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Blog / 04 Oct 2019

(राष्ट्रीय मुद्दे) भारत के जननायक : महात्मा गांधी@150 (Gandhi@150 Birth Anniversary Special)

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(राष्ट्रीय मुद्दे) भारत के जननायक : महात्मा गांधी@150 (Gandhi@150 Birth Anniversary Special)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): प्रो. सुधीर चंद्रा, मधुकर उपाध्याय

सन्दर्भ:

महात्मा गाँधी 20वीं सदी के एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने नैतिक मूल्यों के दम पर न केवल भारत बलिक विश्व की कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया.इन्होनें अहिंसा, सत्य, प्रेम, शुचिता और ईमानदारी का प्रयोग कर भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया.तत्कालीन समय के महान् वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने उनके मृत्यु पर कहा था कि आने वाली पीढ़ियां इस बात का मुश्किल से यकीन कर पाएंगी कि हाड़ मांस का कोई ऐसा व्यक्ति भी था जिसने अहिंसा का प्रयोग कर भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया।

महात्मा गांधी ने अपनी किताब हिन्द स्वराज में बढ़ते हुए मशीनीकरण और वैश्वीकरण के खतरों के प्रति विश्व को आगाह किया था। आज जब भारत साम्प्रदायिकता, वैश्वीकरण,भीडतंत्र के कई दुष्प्रभावों को झेल रही है ऐसे में उनकी विचरधारा ही हमें राह दिखा सकती है महात्मा गांधी का जन्म भारत में, उनकी उच्च शिक्षा दिक्षा इंग्लैंड में और आजादी का संघर्ष दक्षिण अफ्रीका में हुआ।

कालान्तर में महात्मा गांधी से प्रेरणा लेते हुए नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग ने रंग भेद के खिलाफ विरोध की आवाज को बुलंद किया जो मानव इतिहास और सभ्यता में मिल का पत्थर साबित हुई महात्मा का जीवन किसी नदी की तरह था जिसमें अनगिनत धाराएं थीं शायद ही ऐसी कोई बात हो जिनपर उनका ध्यान ना गया हो और जिनके लिए उन्होंने कोई समाधान प्रस्तुत ना किया हो उनका मानना था कि भारत को सच्ची आजादी केवल अंग्रेजों से मुक्त होकर नहीं मिलेगी बल्कि अपने भीतर और अपने देश की समस्याओं को सुलझाकर ही सच्ची आजादी प्राप्त होगी।

इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छुआछूत उन्मूलन,हिन्दू मुस्लिम एकता,चरखा, खादी को बढ़ावा,ग्राम स्वराज का प्रसार,प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा और चिक्तसिय ज्ञान के उपयोग सहित दूसरे उद्देश्यों पर भी काम करना जारी रखा उन्होंने अफ़्रीका में किए गए आजादी के संघर्ष से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक सत्याग्रह और अहिंसा को अपना मुख्य हथियार बनाया..सत्याग्रह का मकसद विरोधी में सकारात्मक परिवर्तन लाकर उसे सुलह के मार्ग पर अग्रसर करना था इसके लिए सहनशीलता, अनशन, निष्क्रिय प्रतिरोध, प्रदर्शन,धरना इत्यादि शामिल थे दरअसल गांधीवादी विचाधारा विरोधी या शत्रु से घृणा करना नहीं बल्कि उसके बुराइयों से घृणा करने की बात करता है।

समाज के अंतिम व्यक्ति की फ़िक्र करने वाले महात्मा गांधी ने ये बात जोर देकर कहीं थी की हम जैसा सोचते है वैसे ही बन जाते है इसलिए हमें अपनी इंसानी कमजोरियों से ऊपर उठना चाहिए ताकि हम एक स्वाबलंबी समाज की स्थापना कर सकें एक दार्शनिक दृष्टि के महात्मा बुद्ध और उनके सिद्धांतों से बेहद प्रभावित थे बौद्ध धर्म के सत्य,अहिंसा और करुणा को उन्होंने सनातन माना उनके लिए राजनीति भी एक धर्म था जिसके लिए आदर्शो का होना आवश्यक था।

राम राज्य शब्द को लेकर हमेशा से ही एक विवाद बना रहा है कुछ विद्वान इसके प्रयोग को लेकर बचते रहे है लेकिन खुद महात्मा गांधी इसे लेकर हमेशा स्पष्ट और मुखर बने रहे दांडी मार्च समय ऐसी ही भ्रांतियों के निवारण के लिए उन्हें 20 मार्च, 1930 को हिन्दी पत्रिका ‘नवजीवन’ में ‘स्वराज्य और रामराज्य’ शीर्षक से एक लेख लिखना पड़ा था।

जिसमें गांधीजी ने कहा था- स्वराज्य के कितने ही अर्थ क्यों न किए जाएं, तो भी मेरे नजदीक तो उसका त्रिकाल सत्य एक ही अर्थ है, और वह है रामराज्य. यदि किसी को रामराज्य शब्द बुरा लगे तो मैं उसे धर्मराज्य कहूंगा. गांधी जी के लिए रामराज्य का अर्थ उस शासन वयवस्था से था जिसमें गरीबों की संपूर्ण रक्षा होगी, सब कार्य धर्मपूर्वक किए जाएंगे और लोकमत का हमेशा आदर किया जाएगा।

वर्तमान समय में व्याप्त विभिन्न समस्याओं का समाधान गंधिवाद के मूल में है चाहे वो जातिवाद हो,चाहे वो स्वच्छता हो,चाहे वो परमाणु अप्रसार इत्यादि हो,गांधी की इसी प्रासंगिकता को देखते हुए वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस घोषित किया..लेकिन गांधी और गांधीवाद एक ऐसी प्रेरणात्मक शक्ति है जिसे है जीकर समझा जा सकता है..शायद इसीलिए गांधी जी ने कहा था कि मेरा जीवन ही संदेश है।