(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (24th - 31st October 2019)
इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...
न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):
- 31 अक्टूबर से लागू हुआ जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019। अधिनियम के लागू होने के बाद अब बदल गई है केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर और लदाख की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था
- केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो CBHI ने जारी किया राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल का 14वाँ संस्करण। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के मुताबिक़ भारत में बढ़ी है लोगों की जीवन प्रत्याशा
- विश्व बैंक द्वारा जारी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैकिंग में भारत को मिला 63वां स्थान। पिछले साल के मुक़ाबले भारत की रैंकिंग में आया है 14 अंकों का सुधार।
- पोस्टल बैलेट सुविधाओं के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश। दिव्यांग और 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाता अब कर सकेंगे पोस्टल बैलेट के ज़रिए मतदान।
- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर क़ानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना तमिलनाडू। कृषि उपज और पशुधन संविदा खेती तथा सेवा अधिनियम को मंजूरी मिलने के बाद तमिलनाडू में बना है क़ानून
- इंडीजेन जीनोम परियोजना के तहत क़रीब 1000 से अधिक लोगों के जीनोम अनुक्रमण का किया गया अध्ययन। इसी साल वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद CSIR ने की थी इंडीजेन जीनोम परियोजना की शुरुआत
- लद्दाख में जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के नए क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी। भारतीय हिमालय क्षेत्र के महत्व और इसके पारितंत्र के अध्ययन की जरूरत को देखते हुए खोला जा रहा है ये केंद्र
खबरें विस्तार से:
1.
केंद्र शासित राज्य जम्मू कश्मीर और लदाख में राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था अब पूरी तरह बदल गई है। बीते 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लाकर जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदले जाने का प्रावधान किया था जोकि 30 अक्टूबर की आधी रात से प्रभावी हो गया है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के लागू होने के बाद इन दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल और प्रशासक की भी घोषणा कर दी गई है। एक ओर जहां गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के पहले उपराज्यपाल होंगे तो वहीं राधाकृष्ण माथुर को लद्दाख के पहले प्रशासक के रूप में चुना गया है।
इन बदलाव के बाद अब इन दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों की अलग-अलग प्रशासनिक व्यवस्था होगी। इसके अलावा अब केंद्र के 106 कानून भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए हैं। जबकि इससे पहले अनुच्छेद 370 के चलते राज्य के अपने क़ानून थे और यहां केंद्र के कुछ क़ानूनों को छोड़कर बाकी कानून मान्य नहीं थे।
जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के बारे में आपको बताएं तो संविधान के अनुच्छेद 239 A के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी। हालांकि अब राज्य के संवैधानिक मुखिया राज्यपाल नहीं होंगे। राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल ही प्रमुख प्रशासक का कार्यभार संभालेंगे। इसके अलावा उपराज्यपाल के जरिए कानून-व्यवस्था का मामला केंद्र सरकार के अधीन रहेगा जबकि, जमीन से जुड़े मामले विधानसभा के ही पास होंगे। ग़ौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 239 A के ही तहत दिल्ली और पुडुचेरी को भी केंद्र शासित राज्य बनाया गया है।
दूसरी ओर लद्दाख अनुच्छेद 239 के तहत केंद्र शासित प्रदेश बना है। अनुच्छेद 239 के तहत लद्दाख की न ही कोई विधानसभा होगी और न ही कोई विधान परिषद। लद्दाख में प्रशासक ही मुखिया होगा जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
आपको बता दें कि बीते 6 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को पारित किया था। इसके तहत 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर राज्य को दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्यों में बांटा जाना था। ग़ौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश के पहले गृहमंत्री और लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के मक़सद से जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को 31 अक्टूबर को प्रभावी बनाने का फैसला किया था।
2.
बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो CBHI ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल का 14वाँ संस्करण जारी किया है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2019 के मुताबिक़ भारत में जीवन प्रत्याशा की दर 2012 से 2016 के दौरान 68.3 साल से बढ़कर 68.7 साल हो गई है। जबकि 1970 से 1975 के दौरान लोगों की जीवन प्रत्याशा सिर्फ 49.7 साल थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 70.2 साल और पुरुषों की 67.4 साल आंकी गई।
नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट के मुताबिक डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां देश में गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। पिछले 2 दशक में डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां का प्रकोप काफी बढ़ा है। इसके अलावा हर साल हजारों लोग इन बीमारियों से ग्रसित होते हैं जिनके इलाज में काफी खर्च आता है। इस रिपोर्ट में प्रजनन दर का भी ज़िक्र किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के मुताबिक़ 2016 में प्रजनन दर 2.3 रही है। 2016 में ग्रामीण इलाकों में प्रजनन दर जहां 2.5 रही है तो वहीं शहरी क्षेत्र में ये दर 1.8 थी। इसके अलावा इस रिपोर्ट के मुताबिक़ शिशु मृत्यु दर में भी काफी गिरावट दर्ज की गई है। साल 2016 में प्रति 1,000 जीवित शिशुओं में से सिर्फ 33 नवजात शिशुओं की ही मृत्यु हुई है । इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर 37 और शहरी क्षेत्रों में ये 23) के क़रीब बना हुआ था।
आपको बता दें कि CBHI साल 2005 से ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल प्रकाशित कर रहा है। CBHI द्वारा जारी की जाने वाली इस रिपोर्ट का मक़सद भारत की स्वास्थ्य सूचना का एक बहुउपयोगी डेटाबेस बनाना और इसे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के सभी हितधारकों के लिये उपलब्ध कराना है। इसके अलावा नेशनल हेल्थ प्रोफाइल कुछ प्रमुख संकेतकों के आधार पर ये रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। इनमें जनसांख्यिकीय संकेतक, सामाजिक-आर्थिक संकेतक, स्वास्थ्य स्थिति संकेतक और स्वास्थ्य वित्त संकेतक शुमार हैं। साथ ही मानव संसाधनों की स्थिति और स्वास्थ्य अवसंरचना भी नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के प्रमुख संकेतकों में शामिल है। गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो CBHI की स्थापना 1961 में की गई थी। CBHI का मकसद देश भर में एक मज़बूत स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली की स्थापना करना है।
3.
बीते दिनों विश्व बैंक ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैकिंग जारी की। 190 देशों की इस सूची में भारत को कुल 71 अंक मिले हैं। इसके साथ ही भारत पिछले साल के मुक़ाबले 14 अंकों की छलांग के साथ व्यापार सुगमता सूचकांक में 63वें पायदान पर पहुँच गया है। इससे पहले साल 2018 में भारत इस सूची में 77वें और साल 2017 में 100वें स्थान पर था।
इस सूचकांक में भारत के प्रदर्शन को विशेष रूप से सराहनीय श्रेणी में रखा गया है। विश्व बैंक के मुताबिक़ भारत ने व्यवसाय शुरू करने, निर्माण परमिट, सीमा पार व्यापार और दिवालियेपन का हल निकालने के मानकों में सुधार किया है। दिवालियेपन के समाधान के तहत रिकवरी दर 26.5 फ़ीसदी से सुधर कर 71.6 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा दिवालियेपन का समाधान करने में लगने वाला समय भी अब 4.3 वर्षों से घटकर 1.6 साल ही रह गया है।
विश्व बैंक का कहना है कि भारत ने एकल इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के ज़रिए व्यापार हितधारकों के आयात और निर्यात को आसान बनाया है। इसके अलावा भारत ने दस्तावेज़ों को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में बदलने में भी काफी तेज़ी दिखाई है। ग़ौरतलब है कि भारत लगातार तीसरे वर्ष व्यापार वातावरण यानी बिज़नेस क्लाइमेट में सुधार करने वाली शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में शुमार है। साथ ही भारत दक्षिण एशियाई देशों में अपने पहले पायदान को बरकरार रखने में भी क़ामयाब रहा है, जबकि साल 2014 में भारत दक्षिण एशियाई देशों में छठे पायदान पर था।
आपको बता दें कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में एक ओर जहां न्यूज़ीलैंड को पहला स्थान मिला है तो वहीं सोमालिया अंतिम यानी 190वें पायदान पर काबिज़ है। दरअसल इस सूचकांक में किसी भी देश के प्रदर्शन को 0-100 अंकों के ज़रिए मापा जाता है। इसमें 0 अंक पाने का मतलब है सबसे खराब जबकि 100 अंक अर्जित करने वाले देशों को इस सूची में शीर्ष पर रखा जाता है।
इसके अलावा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग विश्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग को मांपने के लिए विश्व बैंक कई तरह के पैरामीटर्स का इस्तेमाल करता है। इन मानकों में व्यवसाय शुरू करना, निर्माण परमिट, विद्युत, और संपत्ति के पंजीकरण के अलावा ऋण उपलब्धता जैसे मानक शामिल हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा, करों का भुगतान, सीमा पार व्यापार, अनुबंध लागू करना और दिवालियापन होने पर समाधान लागू करने जैसे मानक भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में शामिल होते हैं। आसान शब्दों में समझें तो इन सभी मानकों के आधार पर ये देखा जाता है कि किस देश में कारोबार करना कितना सुगम है।
4.
