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Brain-booster / 08 Feb 2021

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: भारत का आर्कटिक मसौदा नीति (Draft Arctic Policy of India)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): भारत का आर्कटिक मसौदा नीति (Draft Arctic Policy of India)

भारत का आर्कटिक मसौदा नीति (Draft Arctic Policy of India)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में भारत ने अपना आर्कटिक मसौदा नीति जारी किया है। यह मसौदा नीति सतत पर्यटन, वैज्ञानिक अनुसंधान, आर्कटिक क्षेत्र में गैस और खनिज तेल की खोज का विस्तार करने के लिए महत्वपूर्ण है।

आर्कटिक मसौदा नीति के मुख्य पांच स्तंभ

  • विज्ञान और अनुसंधान
  • आर्थिक और मानव विकास
  • परिवहन और कनेक्टिविटी
  • शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
  • राष्ट्रीय क्षमता निर्माण

उद्देश्य

  • यह उन गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला को भी सूचीबद्ध करता है जो भारत आर्कटिक में आर्थिक, राजनयिक और वैज्ञानिक गतिविधियों सहित आगे बढ़ाने के लिए करना चाहता है। इसके अतिरिक्त आर्कटिक क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान, सतत पर्यटन और खनिज तेल एवं गैस की खोज का विस्तार करना भारत का लक्ष्य है।
  • मसौदे के अनुसार आर्कटिक अनुसंधान भारतीय मानसून का अवलोकन करने के साथ हिमालय के ग्लेशियरों की पिघलने की दर का अध्ययन करने में भारत के वैज्ञानिक समुदाय की मदद करेगा।
  • भारत वर्ष 2013 में पहली बार आर्कटिक काउंसिल में एक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुआ था। वर्ष 2018 में पांच साल के कार्यकाल के लिए भारत की सदस्यता का नवीनीकरण किया गया।

आर्कटिक क्षेत्र में भारत के अन्वेषण

  • भारत ने वर्ष 2007 में आर्कटिक के लिए अपना पहला वैज्ञानिक अभियान लांच किया था।
  • भारत ने नॉर्वे के स्विट्सवर्ग में अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक अनुसंधान बेस में एक अनुसंधान केंद्र ‘हिमाद्री’ की स्थापना की थी।
  • इसके अलावा, 2007 के बाद से, भारत ने आर्कटिक में 13 अभियान भेजे हैं और भारत 23 सक्रिय परियोजनाओं का संचालन कर रहा है।
  • राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के अनुसार भारत हर साल गर्मी और सर्दी में आर्कटिक में हिमनद, हाइड्रोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी और पर्यावरण संबंधी अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों की टीमों को भेज रहा है। इन अभियानों में देश के विभिन्न संस्थानों, संगठनों और विश्वविद्यालयों के अनेक वैज्ञानिक भाग लेते हैं।

महत्व

  • आर्कटिक क्षेत्र और आर्कटिक महासागर का भारत के लिये विशेष महत्त्व है, क्योंकि ध्रुवीय पर्यावरणीय प्रक्रिया और भारतीय मानसून के मध्य गहरा सम्बन्ध है। आर्कटिक महासागर भारतीय मानसूनी पवनों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करता है। भारत की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि पर निर्भर है और भारतीय कृषि मानसून पर। ऐसे में आर्कटिक में किये जा रहे वातावरणीय शोध जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली प्राकृतिक प्रक्रियाओं में बदलाव तथा भारतीय उपमहाद्वीप पर वायुमण्डलीय प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से समझने में बहुत ही लाभकारी साबित हो सकते हैं।
  • आर्कटिक में होने वाले प्रत्येक प्राकृतिक परिवर्तन का असर पूरे विश्व की प्रकृति पर पड़ता है। ऐसे में आर्कटिक क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किये जा रहे विविध शोधकार्य न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व की दृष्टि से भी प्रासंगिक हैं। भारतीय वैज्ञानिक आर्कटिक के माध्यम से प्रकृति में हो रहे जलवायुवीय परिवर्तनों और भूमण्डलीय तापन व महासागरीय प्रवृत्तियों का निरन्तर अध्ययन कर रहे हैं। वे इन पर्यवेक्षणों का उपयोग कुछ ऐसे पर्यावरणीय प्रादर्शों को तैयार करने में कर रहे हैं, जिससे पृथ्वी पर जटिल, परिवर्तित पर्यावरण को समझने, उसके स्पष्टीकरण एवं आवश्यक पूर्वानुमानों को लगाने में सहायता मिल सके।

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