिक विस्तार सूचकांक में उत्साहवर्धक वृद्धि हुई है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात में वित्त वर्ष 2019 में 4.4 बिलियन डॉलर से वित्त वर्ष 2022 में 11.6 बिलियन तक लगभग तीन गुणा वृद्धि हुई है।
  • भारत वैश्विक स्तर पर मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है। यहां हैंडसेट का उत्पादन वित्त वर्ष 2015 में 6 करोड़ यूनिट से बढ़कर वित्त वर्ष 2021  में 29 करोड़ तक पहुंच गया।
  • फार्मा उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में चार गुणा वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2019 में 180 मिलियन डॉलर से बढ़कर यह वित्त वर्ष 2022 में 699 मिलियन डॉलर हो गया।
  • जनवरी 2023 तक 39,000 से अधिक अनुपालनों में कमी आई है और 3500 से अधिक प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटाया गया है।

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