बीते दिनों ओडिशा के किसानों की बेहतरी के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने मिलकर विश्व बैंक के साथ एक ऋण समझौते पर दस्तख़त किए हैं। इस समझौते के तहत ओडिशा एकीकृत सिंचाई परियोजना शुरुआत की जा रही है, जिसके लिए विश्व बैंक ओडिशा के छोटे किसानों की कृषि प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए 16.5 करोड़ डॉलर का ऋण मुहैया कराएगी। एक तरीके से समझौता किसानों की आमदनी बढ़ाने, उनकी उपज में विविधता लाने और बेहतर ढंग से विपणन में किसानों की मदद करेगा।
आपको बता दें कि ये समझौता भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग, ओडिशा सरकार के जल संसाधन विभाग और विश्व बैंक समूह के अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक के बीच हुआ है।
ग़ौरतलब है कि बीते कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन ने ओडिशा में खेती को बुरी तरह से प्रभावित किया है। 2009 से ओडिशा गंभीर सूखे की स्थिति से गुज़र रहा है। इसके अलावा ओडिशा में ज़्यादातर किसान ऐसे हैं जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम ज़मीन है। ऐसे में ओडिशा में ज्यादातर कृषि क्षेत्रों पर खराब मौसम का कहर अक्सर ही देखने को मिलता रहता है।
5.
बीते दिनों केंद्र सरकार ने पोस्टल बैलेट सुविधाओं के संदर्भ में कुछ दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इन दिशा निर्देशों के तहत अब चुनावों में 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता और निर्दिष्ट दिव्यांग मतदाता पोस्टल बैलेट के ज़रिए मतदान कर सकेंगे। ग़ौरतलब है कि केंद्र सरकार ने ये ये दिशा निर्देश भारत निर्वाचन आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर चुनाव संचालन नियमों में संशोधन करके अनुपस्थित मतदाता की अवधारणा के तहत जारी किए गए हैं।
आपको बता दें कि चुनाव प्रक्रिया में अनुपस्थित मतदाता की अवधारणा को परिभाषित कर इसे चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया गया है। अधिनियम की धारा 60 के मुताबिक़ ‘अनुपस्थित मतदाता वे मतदाता हैं जिनका ज़िक्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना में शामिल होता है। इसके अलावा अब वरिष्ठ नागरिक या दिव्यांग भी इसी अनुपस्थित मतदाता की श्रेणी में आएंगे। ग़ौरतलब है कि यहां दिव्यांग’व्यक्तियों से मतलब ऐसे व्यक्तियों से है जिन्हें मतदाता सूची में दिव्यांग के रूप में शामिल किया गया है। इसके अलावा ‘वरिष्ठ नागरिक भी ऐसे मतदाताओं को ही माना जायेगा जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक है।
भारत निर्वाचन आयोग अब अपने स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदाताओं को इस नई पहल से रूबरू कराने में जुट गया है ताकि इस तरह का कोई भी मतदाता अपने मताधिकार के प्रयोग करने से वंचित न रह जाएँ। हालांकि पोस्टल बैलेट की सुविधाओं के लिए अभी ज़रूरी बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं का सृजन करना और इसके लिये कानूनी रुपरेखा तैयार करने का काम बाकी है।
पोस्टल बैलेट के बारे में आपको बताएं तो इसके इस्तेमाल की अनुमति सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को होती है जो किसी ऐसी सर्विस में काम कर रहे होते हैं जहां से उन्हें मतदान के वक़्त भी छुट्टी नहीं मिलती। इसके अलावा अब अनुपस्थित मतदाता के रूप में दिव्यांग या वरिष्ठ नागरिक भी पोस्टल बैलेट सुविधा का इस्तेमाल कर सकेंगे।
6.
तमिलनाडु Contract Farming यानी अनुबंध कृषि पर क़ानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। तमिलनाडू ने ये क़ानून कृषि उपज और पशुधन संविदा खेती तथा सेवा अधिनियम को मंजूरी मिलने के बाद बनाया है। दरअसल कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के ज़रिए बाज़ार मूल्य में उतार-चढ़ाव होने के हालात में भी ये क़ानून किसानों के हितों की रक्षा करेगा। इसके अलावा अनुबंध कृषि के तहत खरीदारों और किसानों के बीच हुए पहले से तय मूल्य के तहत भुगतान किया जाएगा। हालाँकि इस प्रकार के समझौतों को कृषि विपणन एवं कृषि व्यवसाय विभाग के नामित अधिकारियों के साथ पंजीकृत कराना ज़रूरी होगा। साथ ही केंद्र या राज्य सरकार या भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रतिबंधित किसी भी उपज को अनुबंध खेती के तहत कवर नहीं किया जाएगा।
दरअसल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग खरीदार और किसानों के बीच होने वाला एक समझौता है। इस समझौते के तहत कृषि उत्पादन की प्रमुख शर्तों को परिभाषित किया जाता है। इसमें कृषि उत्पादों के उत्पादन और उनके विपणन के लिये कुछ मानक तय किये जाते हैं। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश को बढ़ावा देना भी कॉन्ट्रैक्ट खेती का मक़सद है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसानों को बीज, ऋण, उर्वरक, मशीनरी और तकनीकी सलाह भी आसानी से मुहैया कराई जाती है।
ग़ौरतलब है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की ज़रूरत इसलिए पड़ी है क्यूंकि पर्याप्त खरीदार न मिलने पर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिए न सिर्फ किसान और बाज़ार के बीच तालमेल की कमी दूर होगी बल्कि किसानों को भी उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सकेगा।साथ ही इसमें किसानों और खरीददारों के बीच कोई बिचौलिया शामिल नहीं होगा।
7.
बीते दिनों वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद CSIR ने इंडीजेन जीनोम परियोजना के तहत क़रीब 1000 से अधिक लोगों के जीनोम अनुक्रमण का अध्ययन किया। इस मौके पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि होल जीनोम डाटा से उपचार और रोकथाम के लिये सटीक दवायें बनाई जा सकेंगी। इसके अलावा इंडीजेन जीनोम परियोजना के तहत निवारक और रोकथाम करने वाली दवाओं के जरिये दुर्लभ आनुवांशिक रोगों का भी जल्दी और कारगर निदान संभव हो सकेगा। साथ ही इस पहल से आनुवांशिक रोगों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी और इसके तहत कैंसर जैसे रोगों का भी बेहतर से इलाज किया जा सकेगा।
आपको बता दें कि इंडीजेन जीनोम परियोजना की शुरूआत वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद CSIR द्वारा अप्रैल, 2019 में की गई है। ये परियोजना इसे CSIR-जीनॉमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी इंस्टिट्यूट, दिल्ली और सेल्यूलर एंड मोलेक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद द्वारा लगो की गई है। दरअसल इंडीजेन जीनोम परियोजना को मुख्य मक़सदों के लिहाज़ से तैयार किया गया है। इनमें शीघ्रता और विश्वसनीयता के साथ अलग - अलग तरह के जीनोम की मैपिंग करना, लोगों को उनके जीन में होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में सलाह देना और बीमारी से जुड़े हुए जीनों की असमानता और आवृत्ति को समझने जैसे मक़सद शामिल हैं। इन सब के अलावा इंडिजेन के परिणामों का इस्तेमाल जनसंख्या के पैमाने पर आनुवांशिक विविधता को समझने के लिए और नैदानिक अनुप्रयोगों के लिए आनुवांशिक रूपांतर उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा ताकि आनुवांशिक रोगों की महामारी को समझने में मदद मिल सके।
8.
बीते दिनों भारतीय वायुसेना ने ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली दो ब्रह्मोस मिसाइलों का अंडमान निकोबार द्वीप समूह में सफल परीक्षण किया है।दरअसल ये परीक्षण भारतीय वायुसेना की क्षमता को लक्षित करने की क्षमता की जांच करने के मक़सद से किया गया है। आपको बता दें कि ब्रह्मोस, भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन DRDO और रूस के NPOM का एक संयुक्त उपक्रम है। इस मिसाइल का नामकरण भी भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोसकवा नदियों के नाम पर किया गया है। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल मध्यम दूरी की एक ऐसी सुपरसोनिक मिसाइल है। ब्रह्मोस का वजन 2.5 है और Su-30 MKI लड़ाकू विमान पर तैनात किया जाने वाला सबसे भारी हथियार है। वर्तमान में यह 2.8 मैक की गति के साथ सबसे तेज़ी से संचालित क्रूज़ मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से 3 गुना अधिक है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है। साथ ही ये मिसाइल 300 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री अपने साथ ले जा सकती है। ब्रह्मोस को किसी भी मौसम में भूमि, वायु और समुद्र से सटीकता से दागा जा सकता है।
इस सन्दर्भ में एक और ज़रूरी बात ये कि मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम MTCR में शामिल होने के बाद अब भारत ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता को बढ़ा सकता है। इसी क्रम में भारत ने 500 किलोमीटर मारक क्षमता वाली उन्नत ब्रह्मोस मिसाइल भी तैयार कर ली है।
9.
बीते दिनों केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर लद्दाख में जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के एक नए क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। लद्दाख में ये केंद्र भारतीय हिमालय क्षेत्र के महत्व और इसके पारितंत्र के अध्ययन की जरूरत को देखते हुए खोला जा रहा है। संस्थान का ये नया क्षेत्रीय केन्द्र पर्यावरण संरक्षण, आजीविका के साधन और सतत विकास के संबंध में भी रणनीतियों और कार्यान्वयन योजनाओं को विकसित करेगा।
दरअसल जम्मू कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद लद्दाख एक नया केन्द्र शासित प्रदेश बना है। ऐसे में लद्दाख प्रशासन का संबंध इस संस्थान के शुरूआत से ही रहेगा। जानकारों का कहना है कि इस नए संस्थान और नए प्रशासन से दोनों को ही लाभ होगा। एक ओर जहाँ संस्थान को नए प्रशासन से ज़मीन की उपलब्धता जैसे कई महत्वपूर्ण कामों में सहयोग मिलेगा तो वहीं संस्थान भी प्रशासन की प्राथमिकताओं से सीधे तौर पर जुड़ सकेगा।
इसके अलावा इस नए क्षेत्रीय केन्द्र के कुछ अपने मक़सद हैं। इनमें शीत मरूस्थल समुदायों के लिए आजीविका के वैकल्पिक और नए अवसरों को बढ़ावा देना तथा शीत मरूस्थल निवास स्थानों और जैव-विविधता का संरक्षण करने जैसे लक्ष्य शामिल हैं। इसके अलावा जल की कमी से संबंधित समस्याओं से निपटने के तरीकों को मजबूत करना और ट्रांस हिमालय क्षेत्र में जलवायु मित्र समुदायों को प्रोत्साहन देना भी इस नए क्षेत्रीय केंद्र के मकसदों में शुमार है। ग़ौरतलब है कि ट्रांस हिमालय क्षेत्र के ज़्यादातर भाग समुद्र तल से 3,000 एमएसएल पर मौजूद है। ट्रांस हिमालय क्षेत्र की एक विशेषता ये भी है कि यहां काफी ठंड पड़ती है। इसके अलावा यहां बारिश भी न के बराबर होती है और इसी कारण इसे शीत मरूस्थल भी कहा जाता है।
जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के बारे में आपको बताएं तो इसका मुख्यालय उत्तराखंड के कोसी-कटारमल में मौजूद है। मौजूदा वक़्त में इसके क्षेत्रीय केंद्र हिमाचल प्रदेश, श्रीनगर, पंगथांग, और अरूणाचल प्रदेश के ईटानगर में स्थित हैं। जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान पर्यावरण प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और भारतीय हिमालय क्षेत्र में समुदायों के सतत विकास के लिए नीति निर्माण का काम करता है।
तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...
फटाफट न्यूज़ (India Roundup):
1. कोवलम और थुम्बा में पाई गई प्रवाल की कुछ दुर्लभ प्रजातियां। केरल विश्वविद्यालय और फ्रेंड्स ऑफ़ मरीन लाइफ (Friends of Marine Life- FML) नामक गैर सरकारी संगठन ने की है प्रवाल की इन दुर्लभ प्रजातियों की खोज।
इस खोज के बाद जिन 9 प्रजातियों की पहचान की गई है- उनमें फेवाइट्स फ्लेक्सुओसा (Favites Flexuosa) गोनियास्ट्रिया रेटिफॉर्मिस (Goniastrea Retiformis) मोंटीपोरा डिजिटा (Montipora Digita) मोंटीपोरा हिस्पिडा (Montipora Hispida) पावोना वेरियंस (Pavona Varians) एक्रोपोरा डिजिटिफेरा (Acropora Digitifera) फेवाइट्स (Favites) पावोना वेनोसा (Pavona Venosa) पोराइट्स लाईकेन (Porites Lichen) शामिल हैं।
आपको बता दें कि प्रवाल एक प्रकार का छोटा समुद्री जीव है जो लाखों करोड़ों की संख्या में एक समूह में रहते हैं। इसके अलावा प्रवाल मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय महासागरों में 25 डिग्री उत्तरी से 25 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के बीच पाए जाते है।
2. केरल राज्य प्रदूषण बोर्ड ने पेट्टा थुलल अनुष्ठान के दौरान इस्तेमाल होने वाले रसायन युक्त रंगों पर लगाया प्रतिबन्ध। बोर्ड के मुताबिक़ इन रंगों में सीसा, आर्सेनिक और कैडमियम समेत कई खतरनाक धातुओं की पाई गई है मौजूदगी ।
दरअसल पेट्टा थुलल भगवान अयप्पा की पौराणिक कथाओं में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिये एक पवित्र नृत्य है। केरल राज्य प्रदूषण बोर्ड इन रासायनिक रंगों पर प्रतिबन्ध इसलिए लगाया है ताकि ये धातु जो त्वचा के लिये हानिकारक न बने साथ ही मृदा और जल स्रोतों को भी प्रदूषित न करें।
3. लीवर ट्रांसप्लांट सोसायटी ऑफ इंडिया LTSI ने शुरू की भारत की पहली स्वैच्छिक लीवर ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री। लीवर ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री का मक़सद लीवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रियाओं और उनके परिणामों के राष्ट्रीय डेटा को करना है इकठ्ठा।
दरअसल देश में हर साल क़रीब 2,000 लीवर ट्रांसप्लांट किये जाते हैं। लेकिन इसके विनियमन से संबंधित कोई प्रावधान नहीं हैं। इसके अलावा लीवर ट्रांसप्लांट सोसायटी ऑफ इंडिया के बारे में बटन तो इसकी स्थापना लीवर ट्रांसप्लांट के विकास को आसान बनाने के लिये की गई है। लीवर ट्रांसप्लांट सोसायटी ऑफ इंडिया का मक़सद लीवर ट्रांसप्लांट से संबंधित क्षेत्रों में जागरूकता, शिक्षा, प्रशिक्षण, मानक स्थापित करना, शैक्षणिक गतिविधियों और अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
4. भारी बारिश के चलते क्षतिग्रस्त हुआ ठोटलाकोंडा बौद्ध परिसर का कुछ हिस्सा। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में मौजूद है ठोटलाकोंडा बौद्ध परिसर दरअसल ठोटलाकोंडा बौद्ध परिसर बौद्ध धर्म की प्राचीन हीनयान शाखा से संबंधित है। यह परिसर श्रीलंका, इंडोनेशिया, कंबोडिया आदि देशों में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार का केंद्र रहा है।
5. 24 अक्तूबर को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री ने किया रूस में मौजूद सखालिन ऑयल फील्ड का दौरा। उत्तरी प्रशांत महासागर में ओखोटस्क सागर और ततर जलसंधि के बीच मौजूद रूस का ये सबसे बड़ा द्वीप तेल एवं प्राकृतिक गैस उत्पादन की दृष्टि से है बेहद ही महत्त्वपूर्ण।
दरअसल रूस के सखालिन में भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजनाके तहत रूस के साथ ऊर्जा संबंधों विकसित किया गया है। आपको बता दें कि सखालिन-1 प्रोजेक्ट में ONGC विदेश लिमिटेड की 20% हिस्सेदारी है। इसके अलावा रूस की परियोजना में किसी भी देश द्वारा यह सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है।
6. जम्मू और कश्मीर में एनएच-44 पर मौजूद चेनानी नशरी सुरंग का नाम बदलकर किया गया डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग घोषित किए जाने का एलान ।
चेनानी नशरी सुरंग देश की पहली व दुनिया की छठी ऐसी सड़क सुरंग है जहां हुआ है ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम का इस्तेमाल । आपको बता दें कि 9 किलोमीटर की यह सुरंग देश की सबसे लंबी आधुनिक सुरंग है, जो उधमपुर को जम्मू में रामबन से जोड़ती है। इसके अलावा ये सुरंग पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील जैसे हिमस्खलन, बर्फबारी, और मौसमी घटनाओ में वनों को संरक्षण भी देती है।
7. पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने और टिकाऊ आवास के लिए हो रहा है जैव-ईंटों पर विचार। कृषि-अपशिष्टों से बनाएं जायँगे ये जैव ईंट आपको बता दें कि जैव ईंट को गेहूँ के तिनकों, धान के पुआल और अन्य कृषि-अपशिष्टों द्वारा तैयार किये जाने पर विचार चल रहा है। जैव ईंट न सिर्फ खेतों को साफ करने की प्रक्रिया को आर्थिक रूप से आसान बनाएगा, बल्कि इससे किसान अवशेषों को जलाने से बचेंगे जिससे पर्यावरण प्रदुषण भी काफी कम होगा।
दरअसल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक़ भारत में कुल क़रीब 1,40,000 ईंट के भट्टे हैं। इन भट्टों से लगभग 66 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन होता है जोकि पर्यावरण के लिए ख़तरा हैं।
8. भारत और फ़्रांस के बीच चल रहा है सैन्य अभ्यास शक्ति। 31 अक्तूबर, से शुरू हुआ ये सैन्य अभ्यास 13 नवंबर तक रहेगा जारी ।
ग़ौरतलब है कि भारत और फ्राँस के बीच यह सैन्य अभ्यास साल 2011 से किया जा रहा है। इस सैन्य अभ्यास का मक़सद दो देशों की सेनाओं के बीच समझ, सहयोग और पारस्पारिकता को बढ़ाना है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र जनादेश के तहत अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में काउंटर टेरिरिज़्म ऑपरेशनपर ध्यान केंद्रित करना भी इस सैन्य अभ्यास के उद्देश्यों में शुमार है।
9. अमेरिकी मानवाधिकार कार्यकत्री कायला म्यूलर के नाम पर चलाया गया था इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बक्र अल-बगदादी को मारने का अभियान। साल 2015 में चरमपंथी समूह ISIS ने की थी इस अमेरिकी कार्यकत्री कायला म्यूलरकी हत्या।
10. बीते दिनों उष्णकटिबंधीय चक्रवात क्यार ने दी अरब सागर में दस्तक। 150 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बढ़ रहा है उष्णकटिबंधीय चक्रवात क्यार आपको बता दें कि इस चक्रवात का नाम म्याँमार ने रखा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग IMD) के मुताबिक़ पिछले 12 सालों में अरब सागर में आया ये तूफ़ान में क्यार सबसे अधिक तेज़ से चलने वाला चक्रवात है। मौजूदा वक़्त में क्यार चक्रवात उत्तर-पश्चिम में ओमान तट की ओर लगातार बढ़ रहा है।
11. केंद्र सरकार ने निर्यातकों के लिये क़र्ज़ लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने और ऋण उपलब्धता को बढ़ाने के मक़सद से शुरू की निर्यात ऋण विकास योजना- निर्विक। निर्विक योजना के तहत भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम ECGC प्रदान करेगा 90% कवर ।
मौजूदा वक़्त में ECGC के ज़रिए बैंकों को दिया जाने वाला औसत कवर 60% है। पिछले चार से पाँच सालों में ECGC ने अलग - अलग बैंकों को दावों के लिए एक साल में लगभग 1,000 करोड़ रुपए का भुगतान किया है और बाद में धीरे-धीरे इस कवर को कम कर दिया गया।
12. 31अक्तूबर को देश में मनाया गया राष्ट्रीय एकता
दिवस । साल 2014 में पहली बार 'भारत के लौह पुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल को
श्रद्धांजलि देने के मक़सद से मनाया गया था राष्ट्रीय एकता दिवस
राष्ट्रीय एकता दिवस मौके पर लौह पुरुष' सरदार वल्लभ भाई पटेल के राष्ट्रीय
अखंडता और एकता में योगदान के विषय में जागरूकता फैलाने के लिये ‘रन फॉर यूनिटी
(Run For Unity)’ जैसे अलग - अलग आयोजन किये जाते हैं। इसके अलावा पिछले साल
भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
(Statue Of Unity) का अनावरण किया था। गौरतलब है कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया
की सबसे ऊँची प्रतिमा है।
13. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने की भारत में 'फीड अवर फ्यूचर’ अभियान की शुरुआत। भारत में भूख और कुपोषण के ख़िलाफ़ जागरुकता लाने के मक़सद से की गई सिनेमा के लिए विज्ञापन अभियान ‘फीड अवर फ्यूचर की शुरूआत आपको बता दें कि विज्ञापन अभियान ‘फीड अवर फ्यूचर’ भूख और कुपोषण के खिलाफ विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा शुरू किया गया एक विज्ञापन अभियान है. यह भारत में भूख और कुपोषण के अहम मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने के योग्य है तथा दर्शकों के साथ इसका समर्थन करेगा.
ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता की शाखा है। ये दुनिया भर के देशों में भूखमरी को समाप्त करने हेतु और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विश्व का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है। विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना साल 1961 में की गयी थी.
14. उत्तर प्रदेश में हुई कन्या सुमंगला योजना की
शुरुआत। कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को ख़त्म करने और परिवार नियोजन को
बढ़ावा देने के मक़सद से हुई है इस योजना की शुरुआत
इस योजना के तहत लाभार्थियों को बेटी के जन्म लेने से लेकर उसके स्नातक पास होने
तक सरकार प्रोत्साहन के रूप में छह चरणों में कुल 15 हजार रुपये देगी। एक तरीके
से कन्या सुमंगला योजना बेटियों हेतु सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगी।
15. 24 अक्टूबर को मनाया गया संयुक्त राष्ट्र दिवस। 1945 में 24 अक्टूबर को लागू हुआ था संयुक्त राष्ट्र संघ का चार्टर आपको बता दें कि दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र दिवस लोगों को संयुक्त राष्ट्र संस्थान के मक़सदों और उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1948 में 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस घोषित किया था। ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ एक अंतरसरकारी संगठन है।
16. इसराइली ऐप स्पाईवेयर पेगासस से की जा रही है
दुनियाभर में लोगों की जासूसी । भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी
हुए हैं स्पाईवेयर पेगासस ऍप के ज़रिए साइबर क्राइम का शिकार
बीते दिनों व्हाट्सएप ने बताया कि कुछ अज्ञात इकाइयां इसराइल के स्पाईवेयर
पेगासस के जरिए दुनियाभर में जासूसी कर रही हैं। अज्ञात इकाइयों ने जासूसी के
लिए करीब 1,400 लोगों के फोन हैक किए हैं। इनमें राजनयिक, विपक्षी नेता,
पत्रकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं। ग़ौरतलब है कि इस सन्दर्भ में पर
भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सएप से चार नवंबर तक विस्तृत
जवाब मांगा है।
17. अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों के10 सदस्यीय विशिष्ट दूत समूह में में शामिल हुई मैरी कॉम। अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति द्वारा तय हुआ है 6 बार की वर्ल्ड चैंपियन एमसी मैरी कॉम का नाम
18. लद्दाख में 29 से 31 अक्टूबर तक आयोजित हुआ लद्दाख साहित्य महोत्सव। कला, संस्कृति और साहित्य में क्षेत्र की अलग पहचान को बढावा देना है लद्दाख साहित्य महोत्सव का उद्देश्य ।
19. और जस्टिस एस ए बोबडे होंगे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश। 18 नवंबर को भारत के नये मुख्य न्यायाधीश के रूप में लेंगे शपथ बीते दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस बोबडे को अगले मुख्य न्यायाधीश बनाये जाने के प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद अब जस्टिस एस ए बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। ग़ौरतलब है कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राष्ट्रपति को नियमानुसार जस्टिस बोबडे को अगला मुख्य न्यायधीश बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा था जिसके बाद राष्ट्रपति ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।